देशराज्य

जिला के बरमसिया जंगल में नक्सलियों ने डाला डेरा,ठंड के मौसम में घने कोहरे के कारण जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाना होता है मुश्किल,और घना होगा लाल आतंक का साया….

f

ठंड में हुई नक्सली वारदातें 14 जनवरी 2005:-कजरा रेलवे स्टेश्न के बैरेक पर हमलाकर हथियार लूट लिए 15 जनवरी 2005:-भीमबांध में बारुदी सुरंग विस्फोट कर नक्सलियों ने मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी सुरेंद्र बाबू सहित पांच पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारा।26 फरवरी 2007:-कजरा थाना के खैरा गांव स्थित पुलिस पिकेट पर हमलाकर पुलिस कर्मियों की हत्या कर हथियार की लूट।12 दिसंबर 2007:-किऊल झाझा रेलखंड पर ट्रैक उड़ाया 25 दिसंबर 2008:-भागलपुर-मुजफ्फरपुर जनसेवा एक्सप्रेस में एस्कार्ट पार्टी पर हमला बोलकर हथियार व कारतूस लूट लिए,एक जवान की हत्या वर्ष 2013:-जमालपुर सुरंग के पास इंटरसिटी एक्सप्रेस में एस्कार्ट पार्टी पर हमला बोलकर तीन जवान की हत्याकर दी और हथियार व कारतूस लूट लिए।इससे पहले ऋषिकुंड में नक्सलियों ने ठंड के समय ही तीन सैप जवान की गोली मारकर हत्या कर दी थी।वहीं,भागलपुर के अकबरनगर कैंप पर भी ठंड के मौसम में ही हमला किया था।दिन भले पुलिस-सुरक्षा बल का हो,पर रात अपनी है।नक्सली यह जुमला अक्सर इस्तेमाल करते हैं।ठंड के मौसम में रात लंबी हो जाती है।यही कारण है कि नक्सली ठंड के मौसम को अपने लिए अनुकूल मानते हैं। घने कोहरे के कारण शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है।इसी का लाभ उठाते हुए नक्सली अक्सर आपराधिक वारदातों को अंजाम देते रहे हैं।ठंड के दस्तक देते ही एक बार फिर से नक्सलियों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।नक्सलियों की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने नक्सल प्रभावित मुंगेर,जमुई और लखीसराय जिला को अलर्ट जारी कर दिया है।पुलिस सूत्रों की माने तो नक्सलियों का हथियारबंद दस्ता ने लखीसराय जिला के बरमसिया जंगल में डेरा जमाए हुए है।वहां नक्सली न सिर्फ युवाओं को संगठन से जोड़ने और उन्हें प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं बल्कि जंगली क्षेत्र से सटे इलाके में बड़ी वारदात को अंजाम देकर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की रणनीति भी बना रहे हैं।ठंड के मौसम में नक्सलियों की सक्रियता बढ़ने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इस मौसम में जंगली क्षेत्र में सर्च आपरेशन चलाना आसान नहीं रहता है।एक वरीय पुलिस पदाधिकारी ने कहा कि कोहरे के कारण विजिवलिटी काफी कम हो जाती है।जंगली इलाके में तो थोड़ी दूर की चीजें भी नजर नहीं आती है।ऐसे में नक्सलियों के खिलाफ सर्च आपरेशन चलाना जोखिम भरा होता है।सर्च आपरेशन की रफ्तार धीमी पड़ने के कारण ही ठंड में नक्सलियों की सक्रियता बढ़ जाती है।पुराने आंकड़े भी बताते हैं कि नक्सली ठंड के मौसम में ही अत्यधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं और कम विजिवलिटी का सहारा लेते हुए जंगल में गुम हो जाते हैं।जवानों को हथियार और कारतूस के साथ गर्म कपड़ा भी लेकर जाना पड़ता है।कम विजिवलिटी के कारण पहाड़ पर चढ़ना खतरनाक होता है।पहले से ओट लिए बैठे नक्सली आसानी से सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रख पाते हैं।ठंड के मौसम को नक्सली मानते हैं अपने लिए अनुकूल,जिला के बरमसिया जंगल में नक्सलियों ने डाला डेराठंड के मौसम में कम दृश्यता के कारण पहाड़ी और जंगली क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ सर्च आपरेशन चलाने में परेशानी होती है।लेकिन, सीआरपीएफ,एसएसबी,एसटीएफ के प्रशिक्षित जवान हर चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं। वही कप्तान आशीष भारती, मुंगेर का कहना है की नक्सलियों के हर मूवमेंट पर नजर रखी जारही है।पड़ोसी जिलों से समन्वय बनाकर नक्सलियों के खिलाफ लगातार सर्च आपरेशन चलाया जा रहा है।पुलिस नक्सलियों की हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है।

रिपोर्ट:-धर्मेन्द्र सिंह 

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!