सिलसिला बना सड़क जाम करना और उपद्रव फैलाना, आम बात बन गये कानून हाथ मॆ लेना
छोटी बड़ी घटनाओं मॆ जारी है सड़क जाम और उपद्रव फैलाने का सिलसिले कई दिनो की किये गये परताल पर मिली जानकारी के अनुसार कल्याण की दिशा मॆ राहत और बचाव के लिये यह जानकारी।जानलेवा बना किसी वारदात मॆ सड़क जाम।कौन करवाता है और क्यों करवाता है सड़क जाम ? क्या निकला निदान ? सड़क जाम या उपद्रव से क्या मिलता है लाभ ? वारदात कोइ और करता है,गलती किसी की भी होते है फीर भी प्रशासन के विरोद्ध क्यों लगता है नारा ?
- अपनी क्षति पूर्ति के लिए या माँग के लिए आमलोगों को मुश्किल मॆ डालना क्या उचित है ?
- जटिल बन रहे इस सम्स्या पर कोइ निदान का निर्णय क्यों नहीँ लेता ?
- सड़क जाम या उपद्रव पर अनेकों प्राथमिकी दर्ज होते है फीर भी यह रुकता क्यों नहीँ ?

महामारी बन गया है अब सड़क जाम का मुख्य कारण प्रशासन के प्रति किसी कारवाई या माँग कॊ लेकर अविश्वास होना है।सड़क जाम गुमराह कर प्रेरित कर पीडितों को किसी हादसे के शिकार होने पर मोटी रकम मुआवजा प्रलोभन देकर कूछ कथित नेता और दलाल या अन्य कोइ चाटुकार कथित पत्रकार करवा देते है।सड़क जाम किसी बड़ी या छोटी खुन्नस निकालने कॊ लेकर या किसी प्रतिशोध का बदला लेने को लेकर करवा दिया जाता है।आपको को मालूम हो की इस सम्बन्ध में महाकाल के परम भक्त श्री दीपक जी आनंद जी महराज कहते है की सड़क जाम कर माँग कॊ पुरा करने मॆ उपद्रव करने वाले आस पास के ही होते है,उसमॆ कूछ पर्दे के पिछे से नेतृत्व कर अपना उल्लू सीधा करते है।सड़क जाम अधिकाँश तौर पर प्रशासन के प्रति गुमराह कर कारवाई या मोटी रकम मुआवजा की लोभ मॆ कर या करवा दिया जाता है।पिछले कई माह से छोटी छोटी घटना या छोटी छोटी समस्या को लेकर छोटे बड़े सड़क को जाम कर उपद्रव की घटना प्रशासन और सरकार कॊ काफी परेशान कर रख दिया है।इन जाम मॆ और उग्र प्रदर्शन मॆ आगजनी और तोड़ फोर कि घटना भी हो रहे है।सरकारी और गैर सरकारी सम्पति की छति काफी बड़े तादाद मॆ उपद्रव फैलाने वालो द्वारा किया जा रहा है।सड़क जाम मॆ आतुर वाहन,प्रशासनिक वाहन समेत स्कूल बस,नौकरी पेशे वाले विवश होकर काफी मुश्किल उठाते है,इमरजेंसी वाहन को भी रोक कर उपद्रव किया जाता है जिससे हताहत की घटना हो जाते है।सड़क जाम और फैले उपद्रव कॊ नियंत्रण करने मॆ नीचे के पदाधिकारी से लेकर उच्च अधिकारी को काफी संघर्ष करना पड़ता है।राष्टीय राज्य मार्ग और अन्य मार्गों पर वाहन कि लम्बी कतार लग जाते है जो बड़ी मुसीबत बन जाता है।आवागमन बाधित होता है और हर किसी का जो आवागमन कर

