सिविल सर्विसेज धैर्य का चीज है: आईएएस अभिषेक रंजन

बांका जिले में ट्रेनिंग ले रहे है आईएएस अभिषेक रंजन अपनी ट्रेनिंग पूरी कर 2018 बैच के आईएएस अब क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे है।इसी क्रम में हमारी मुलाकात अभिषेक रंजन से हुई जिन्हें जिला ट्रेनिंग के लिए बांका भेजा गया है।शांत स्वभाव, हल्की मुस्कुराहट एवं ट्रेनिंग के जोश-जुनून से परिपूर्ण अभिषेक के लिए यह जिला अपनी कर्मठता, दक्षता एवं अनुभव के दम पर ट्रेनिंग में लिए गए कोर्स को धरातल पर उतारने का मौका देगा साथ ही बतौर आईएएस पहली बार किसी जिले को कर्म भूमि के रूप में दिल की गहराइयों से जोड़ेगा।नवनियुक्त आईएएस अभिषेक रंजन एवं हमारे प्रतिनिधि श्रीधर पांडेय के बीच बातचीत के संपादित कुछ अंश…मूल रूप से पटना जिले के रहने वाले अभिषेक ने बातचीत के क्रम में बताया कि वह मिडिल क्लास के फैमिली बैक ग्राउंड से आते है।पिता जी शिक्षक है एवं माँ गृहिणी है।शुरुआती शिक्षा डीएवी सिवान से होने के हुई।आगे की पढ़ाई आईआईटी रुढ़की से कंप्यूटर साइंस में किया।इसी दरम्यान सिविल सर्विसेज के प्रति झुकाव होने लगा।एक आईएएस किसी भी क्षेत्र की समस्या, वहाँ की परिस्थिति को निवारण सकता है, मैंने आसपास के वातावरण को देखा है, समाज की समस्याओं को काफी नजदीक से देखा है, एक आईएएस अधिकारी या यूं कहें जिले के डीएम से लोगो की क्या उम्मीद रहती है, इसे काफी दिल की गहराइयों से महसूस किया है, इसलिए आईएएस के प्रति झुकाव होने लगा।मैं लगातार तीन बार असफल होने के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी और मुझे चौथी बार मे सफलता मिली।सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्र के लिए मेरी सलाह है कि लगातार मेहनत के दम पर सिविल सर्विसेज या अन्य कोई प्रतियोगी परीक्षा में सफलता अर्जित किया जा सकता है, सिविल सर्विसेज धैर्य का चीज है, जरूरी नहीं कि आप प्रथम या दूसरी बार मे निश्चित सफल ही हो जाए, इसलिए धैर्य नहीं खोये।लक्ष्य के प्रति सजग रहे और हमेशा पोजेटिव रहे। निगेटिविटी भी माइंड डाइवर्सन का एक कारण हो सकता हैं।”जब आईएएस नहीं होते तो क्या करते ? “का जवाब देते हुए अभिषेक रंजन ने कहा कि अगर आज वह आईएएस नहीं होते तो कम्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग किए हुए हैं, कहीं सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के क्षेत्र में जाते।
रिपोर्ट-श्रीधर पांडे