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एसएसपी हरप्रीत कौर कॊ सौंपा गया मुजफ्फरपुर कमान…

एसएसपी हरप्रीत कौर अपने कड़क अंदाज के लिए जानी जाती हैं।इनके पति वैशाली एसपी है।हरप्रीत कौर बिहार के जाने माने चर्चित अधिकारी के बारे में जाने जाती है।2009 बैच की आईपीएस अधिकारी हरप्रीत कौर 26 जून 1980 को पंजाब के बरनाला जिला के छोटे से गांव अलकड़ा में जन्मी हैं।आपको बताते चले की आईपीएस हरप्रीत कौर के पिता जोगिन्दर सिंह टीचर हैं,और माता जस्मिल कौर गृहिणी।हरप्रीत कौर को उनके पिता बचपन से ही पुलिस अफसर के वर्दी में देखना चाहते थे।हरप्रीत भी ऐसा ही चाहती थीं।आप

को मालूम हो की हरप्रीत ने पांचवी तक की पढ़ाई अपने गांव अलकड़ा के सरकारी प्राइमरी स्कूल से की।इसके बाद प्लस 2 करने के लिए मॉडल स्कूल चंडीगढ़ आईं।इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से 2000 में बीकाँम और सीए की पढ़ाई की।इसके बाद वह यूपीएससी की तैयारी की और आईपीएस बनीं।हरप्रीत कौर की शादी बिहार कैडर के ही आईपीएस अधिकारी मानवजीत सिंह ढिल्लो से हुई है।आपको बता दें कि अपनी ट्रेनिंग के दौरान दोनों एक साथ ही थे।मानवजीत सिंह ढिल्लो और हरप्रीत कौर ने वर्ष 2011 के अक्टूबर माह में शादी की थी।मानवजीत सिंह फिलहाल वैशाली के एसपी हैं।बिहार कैडर मिलने के अपनी शुरूआती ट्रेनिंग के बाद एसपी हरप्रीत कौर जहानाबाद में बतौर एसपी 

के पद पर करीब एक साल तैनात रही।इस दौरान लेवी के साढ़े 27 लाख रुपए के साथ महिला नक्सली और बेगूसराय में 15 माह के कार्यकाल के दौरान मूर्ति तस्करों की गिरफ्तारी के बाद वे चर्चा में आईं।आइपीएस अधिकारी हरप्रीत कौर को लोग कड़क पुलिस ऑफिसर के रूप में जानते हैं।अपराधी इनके नाम से ही खौफ खाते हैं।किसी भी हालत में कानून का राज कायम रखने को संकल्पित और शराबबंदी में अहम भूमिका निभाने के लिए राज्य सरकार उत्पाद पदक से भी नवाज चुकी हैं।एसपी हरप्रीत कौर अपने कामों से लगातार सुर्खियों बनी रहती हैं।उग्रवादियों और अपराधियों को सबक सिखाने वाली एसएसपी के नाम से चर्चित एसपी हरप्रीत कौर को आंतरिक सुरक्षा पदक से सम्मानित किया जा चूका है यह सम्मान किसी आईपीएस को तब

मिलता है जब वह दो वर्ष से अधिक समय तक नक्सल क्षेत्र में रहकर शान्ति व्यवस्था कायम रख सकें।अब देखना है कि अपने काम की शैली से सिंघम की पहचान बना चुकी हरप्रीत कौर मुज़फ़्फ़रपुर को कितना बदल पाती है जो अपराध और शराब माफियायो के गढ़ के रूप में जाना जाता है।मुजफ्फरपुर माफियाओं का गढ़ है,यहा पर अनेकों चुनौती से होकर माफियाओं को जड़ से उखारने मॆ एसएसपी हरप्रीत कौर कामयाब होती है या इन्हे अपने ही सहयोगी के शिथिलता या माफियाओं से 

मिली भगत के कारण असफलता प्राप्त होता है ये समय जाहीर करेगा।ऐसे मुजफ्फरपुर मॆ कई पत्रकार,कई नेता ही भ्रष्ट है जो एसएसपी और पुलिस के पदाधिकारी के सेंटर बन जाते है।थानों की बोली लगाते है।ईमानदार कॊ भी दागदार कर देते है।तरह तरह कि साजिश और छल कपट पैरवी ताकत,के अलावे कई मुश्किल से इन्हे भी एसपी रत्न संजय,एसपी राजेश कुमार,एसपी सुधांशु की तरह गुजरना पर सकता है।जिलावासी रत्न संजय और डीएम विनय कुमार कि तरह जोड़ी कि आश मॆ थे,मगर जिले कॊ फीर भी काफी कुशल और बेहतर कार्य की उमीदें है।मुजफ्फरपुर मॆ रत्न संजय की पूर्ति कोइ एसपी या एसएसपी नही कर सका।शराब बंदी अभियान को सफल करने के

लिए उच्च अधिकारी लगे हुये है मगर यह कल्याणकारी अभियान भ्रष्ट पुलिस वाले,भ्रष्ट नेता,भ्रष्ट पत्रकार के कारण असफल हो रहा है।कमाने खाने की खींचरी ने बिहार मॆ शराब बंदी अभियान विफल कर दिया है,बड़े माफिया कॊ बचाव और कारवाई मॆ पक्षपात ने इस अभियान को फेल कर दिया है।यह करोबार सच पूछिये तो और विकराल रुप धारण कर लिया है।इसमे गाँव-गाँव तक नेटवर्क तैयार हो गये है।रक्त बीज की कहानी बन गया है।

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

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