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बिहार संस्कृत संजीवन समाज की ओर से पटना के काजीपुर स्थित राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में संस्कृतमय वातावरण में सम्पन्न हुआ।

त्रिलोकी नाथ प्रसाद -राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मनोज कुमार ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन करते हुए कहा कि ज्ञान को व्यहार में लाकर ही संस्कृत भाषा की रक्षा की जा सकती है। अपने देश में अपनी ही भाषा उपेक्षित दिख रही है,जो चिंता का विषय है। अमृत महोत्सव के साथ अमृततुल्य संस्कृत भाषा को विभिन्न स्तरों पर उपेक्षित किया जा रहा है,जो अनुचित है। भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय मंत्री श्री शिवाकांत तिवारी मुख्य अतिथि पद के रूप में बोलते हुए कहा कि इस भाषा का विकास सृष्टि के प्रारंभ से है। भारतीय संस्कृति और संस्कार एवं सभ्यता की रक्षा संस्कृत की रक्षा पर मुख्य वक्ता के रूप में विचारों को व्यक्त करते हुए पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ मिथिलेश कुमार ने कहा कि नूतन शिक्षा नीति २०२०के नियमों का पालन करते हुए प्राथमिक कक्षा से संस्कृत का अध्ययन करवाना चाहिए। इसके अनुरूप शिक्षकों का चयन एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे उच्च कक्षा में भी छात्र आसानी से संस्कृत का अध्ययन कर सकते हैं। अध्यक्षीय भाषण में विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कहा कि संस्कृत भाषा वसुधैव कुटुंबकम् एवं सर्वे भवन्तु सुखिन: के अनुसार सभी के कल्याण की भावना रखती है। बिहार सरकार से अपील है कि डी एल एड कोर्स में संस्कृत छात्रों का नामांकन किया जाए। सरकार से सकारात्मक परिणाम की आशा की जाती है। मोनिका झा ने संस्कृत में आधुनिक गीतों कोगाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ पल्लवी, डॉ संजय कुमार सिंह,श्रद्धा कुमारी, जय किशन,, विष्णु कांत द्विवेदी, गोपाल झा आदि वक्ताओ ने भी संस्कृत में संस्कृत भाषा की महत्ता पर प्रकाश डाला। डॉ संजय कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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