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ठाकुरगंज : पौआखाली में नशे का बढ़ता कहर: युवाओं को जाल में फंसा रहे माफिया, प्रशासन व समाज की बढ़ती चुनौती

किशनगंज,02जून(के.स.)। फरीद अहमद, जिले के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत पौआखाली थाना क्षेत्र में नशे का कारोबार एक विकराल रूप ले चुका है। युवाओं के जीवन को बर्बादी की ओर धकेलने वाले इस नशीले जाल का सबसे खतरनाक पक्ष यह है कि इसकी गिरफ्त में आने वाले अधिकांश युवक 14 से 25 वर्ष के हैं—यानि समाज का भविष्य।

खतरनाक नशा ‘स्मैक’ और एमडीएमए की चपेट में युवा पीढ़ी

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पौआखाली, नूरी चौक, हाई स्कूल मैदान, स्टेडियम, चावल हट्टी जैसे सार्वजनिक स्थान अब नशेड़ियों के अड्डे बन चुके हैं। युवाओं को ‘स्मैक’ और एम.डी.एम.ए जैसे खतरनाक नशीले पदार्थ बेहद आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। खास बात यह है कि इस कारोबार में नेपाल और बंगाल सीमा से जुड़े नेटवर्क की भूमिका भी सामने आ रही है।

अपराध में बढ़ोतरी और सामाजिक असुरक्षा

इस लत के कारण कई युवक अपनी पढ़ाई, करियर और पारिवारिक जिम्मेदारियों से दूर होते जा रहे हैं। कुछ युवक नशे की पूर्ति के लिए चोरी, झपटमारी जैसी घटनाओं में भी शामिल हो रहे हैं। क्षेत्र में चोरी की घटनाओं में हाल के महीनों में वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे आम नागरिकों में डर का माहौल है। एक स्थानीय बुजुर्ग ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, पहले यह इलाका शांत था, लेकिन अब शाम होते ही डर लगने लगता है। हर मां-बाप को चिंता है कि उनका बच्चा किस संगत में है।”

प्रशासनिक कार्रवाई नाकाफी, माफिया नेटवर्क मजबूत

हालांकि पुलिस प्रशासन द्वारा समय-समय पर छापेमारी और कार्रवाई की जाती रही है, लेकिन नशे का माफिया नेटवर्क इतना मजबूत हो चुका है कि ठोस परिणाम अब तक नहीं दिख रहे। स्थानीय बाजार के कई युवक इन माफियाओं से जुड़े पाए गए हैं।

पूर्व समिति सदस्य नौशाद आलम ने कहा, स्मैक जैसे नशीले पदार्थ कहां से आ रहे हैं, यह प्रशासन द्वारा गहन जांच का विषय है। इस कारोबार में संलिप्त लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।” उन्होंने समाज से भी अपील की कि वे अपने बच्चों, भाइयों, और युवाओं पर नजर रखें और उन्हें समय रहते सही मार्गदर्शन दें।

समाज की भूमिका अहम, चाहिए सामूहिक चेतना और पहल

सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई से यह समस्या खत्म नहीं होगी। समाज के जिम्मेदार नागरिकों, बुद्धिजीवियों, शिक्षकों और धार्मिक नेताओं को एकजुट होकर नशा विरोधी अभियान छेड़ना होगा। नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या और पहुंच भी बढ़ाने की जरूरत है।

विशेषज्ञों का मानना है कि नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान, शिक्षा संस्थानों में विशेष कार्यक्रम, और पुनर्वास केंद्रों की मदद से इस सामाजिक बुराई से लड़ना संभव है। जरूरत है समय रहते एक निर्णायक पहल की—वरना नशे की यह लहर पौआखाली ही नहीं, पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले सकती है।

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