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*मानव अधिकार रक्षक की पहल पर दीघा थाना प्रभारी ने पीड़ित महिला का मामला दर्ज कर उसकी चिकित्सा जांच कराकर अपनी वाहन से उसे घर पहुंचाया।…*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना ::मानव अधिकार रक्षक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि पीड़ित महिला शीला देवी ने दिनांक 01 सितंबर, 2023 को दीघा स्थित “मानव अधिकार रक्षक संस्था” के कार्यालय में में लिखित आवेदन देकर मदद करने का अनुरोध की थी। आवेदन में उन्होंने अपने पति पर आरोप लगाया है कि वे कुछ दिन पहले बेरहमी से पीटा है और बेरहम की हद इतना हो गया था कि पति ने उनके मुंह में हाथ डालकर उनका गलफड़ा फाड़ दिया है।

उन्होंने बताया कि इस घटना का प्रत्यक्ष गवाह उनके स्वयं के बच्चे है। बच्चे खुलकर बोलते है कि पिता द्वारा मां को किस तरह लगातार प्रताड़ित करते है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि पीड़ित महिला ने इस घटना की सूचना दीघा थाना को देने गई थी, लेकिन दीघा थाना सूचना दर्ज नहीं की और कोई कार्रवाई नहीं की है। मजबूरन उन्हें मानव अधिकार रक्षक संस्था की मदद लेनी पड़ रही है।

उन्होंने बताया कि पीड़ित महिला के अनुरोध पर 04 सितंबर 2023 को मानव अधिकार रक्षक संस्था की संस्थापिका रीता सिन्हा की नेतृत्व में संस्था की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रितु कुमारी, सक्रिय सदस्य रश्मि सिन्हा, एससी एसटी विंग की महासचिव आशा देवी दीघा थाना पहुंच कर महिला का शिकायत (मामला) दर्ज कराया। शिकायत दर्ज करने से पहले थाना प्रभारी द्वारा मामले को टाल-मटोल करने की कोशिश की गई। लेकिन जब संस्था की संस्थापिका रीता सिन्हा ने थाना प्रभारी को कही कि आपके थाने में एक पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, जिससे वो और डर जाती है और न्याय के लिए यहां-वहां भटकना पड़ता है, क्या थाना इसीलिए है? ऐसे ही संभाल रहें है? आपका न्याय व्यवस्था यही है?, आपके थाने में आवेदन दर्ज करने के लिए कोई स्टाफ तक नहीं था, ऊपर से थाना के द्वारा पीड़ित महिला के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था, तब मजबूरन पीड़ित महिला को मानव अधिकार रक्षक टीम के पास आना पड़ा और तब मानव अधिकार रक्षक की टीम को बीच में आना पड़ा है। संस्था की संस्थापिका रीता सिन्हा ने सभी बातों से दीघा थाना को उनके जिम्मेवारियों से रूबरू कराई , जिससे थाना प्रभारी तुरंत ही महिला का मामला दर्ज किया और पीड़ित महिला की चिकित्सा जांच कराया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि पीड़ित महिला की चिकित्सा जांच के बाद थाना की गाड़ी से पीड़ित महिला को घर पहुंचाया। उन्होंने कहा कि बहुत ही अफसोस होता है, जब इस तरह के मामलों में भी थाना पुलिस जिस पर लोग उम्मीद लगाकर जाते है कि थाना उनकी मदद करेगी और रक्षा करेगी। लेकिन ठीक इसके विपरित थाना उनको प्रताड़ित करने लगता है। ऐसे में लोग जाएं तो कहा जाएं? इसीलिए ऐसी संस्थाओं का अधिकाधिक होना बहुत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब देखना होगा कि दीघा थाना इस मामले में कितने दिनों में संज्ञान लेती है और पीड़ित महिला को कब तक न्याय मिलता है।
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