मुंगेर में छठ पर्व का विशेष महत्व है।ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सीता ने सबसे पहले यहां छठ व्रत किया था।इसके बाद से महापर्व की शुरुआत हुई।वाल्मीकि रामायण में इस बात कि चर्चा है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जब पिता की आज्ञा पर वन के लिए निकले थे,तब वे पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ मुद्गल ऋषि के आश्रम पहुंचे थे।वहां सीता ने मां गंगा से वनवास की अवधि सकुशल बीत जाने की प्रार्थना की थी।जब लंका विजय के बाद श्रीराम आयोध्या लौटे तो राजसूय यज्ञ करने का निर्णय लिया।लेकिन,वाल्मीकि ऋषि ने कहा कि बिना मुद्गल ऋषि के आए राजसूय यज्ञ सफल नहीं होगा।इसके बाद श्री राम,सीता के साथ मुद्गल ऋषि के आश्रम पहुंचे।जहां रात्रि विश्राम के दौरान ऋषि ने सीता को छठ व्रत करने की सलाह दी थी।उनकी सलाह पर सीता ने व्रत रखा और गंगा में एक टीले पर से सूर्य को अघ्र्य अर्पितकर पुत्र की प्राप्ति की कामना की।मालुम हो की आज भी सीता के पदचिन्ह उपलब्ध हैं।कालांतर में जाफर नगर दियारा क्षेत्र के लोगों ने वहांपर मंदिर का निर्माण करा दिया।वह सीताचरण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।वह मंदिर हर वर्ष गंगा की बाढ़ में डूबता है।महीनों तक मां पद चिन्ह वाला पत्थर भी गंगा के पानी में डूबारहता है।इसके बावजूद उनके पदचिन्ह धूमिल नहीं पड़े हैं।कुछग्रामीण ने बताया कि इतना प्रसिद्ध होने के बाद भी सीताचरण मंदिर के विकासको लेकर अबतक कोई पहल नहीं की गई है।दूसरे प्रदेशों से भी लोग सीताचरण मंदिर में मत्थ टेकने आते हैं।यहां आनेवाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना भी पूर्ण होती है।मंदिर के पुरोहित रामबाबा ने कहा कि आस्था है कि सीताचरण मंदिर आनेवाला कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता है।
With Product You Purchase
Subscribe to our mailing list to get the new updates!
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.
Related Articles

किशनगंज : ओवरलोड वाहनों के परिचालन पर डीएम, एसपी से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं जदयू नेता अहमद हुसैन
17 hours ago

किशनगंज : खगड़ा रेड लाइट एरिया में देह व्यापार रैकेट का भंडाफोड़, पांच पर FIR, नाबालिग समेत छह महिलाएं मुक्त
2 days ago
Check Also
Close