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आईपीएस बताकर लोगों को और पुलिस पे जमाता था धौस चढ़ा पूर्णिया पुलिस के हत्थे…

पूर्णिया इसे न तो कैडर पता है,न तो धारा पता है और न तो इसे सीबीआई का हेडक्वार्टर ही पता है।लेकिन अपने आपको 2013 बैच का आईपीएस बताता है।बताते चलें कि दोपहर 2 बजे पूर्णिया के पुलिस कप्तान विशाल शर्मा के मोबाइल पर एक फोन आता है।फोन करने वाला 2013 बैच का आईपीएस बताकर कहता है कि मैं छुट्टी पर अपने घर बनमनखी आया हुआ हूँ और मैं एक आतंकवादी को पकड़ रखा हूँ।पुलिस कप्तान विशाल शर्मा को थोड़ी शंका हुई तो उन्होंने उस आईपीएस का कैडर पूछ लिया तो उधर से उस फर्जी आईपीएस ने घबराकर कहा कि मैं आपके डीजीपी से बात करता हूँ।लेकिन 26 जनवरी के मद्देनजर पूर्णिया पुलिस कप्तान विशाल शर्मा ने अपने बनमनखी के एसडीपीओ विभाष कुमार और उनकी टीम को एक्टिव किया और मामले को गम्भीरता से लेने का आदेश दिया।बनमनखी एसडीपीओ को इस बात की सूचना मिलते ही पूरी पुलिस टीम एक्टिव हो गई।एसडीपीओ ने सूचना के आधार पर उस मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क किया तो उधर कहा गया कि मैं बी0एस0 तिवारी आईपीएस बोल रहा हूँ।उसके बाद बनमनखी के सर्किल इंस्पेक्टर अनमोल यादव के साथ टीम को भेजा गया।फिर शुरू हुआ रात 10 बजे से लेकर रात के 1 बजे तक का हाईवोल्टेज ड्रामा।जानकारी के मुताबिक बक्सर का रहने वाला बम शंकर तिवारी जो वर्षों से बनमनखी में आकर रह रहे है।बम शंकर तिवारी के पिता बनमनखी में ही पोस्टेड थे।बम शंकर तिवारी पढ़ने में औसत दर्जे का छात्र था।आईपीएस नहीं बन सका तो शुरू कर दी फर्जी गिरी और इसी तरह पुलिस और लोगों पर अपनी फर्जीगिरी का धौंस दिखाते फिरते थे।इसी दरम्यान उन्होंने पूर्णिया पुलिस कप्तान विशाल शर्मा को एक आतंकवादी को पकड़ने की सूचना दी।इसी सूचना के आधार पर जब पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो निकल गई सब हवा।जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती बरती तो घर मे दरवाजे बंद कर चिल्लाने लगे कि आपलोग मेरे घर से निकल जाओ वरना मैं आत्महत्या कर लूंगा।उसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए दरवाजे को तोड़कर बाहर निकाला और गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है।घटना की जानकारी के लिए बनमनखी एसडीपीओ विभाष कुमार ने बताया कि बम शंकर तिवारी को आईपीएस नही है।हमलोगों ने सबकुछ जांच कर लिया।ये एक फर्जी आदमी है जो अपने आपको आईपीएस बताकर लोगों को और पुलिस को गुमराह कर रहा था।फिलहाल वो पुलिस की गिरफ्त में है कार्रवाई की जा रही है।

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