पड़ोसी देश बांग्लादेश का भारत से भले ही मैत्रीपूर्ण संबंध हो,लेकिन वहां सक्रिय दो आतंकी संगठनों से सीमांचल को खतरा हो सकता है।पशु तस्करी की आड़ में हर 10 से 15 दिन में सीमा की बाड़बंदी काट दी जाती है।किशनगंज बीएसएफ मुख्यालय के अधीन 290.56 किलोमीटर सीमा की सुरक्षा का जिम्मा है।925 मीटर सीमाक्षेत्र की बाड़बंदी भूमि अधिग्रहण नहीं होने के कारण अटकी हुई है।परिणाम स्वरूप गलत इरादा रखनेवाले आतंकी आसानी से भारत की सीमा में प्रवेश कर सकते हैं।भूमि अधिग्रहण को ले पश्चिम बंगाल की सरकार सक्रिय नहीं अधिकारी यह भी बताते हैं कि भूमि अधिग्रहण के मामले में पश्चिम बंगाल की सरकार सक्रियता नहीं दिखा रही है।किशनगंज का इलाका पहले ही आतंकियों के स्लीपर सेल की सक्रियता को लेकर चिह्न्ति है।बावजूद,सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कभी भी हादसे का कारण बन सकती है।सूत्रों के अनुसार कादिरगंज,मालदहखंड,लच्छूगछ,सतबिट्टी आदि क्षेत्रों में आए दिन बाड़बंदी काट दी जाती है।यह सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान है।यद्यपि बीएसएफ के अधिकारी इसके पीछे पशु तस्करों का हाथ बताते हैं,लेकिन पशु तस्करी की आड़ में आतंकी घुस सकते हैं।बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी और जमायत-ए-मुजाहिदीन नामक दो आतंकी संगठन सक्रिय हैं।ये बांग्लादेश के साथ-साथ भारत को भी अशांत करने की योजना बनाते रहते हैं।सुरक्षा के लिहाज से सीमा पर जवानों की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है।नाम नहीं छापने की शर्त पर बीएसएफ के वरीय अधिकारियों ने बताया कि जवानों को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जा रहा है।बाड़बंदी के किनारे सड़क निर्माण भी किया जाएगा,ताकि लोगों की आवाजाही बनी रहे।एक बड़ी समस्या यह है कि बांग्लादेश में रहनेवाले कई लोगों के रिश्तेदार सीमा के पास रहते हैं।ऐसे में लोगों की पहचान मुश्किल हो जाती है।सीमा की सुरक्षा को लेकर बीएसएफ पूरी तरह मुस्तैद है।
रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह
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