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किशनगंज जिला कांग्रेस कार्यालय मे स्व0 इन्दिरा गांधी का पुण्य तिथि उनके तैल्य चित्र पर माल्यार्पण कर मनाया गया…

31 अक्तूबर यानी आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के शुभ अवसर पर किशनगंज जिला कांग्रेस कार्यालय मे स्व० इन्दिरा गांधी का पुण्य तिथि उनके तैल्य चित्र पर माल्यार्पण कर मनाया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष पिन्टु चौधरी ने की वही कार्यक्रम मे युवा अध्यक्ष सरफराज खान ने कहा की सरदार पटेल को देश को एक सूत्र में बांधनेवाला प्रमुख शख्स माना जाता है।गृहमंत्री के रूप में उनके लगभग तीन साल के कार्यकाल की तारीफ इस कदर होती है कि लंबा अरसा शीर्ष पदों पर गुजारने वाले शख्सों की भी वैसी तारीफ नहीं हो पाती है।वे अपने से उम्र में 14 साल छोटे पंडित जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में भले आधिकारिक तौर पर नंबर दो की हैसियत वाले शख्स थे, लेकिन वास्तविक रूप से वे बराबरी वाले 

शख्स थे।सरदार पटेल के प्रशंसकों का एक ऐसा बड़ा वर्ग भी है जो मानता है कि वास्तव में उन्हें ही देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए।हालांकि तब नेहरू को उनके व्यक्तित्व का आभामंडल व आकर्षण विशिष्ट बनाता था।बहरहाल,बात सरदार पटेल व उनके एक अनन्य सहयोगी की, जिन्होंने राजवाड़ों का विलय कराया आजादी मिलने के वर्ष ही 27 जून को नये राज्य विभाग का गठन किया गया था।इसकी जिम्मेवारी सरदार पटेल को सौंपी गयी।इस विभाग की चुनौतियों से निबटने उन्हें एक योग्य सहयोगी की जरूरत थी।जिलाध्यक्ष पिन्टु चौधरी ने 

कहा की सरदार पटेल ने वीपी मेनन को अपना सचिव चुना,जो केरल (तब मालाबार प्रांत) से आते थे।इतिहास कार रामचंद्र गुहा अपनी पुस्तक भारत गांधी के बाद में लिखते हैं-वीपी मेनन चौकन्ने किस्म के और बहुत ही तीक्ष्ण दिमाग वाले मलयाली थे।उस पद के महत्व के बिल्कुल ही विपरीत मेनन निचले तबके के कर्मचारियों से पदोन्नत हुए थे।वीपी मेनन के काम करने का तरीका बहुत अलग था।वे हर तरह की नीति अपनाते थे।अंगरेज प्रशासन में काम करते हुए उनकी नीतियों की भी उन पर छाप थी,जो सरदार पटेल के रियासतों की एकीकरण के लिए तब जरूरी था।महत्वाकांक्षी राजवाड़ों के लिए वे फूट डालने की नीति भी अपनाते थे,उन्हें चेताते थे और अन्य उपाय भी करते थे।वीपी मेनन ने एक क्लर्क के रूप में भारत सरकार की नौकरी शुरू की थी और धीरे-धीरे वे काम करते हुए ऊपर पहुंचे।वे संभ्रांत आइसीएस अफसरों से अलग थे और नीचे से ऊपर बढ़ने के कारण उनके अंदर बारीक जमीनी समझ थी।रामचंद्र गुहा ने अपनी पुस्तक में लिखा है।निचले तबके से आने के कारण उनके सहयोगी उन्हें बाबू मेनन कह कर पुकारते थे।वे अपने पुराने बॉस माउंटबेटन और नये बॉस पटेल के बीच बेहतर समन्वय बनाने की स्थिति में थे और तत्कालीन परिस्थितियों में सत्ता हस्तांतरण की पेचीदगी को सुलझाने के लिए सबसे काबिल व्यक्ति थे।विस्तार से जानने के लिए इतिहास की किताब के पन्नों को पलटना होगा।कार्यक्रम में मौजूद लक्ष्मी मोदी,हसन अंजुम किंग,सजल कुमार,जुल्फकार अहमद अंसारी,चांद हुसैन,मुस्तकीम अंसारी आलम,गुड्डू रजक मौजूद थे।वही जिला अध्यक्ष पिन्टु चौधरी ने बताया की ईन्दिरा गांधी जी आयरन लेडी के मार्गदर्शन पर युवा वर्ग चले जिनके कार्यकाल मे देश अपना लोहा विश्व को मनवाया है।

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

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