वाराणसी के कैथी गांव में सुरंग मिलने से है।स्वामी सारदानंद के छद्मनाम से नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के कैथी में एक कन्दरा की सुरंग के प्रयोग की चर्चा पूर्व में रही है।वाराणसी में गंगा तट पर स्थित कैथी गांव में एक सुरंग मिलने से हलचल मच गयी।एक जानकारी के मुताबिक स्वामी सारदानंद के छद्मनाम से नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के कैथी में एक कन्दरा के अंदर रहने और सुरंग का प्रयोग करने की चर्चा पूर्व में रही है।ज्ञातव्य है कि कैथी के आसपास के क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व रहा है।किसी समय पास के चंद्रवती गाँव स्थित राजा डोमनदेव के किले से गंगा-गोमती संगम कैथी तक सुरंग होने की बात भी सुनी गई थी।बताया गया है कि कैथी प्राइमरी स्कूल के पास प्राचीन पाकड़ पेड़ के नीचे रहनेवाले राम सेवक उर्फ़ पप्पू गिरी के यहाँ खुले में शौच से मुक्ति अभियान के तहत ग्रामसभा की ओर से शौचालय निर्माण किया जा रहा था।सोखपिट खोदने के कार्य में उनके पुत्र अंकित गिरी और सूरज गिरी लगे हुए थे।लगभग 5 फीट चौड़ाई का गड्ढा 5 फीट तक खोदा जा चुका था तभी अचानक गड्ढे की मिटटी धंस गयी और सूरज गिरि फावड़े सहित उसमें गिर गया सौभाग्य से पकड़ी के विशालकाय पेड़ की जड़ को पकड़ लेने के कारण अधिक गहराई में जाने से बच गया किन्तु फावड़ा अंदर चला गया। लोगों ने उसे तत्परता दिखा वहां से बाहर निकाल लिया।इस दौरान थोड़ी देर तक सुरंग से दमघोटू गैस भी निकलती रही तो किसी ने अंदर घुसने का साहस नही किया।अंदर घोर अँधेरा दिख रहा था,लगभग 2 घंटे बाद टार्च और बल्ब की रोशनी से किसी प्रकार फावड़ा रस्सी में फंसा कर निकाला गया,सुरंग की चौड़ाई 3 फीट और गहराई अनुमानतः 20 फीट है जो भीतर जाकर उत्तर दिशा की तरफ जाती प्रतीत हो रही है।
स्वामी सारदानंद के छद्मनाम से नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के कैथी में एक कन्दरा के अंदर रहने और सुरंग मार्ग का प्रयोग करने की भी चर्चा पूर्व में रही है। राम सेवक गिरी ने बताया कि उनका परिवार इस स्थान पर 5 पीढ़ी से आबाद था इसके पूर्व यह भूमि गाँव के ही दिनेश सिंह के परिवार की थी।आस पास के बड़े बुजुर्गों ने बताया कि इस स्थान पर कोई निर्माण, कुआं, पेड़ आदि कुछ कभी नही था। बात फैलने से लोग सुरंग के आस पास कौतूहल वश जुटने लगे।इस दौरान आस-पास के गांवों से भी लोग जमा हो गये। विभिन्न तरह की चर्चा जोरों पर होने लगी।स्थानीय लोग इसे ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा बता रहे हैं।स्वामी सारदानंद के छद्मनाम से नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के कैथी में एक कन्दरा के अंदर रहने और सुरंग मार्ग का प्रयोग करने की भी चर्चा पूर्व में रही है।कुछ वर्ष पूर्व प्राचीन काल के रत्न आभूषण और मुद्राएँ कैथी स्थित मार्कंडेय महादेव घाट में गंगा नदी में मिली थी जिसे पुरातत्व विभाग ने अध्ययन हेतु अपने कब्जे में ले लिया था।ग्रामीणों में चर्चा है कि संभव है कि काशी नरेश की टकसाल वाराणसी से सारनाथ होते हुए राजा डोमन देव के किले से कैथी के रास्ते राजा की वाडी राजवारी गाँव तक जाने का भूमार्ग रहा होगा।जिससे खजाने का आवागमन किया जाता रहा होगा।वैसे संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि 10 पीढ़ी पहले संभवतःयहाँ कोई जलस्रोत भी रहा हो।ग्रामवासियों ने दूरभाष से जिले के अधिकारियों को सूचित करके पुरातात्विक जांच की मांग की है जिससे इस रहस्य से पर्दा उठ सके।
रिपोर्ट:-न्यूज़ रिपोटर
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