नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) ने राज्य सूचना आयोग कार्यालय में वित्तीय अनियमितता उजागर की है।कैग ने जनवरी,2013 से लेकर जुलाई,2015 के दौरान हुए पांच विभिन्न भुगतानों को गलत करार दिया है।आयोग कार्यालय ने भी इन भुगतानों को अनियमित मानते हुए जवाब में कहा है कि आगे किसी भुगतान में ऐसा नहीं होगा।मगर कैग इस जवाब से संतुष्ट नहीं है।कैग ने कहा है कि आयोग का जवाब इसलिए मान्य नहीं है क्योंकि ये भुगतान नियम एवं प्रावधानों के विरुद्ध किए गए हैं।बिल बुक,रोकड़ बही एवं अन्य दस्तावेजों की जांच से ज्ञात हुआ है कि आकस्मिक राशि की निकासी कर नियमित प्रकृति के खर्च किए गए हैं।राशि की निकासी कर तुरंत भुगतान की जगह बैंक खाते में तीन से छह माह या उससे अधिक समय तक राशि रखी गई है।वित्तीय वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में 27.02 लाख रुपये की विभिन्न वस्तुओं की खरीद की गई है जिनपर करीब 54,046 रुपये के आयकर की कटौती नहीं की गई। प्रावधान है कि सरकारी सम्पत्ति के बीमा पर कोई राशि खर्च नहीं की जाएगी,मगर बीमा पर 1,05,207 रुपये की राशि खर्च की गई है।करीब 8.52 करोड़ की राशि सरेंडर नहीं किए जाने पर आयोग ने कहा है कि आगे से समय पर राशि सरेंडर कर दी जाएगी।आरटीआइ एक्टिविस्ट एवं जन अधिकार मंच के संयोजक शिवप्रकाश राय ने कैग की आपत्तियों को काफी संवेदनशील बताते हुए कहा कि कम से कम सूचना आयोग कार्यालय को तो नियमों एवं प्रावधानों का सख्ती से पालन करना चाहिए।