आखिर कब तक जहरीली शराब से मरते रहेंगे लोग – संजय ठाकुर।…
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अमित कुमार /पटना। बिहार सरकार की ग़लत शराबबंदी नीति और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ज़िद के कारण कब तक लोगों की जान जाती रहेगी? कितने लोगों की मौत के बाद सरकार की नींद खुलेगी? सीवान और सारण जिले के भगवानपुर और मशरक प्रखण्ड के अनेक गांवों में मातम छाया हुआ है जहां साठ से अधिक लोग जहरीली शराब पीने से मौत के मुंह में समा गए हैं। पचास से ज्यादा लोग बीमार हो इलाजरत है। एक दर्जन से अधिक लोगों की आंखों की रौशनी खत्म हो गई है। जन सुराज पार्टी सभी मृतकों के प्रति गहरी संवेदना जताते हुए उनके परिवार जनों को उचित मुआवजा देने तथा बिहार सरकार से वहां तैनात सभी पुलिस पदाधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। आज़ यहां जारी एक बयान में जन सुराज के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय कुमार ठाकुर ने कहा है कि एक तरफ बिहार सरकार, जदयू और उसके गठबंधन के घटक दल भाजपा बार बार कहते रहे हैं कि बिहार में शराब बंदी सख्ती से लागू है और तस्करी नहीं हो रही है। सीवान और सारण की इस लोमहर्षक घटना ने यह साबित कर दिया है कि केवल तस्करी ही नहीं वल्कि अवैध शराब निर्माण का काम भी यहां जारी है। ज्ञात हो कि पहले भी इस जिले में सत्तर से अधिक लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी। श्री ठाकुर ने आरोप लगाया है कि बिहार के सभी गांवों में शराब तस्कर सक्रिय हैं और एमाजोन की तरह होम डिलीवरी जारी है। असली और नक़ली दोनों शराब बाजार में उपलब्ध है और पीने वाले रोज़ इसका सेवन कर रहे हैं। पुलिस और शराब माफियाओं का गठजोड़ इतना मजबूत है कि इस तस्करी के खेल को रोक पाना मुश्किल है। श्री ठाकुर ने बताया है कि भारत सरकार के नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार देश का सबसे गरीब, अशिक्षित, बेरोज़गारी और पलायन करने वाला राज्य है। बिहार सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि बिहार पर पिछले वित्तीय वर्ष तक 2 लाख 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। अर्थात बिहार गरीबी के दंश को इस तरह झेल रहा है कि एक बच्चा भी जन्म ले रहा है तो उस पर 19 ह्सान रुपए कर्ज चढ़ जाता है। दूसरी तरफ शराबबंदी से प्रति वर्ष बीस हजार करोड़ रुपए राजस्व की क्षति हो रही है। होटल व्यवसाय और पर्यटन व्यवसाय को आर्थिक नुकसान अलग है।
श्री ठाकुर ने बताया है कि शराबबंदी के बाद अभी तक शराब पीने से मरने वालों की संख्या एक हजार के करीब हो चुकी है। इसमें अधिकांश दलित,अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या है। प्रदेश में साढ़े आठ लाख लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है और डेढ़ लाख लोग जेल में बंद हैं। इनके परिवार की महिलाओं को थाना और कचहरी का चक्कर लगाना पड़ रहा है जिससे महिलाएं मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना का शिकार हैं। इनमें भी अधिकांश दलित, अति पिछड़ा, पिछड़ा वर्ग के गरीब लोग ही शामिल हैं जो सर्वाधिक परेशान हैं।
श्री ठाकुर ने कहा है कि इन्ही वजहों जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर जी बार बार कहते हैं कि जन सुराज की सरकार बनते ही शराबबंदी कानून समाप्त कर दिया जाएगा।