रहे होते है उनकी यात्रा मुश्किल हो जाता है।सड़क जाम करना और करवाना या उपद्रव फैलाना या फैलाबाना सरकारी या गैर सरकारी सम्पति कॊ क्षति करना तोड़ फोर या आगजनी करना दंडनीय अपराध है।यह कानून तोड़ने के दायरे मॆ आता है इसपर संबंधित थाने मॆ साक्ष्य जुटा कर नियमतह प्राथमिकी दोषी पर होते है।अपनी हक या किसी एक कि माँग या किसी भी कारण या किंतु को लेकर सड़क जाम करना या उपद्रव करना आगजनी करना,तोड़ फोर करना या करवा देना कही से उचित नहीँ है।कई ऐसे घटना भी होते है की प्रशासन के अंग जो समाज के सुरक्षा की जिम्मेवारी लिये होते है पुलिसकर्मी उन्हे भी उपद्रव करने वाले आक्रमक रुप मॆ पेश आकर दुर्व्यवहार या पिटाई हमले कर या करवा देते है जो काफी असहनीय घटना है।ये सब कानून के साथ खिलवाड़ और खुद के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के समान है।इन सब मॆ दोषी होने पर थाने मॆ प्राथमिकी दर्ज होते है।जीवन नर्क हो जाता है।सड़क जाम करने से नुकसान के अलावे लाभ नहीँ है। निहित क्षति पूर्ति या निहित कार्य यानी अपनी कार्य बनाने के लिये समाज के असंख्य का कार्य बिगाड़ना घोर अपराध और महापाप है।इसका दंड कानून के नियम से निश्चित मिलते है।कानून और विधाता ऐसे कुकृत्य करने वालो कॊ समय पर भयानक दंड देते है।दंड तो उन्हे अवश्य मिलते है जो दंड पाने योग्य कुकृत्य करते है।गाँव और शहर मॆ ऐसे नेता भी होते है जो किसी भी वारदात मॆ गुमराह कर मोटी मुआवजा के लोभ मॆ सड़क जाम या उपद्रव करवा कर अपना उल्लू सीधा करता है। नतीजा जो पीडित होते है उनपर कानून तोड़ने का प्राथमिकी दर्ज हो जाता है।मोटी मुआवजा या किसी माँग मॆ किये गये सड़क जाम कानूनन अपराध है।कई इलाकों मॆ प्रशासनिक पदाधिकारी या पुलिस पदाधिकारी का छवि खराब होता है।दलाल और माफिया,अपराधी से मिली भगत के कारण आम जनता किसी वारदात पर किसी नेता के बातो मॆ आकर अविश्वास होने के कारण कानून तोड़ने की बड़ी घटना कर देते है।जनता मॆ पकड़ नहीँ होने के कारण कई परेशानियों से बड़ी घटना होने पर थानों के पुलिस को गुजरना पड़ता है।पुलिस कर्मी की छवि खराब होने या माफिया,दलाल के संगति मॆ होने पर आमजनता उनकी बाते नहीँ मानते है।

सड़क जाम कर या अन्य वारदात कर उच्च अधिकारी कॊ बुलाने कि माँग करते है।किसी भी वारदात मॆ अनायास ही प्रशासन के कारवाई को बिना जाने समझे उग्र होकर नारे बाजी करने लगते है।जबकि घटना मॆ दोषी प्रशासन के पदाधिकारी हो या नहीँ,नारे बाजी निश्चित होता है।कूछ वारदातों मॆ माफिया और दलाल अवसर का तलाश कर कूछ भ्रष्ट नेता अपनी राजनीति चमकाने के फिराक मॆ मौका देखते किसी वारदात पर सड़क जाम करवा देता है।आमजनता के भीड़ मॆ गुंडो को सेटिंग कर बड़े बड़े क्षति करवा देता है।अधिकाँश ऐसे वारदात केवल सत्ता हासिल करने के फिराक मॆ साजिश के तौर पर शासन और प्रशासन कॊ बदनाम करने के लिये दुष्ट प्रब्रती के नेता गण अपने गुंडो से करवा देते है जो कोइ वारदात को साजिश का शिकार बनाते है।पुलिस पदाधिकारी का जनता मॆ पकड़ आवश्यक है।गुमराह करने वाले या फिजूल का सलाह देकर कानून तोड़ने पर आमदा करने वालो कॊ गुंडा पंजी मॆ नाम अंकित कर सबंधित थानों पर बोड पर नाम अंकित किया जाना आवश्यक है।सड़क जाम करने पर या उपद्रव करने पर मुआवजा का प्रबंध प्रवधान बंद किया जाना आवश्यक है।पुलिस पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकरी, आंचलाधिकारी को गाँवों मॆ जनता के

बीच पकड़ रखने पर कार्य अभियान चलाया जाये,ताकि कोइ भी वारदात मॆ पीडित या आमजनता कॊ कोइ गुमराह कर प्रशासन के प्रति आक्रमक नहीँ बना सके।छोटी घटना को तत्परता से लेते हुये पूरी तैयारी के साथ यथाशीघ्र निपटा ले,कोइ भी सूचना पर आवश्यक जाँच कर त्वरित गति से कारवाई करना आवश्यक है।सड़क दुर्घटना या अन्य घटनाओं कॊ हल्के मॆ मत ले और जनता की गम्भीर बात सुनते हुये उसे जटिल होने से पहले निपटा लेना आवश्यक है।प्राय पाया जाता है कि विरोध की राजनीति करने वाले या माफिया तंत्र,दलाल किस्म के कमाने खाने वाले जनता मॆ दुष्प्रचार कर भीड़ को आक्रमक कर देते है।जनता असंतोष पाल लेती है,निराश हो जाती है उसका प्रशासन से विश्वास उठ जाता है।प्रशासन कॊ हर सम्भव प्रयास कर जनता मॆ अटूट विश्वास लाना चाहिये,जो मौका आने पर सहयोगी बने।सारा सिस्टम जनता के और मानव हित के लिये बने हुये है।यह समस्या गम्भीर है।इसे गम्भीरता से लेते हुये इस पर कारगर कदम उठाना अति आवश्यक है।
रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह