जल ही जीवन है के महत्व के समझाएंगे बाल कैदी:-मानवेन्द्र मिश्र

नालंदा किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र अपने फैसले को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते है।उनके द्वारा हमेशा से कोशिश की जाती रही है कि किसी तरह बाल अपराधियों में जागरूकता पैदा कर उनको मुख्य धारा से जोड़ा जाए।अभी कुछ दिन पहले ही दो कैदियों को 2 माह मतदान जागरूकता अभियान के लिए लोगो को जागरूक करने और वृक्षारोपण का फैसला सुनाया था जो पूरे देश मे चर्चित रहा।लगातार किशोर अपराधियों को अपराध की जगत से दूर कर मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रयासरत मानवेन्द्र मिश्र ने आज जेजेबी कांड संख्या 244/16 और 222/15 में दोषी पाए गए दो बाल अपराधियों को अनूठी सजा सुना दी।श्री मिश्र ने बताया कि विधि विरुद्ध किशोर अपराधी को दंड देते समय यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि किशोर अपराधी के साथ भी न्याय होना चाहिए।किशोर अपराधी के मामले में कठोर दंड देकर भय द्वारा अपराध का निराकरण करना सम्यक प्रतीत नहीं होता है क्योंकि “भय सच्ची नैतिकता का आधार कभी नहीं हो सकता।यह ठीक है कि भय द्वारा मनुष्यों को अपराध करने से कुछ सीमा तक रोकना संभव है किंतु भय को ही अपराध के निराकरण का एकमात्र सीमा मान लेना वह भी किशोर के मामले में न्यायोचित नहीं है।जिलाधिकारी के निर्देशन में दोनों किशोरों को “जल ही जीवन है” के महत्व को लोगो कर बीच बताना है।अनावश्यक जल का बहाव, वर्षा जल को संरक्षित, वाटर प्यूरीफायर द्वारा अनावश्यक पानी को रोकना ,अशुद्ध जल को संरक्षण करके अन्य कामो में प्रयोग करना शामिल है।
श्री मिश्र ने बताया कि विधि विरुद्ध किशोर को साधन नही बनाया जा सकता उन्हें हतोत्साहित करने वाले सजा के बदले प्रेरणादायक सजा दी जानी ज्यादा महत्वपूर्ण है।दोनों ही किशोर इंटरमीडिएट के छात्र है, मारपीट के मामले में अपराध सिद्ध हो जाने के बाद उन्हें सुधार गृह में रखने के बजाए सीधे सामाजिक सरोकार के रूप में जोड़ा जा रहा है।जिलाधिकारी के निर्देश के बाद उनके दिए गए कार्यो को वो बखूबी दो माह तक निभाएंगे।इसी बीच उनके आचरण पर भी विशेष फोकस किया जाएगा।समय पर उपस्थिति भी देखी जाएगी।पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए सुधार गृह में रखना उचित नहीं समझा गया।
रिपोर्ट:-श्रीधर पांडे