पटना : डिजिटल चुनाव 2020

पटना/त्रिलोकीनाथ प्रसाद, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की शंखनाद हो चुका है डिजिटल वातावरण में और जनता कोरोना के कहर से कैसे मुक्ति पाये और सुरक्षित रहे उस जुगाड़ में संघर्ष कर रही है वहीं NDA डिजिटल चुनाव की वर्चुअल रैली में मशगूल है। बीते दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और गृहमंत्री व मोदी की छाया अमित शाह भी अपने लोगों को संबोधित कर रहे हैं। डिजिटल युग का स्वागत करना होगा लेकिन उससे पहले डिजिटल वातावरण एवं विकास की गाथा को पूरी सच्चाई के साथ वोटर को बताना के साथ साथ विकास वास्तव में डिजिटल रूप में दिखना चाहिए।बिहार के चुनाव में विकास कोई मुद्दा है ही नहीं क्योंकि 15 साल से लगातार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान नीतीश कुमार विकास के सगे 4 भाई 1-शिक्षा, 2-चिकित्सा, 3-सुरक्षा, 4-रोजगार और 15 साल के शासन के बाद जन्मा 5वां भाई आत्मनिर्भर के वास्तविक वजूद से सभी परिचित हैं।लालू के जंगलराज की कहानी ही नीतीश कुमार को विजय दिलाती है यह उनको भी पता है भले ही अंधभक्त विकास की रफ्तार के लिए नीतीश कुमार को विकासपुरुष मानते हैं परंतु भाजपा से जदयू के अलग होते ही उनकी औकात भाजपा कार्यकर्ता एवं नेता बता चुके हैं कि नीतीश कुमार क्या हैं। डिजिटल चुनाव के खेल में विपक्ष कहीं नजर नहीं आएगा और विकल्प बनने वाले भाजपा के डिजिटल आंधी में भटक जाएंगे।कोई भी कार्य डिजिटल कितना हो रहा है जगजाहिर है।ब्राह्मण समाज भले ही खुद को हाईटेक समझें परंतु सच्चाई यही है कि ब्राह्मण आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में ही निवास करता है और अन्य जातियां भी ग्रामीण परिवेश रहती है वह डिजिटल चुनाव में क्या भूमिका निभाएगा यक्ष प्रश्न है।फैसला आपके हाथ मे है और विकास के साथ लालू के जंगलराज भी है।ब्राह्मण और सवर्ण के लिए डिजिटल रैली बहुत सिख देगा कि आप अंधभक्ति में शामिल रहे और टिकट कोई और ले गया।ब्राह्मण विदेशी है कि समस्या पर बोलना होगा।