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बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल।…

कुणाल कुमार/पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा है कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है। अस्पतालों में मरीजों की भर्ती नहीं ली जा रही है। राजधानी पटना में चार-चार मेडिकल कॉलेज हैं इसके बावजूद मरीजों को बेड नहीं मिल रहे हैं। रात में पटना एम्स, आईजीआईएमएस, पीएमसीएच और एन एमसीएच के इमरजेंसी में मरीजों की भर्ती की बिहार सरकार के आला अधिकारी ने रोक लगा दी है। जिस कारण लोगों को मजबूर होकर निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। वहां इलाज के नाम पर मरीजों से लूट की जाती है। इसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का संसद में दिया गया बयान पूरी तरह भ्रामक है। राज्य में सरकारी और निजी मिलाकर एक दर्जन मेडिकल कॉलेज हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री कहते हैं बिहार में 157 मेडिकल कॉलेज है। इससे बड़ा झूठ और क्या हो सकता है।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि बिहार के उप स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बदहाल है। अनुमण्डल और सदर अस्पताल की स्थिति भी बद से बदतर हो गई है। अस्पतालों में न ही डॉक्टर और न ही स्वास्थ्य कर्मी मिलते हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवा भी नहीं मिलती है। अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र 24 घंटे खुले रहने चाहिए, लेकिन वहां पर ताला लटका रहता है। अस्पतालों में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों की घोर कमी है। पिछले तीन साल से नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है।
नीतीश कुमार की पिछले 20 साल के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग भाजपा कोटे के मंत्रियों के पास रहा है। भाजपा के मंत्रियों ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को भट्ठी बैठा दिया है।

भाकपा राज्य सचिव ने राज्य सरकार से स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने, निजीकरण पर रोक लगाने, सभी अस्पतालों को 24 घण्टे खुले रखने, रिक्त पदों पर नियुक्ति करने, मरीजों को रात में भी भर्ती लेने की मांग की है। साथ ही पटना के मेडिकल कालेजों में रात में मरीज की भर्ती नहीं लेने के आदेश देने वाले पदाधिकारी पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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