देवघर, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गोड्डा, गुमला, जामताड़ा, खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़, पलामू, रांची, सरायकेला-खरसावां, सिमडेगा एवं पश्चिम सिंहभूम।
छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) का उल्लंघन कर पिछले दशकों में हड़पी गई आदिवासियों की भूमि को लौटाने की दिशा में सरकार ने प्रारंभिक कार्रवाई शुरू कर दी है।ऐसे मामलों की जांच के लिए रिटायर्ड आइएएस अफसर देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल ने (एसआइटी) ने पिछले दिनों 16 जिलों की रिपोर्ट सरकार के हवाले की है, जिसमें आदिवासियों की 199.08 एकड़ भूमि वापस करने की अनुशंसा की गई है।राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने संबंधित जिलों के उपायुक्तों को एसआइटी की अनुशंसा के आलोक में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।नियमानुसार आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासी न तो पहले खरीद सकते थे और न ही आज।इतना ही नहीं आदिवासियों से आदिवासियों के बीच जमीन का हस्तानांतरण के लिए भी यह जरूरी है कि क्रेता-विक्रेता दोनों एक ही थाना क्षेत्र के हों। यह नियम 1908 से ही प्रभावी है।इसके बाद भी स्थापित नियमों का उल्लंघन कर आदिवासी भूमि का गैर आदिवासियों के बीच हस्तांतरण होता रहा है।