बिहार में 11 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते-बिहार फ़ैक्ट शीट…

पटना बिहार आज़ाद इंडिया फाउंडेशन ने आरटीई फोरम के तहत बिहार में लड़कियों की शिक्षा से सम्बंधित फैक्ट शीट ज़ारी की, जिनके अनुसार बिहार में 6-13 वर्ष तक की आयु के 11 लाख से भी अधिक बच्चे बिहार में स्कूल नहीं जाते।बिहार, भारत के राज्यों में दूसरे स्थान पर है, जहाँ लडकियां सबसे अधिक स्कूल नहीं जाती।बिहार के लगभग 76600 स्कूलों में से केवल 8% स्कूलों में किसी न किसी प्रकार की माध्यमिक शिक्षा दी जाती है।107 प्रत्येक माध्यमिक कक्षा में छात्रों की औसत संख्या है।बिहार में केवल 21% लडकियां जो प्राथमिक स्कूल में नामांकित है, वो ही पढ़ाई ज़ारी रखते हुए माध्यमिक कक्षाओं तक पहुँचती है जबकि केवल 7% उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षा ज़ारी रखती है।अगर हम स्कूली सुविधाओं की बात करे तो बिहार में केवल 38% स्कूलों में ही बिजली आती है।अगर बिहार में स्कूल जाने वाले सभी लड़के और लड़कियों की तुलना करे तो, बिहार में 28% लडकियां और 21% लड़के कक्षा 2 की मूल पथ्य-सामग्री नहीं पढ़ पाते। 14-16 वर्ष की आयु वाले 30% लडकियां और 20% लड़के गणित के बुनयादी जमा घटा नहीं कर पाते है। 14-16 वर्ष की आयु वाले 46% लडकियां और 34% लड़के भाग के सवाल नहीं कर पाते हैं।बिहार में केवल 43% लडकियां और 45% लड़के माध्यमिक से निकलकर उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए जाते हैं।अगर हम किशनगंज ज़िले की बात करे तो अकेले बहादुरगंज प्रखंड में लगभग 6500 लडकियां कभी स्कूल नहीं गयी।एआईएफ़ की युमन हुसैन ने लड़कियों की शिक्षा को बेहतर करने के लिए प्रमुख 3 सिफारिशें की हैं जो की निम्न हैं-
- जैसे की इंचियोन घोस्णा में संस्तुति की गयी हैं, राज्य के सार्वजनिक व्यय का काम से काम 20% शिक्षा के लिए आवंटित करने की वचनबद्धता की जाये।
- ऐसे माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों तथा ब्रिज स्कूलों की संख्या बढ़ाई जाये, जो सरकारी सहायता से चलते है, तथा जहाँ मुफ्त शिक्षा दी जाती है, ताकि पढ़ाई बीच में छोड़ चुके अथवा औपचारिक शिक्षा में पीछे छूट गए छात्रों को आगे बढ़ने में मदद हो सके।
ऐसे सुधर किये जाये,जिनसे सभी शिक्षकों का पेशेवर पर्शिक्षण सुनिश्चित हो और जिनसे सीखने के नतीजों में सुधार लाने वाली नई परोधीगिकियाँ लागु की जा सके।इस फ़ैक्ट शीट का मक़सद इन चुनावों में शिक्षा ख़ास कर लड़कियों की शिक्षा को एक मुख्य मुद्दा बनाना है ताकि आने वाले समय में इस पर कारगर क़दम उठाय जा सकें।जो भी नेता इस बार पार्लमेंट में चुन कर जाते है वें इसको मज़बूती के साथ सदन में उठाए।
रिपोर्ट-धर्मेंद्र सिंह