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किशनगंज : राष्ट्रसंत आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज का दिगंबर जैन मंदिर के प्रांगण में हुआ पदार्पण।

कमांडेंट मुन्ना सिंह ने आचार्य सागर जी महाराज का किया स्वागत।संत और सिपाही बिल्कुल एक समान होते हैं, संत भौतिक सुखों से परे अपनी तपस्या के द्वारा विश्व कल्याण की कामना करते हैं। वहीं सिपाही भी राष्ट्र की सुरक्षा हेतु अपने परिवार और भौतिक सुखों से दूर, अपने इष्ट मित्रों से दूर, सीमाई क्षेत्र में मौसम के विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य का निर्वहन पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से करते हैं।नफरत से कल्याण संभव नहीं है, भगवान महावीर के पांच सिद्धांत से पूरे विश्व का कल्याण संभव-आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, भारत भ्रमण के अंतर्गत राष्ट्रसंत जैन आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज का श्री दिगंबर जैन मंदिर किशनगंज के प्रांगण में सोमवार को पदार्पण हुआ है। आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज का स्वागत 12वीं वाहिनी, सशस्त्र सीमा बल के कमांडेंट मुन्ना सिंह, एवं वाहिनी के अधिकारी, अधीनस्थ अधिकारी एवं बल सदस्यों ने उनका श्रीफल भेंट कर किया। आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज ने अपने अनुयायियों और वाहिनी के अधिकारियों एवं बल कर्मियों को अपने प्रवचन से संबोधित करते हुए बताया कि संत और सिपाही बिल्कुल एक समान होते हैं। संत भौतिक सुखों से परे अपनी तपस्या के द्वारा विश्व कल्याण की कामना करते हैं तो वहीं सिपाही भी राष्ट्र की सुरक्षा हेतु अपने परिवार और भौतिक सुखों से दूर, अपने इष्ट मित्रों से दूर, सीमाई क्षेत्र में मौसम के विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य का निर्वहन पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से करते हैं। उन्होंने कहा कि जैन धर्मावलंबी सभी जीवों के कल्याण की भावना रखते हैं, वे केवल जैन धर्म की बात नहीं करते पूरे मानवता के कल्याण हेतु प्रतिबद्ध होते हैं। संपूर्ण भारत में वे जहां-जहां भी विहार करते हैं वहां मानव जाति को प्रेम, आत्मीयता, वात्सल्यता का संदेश देते हैं। संत और समाज सुधारक लोग विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के द्वारा समाज के लगभग 90% लोगों के मन, वाणी, विचार और कर्म को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं। शेष 10% या इससे कमतर लोगों को जो गैर अनुशासित या अवैध गतिविधियों में लिप्त रहते हैं उन्हें कानून व्यवस्था हेतु जिम्मेदार संस्थाएं यथा प्रशासन, पुलिस, सुरक्षा बल सुधार देते हैं। जो मंदिर, गुरुद्वारे नहीं जाते उन्हें जेल में जिंदगी बितानी होती है। कमांडेंट मुन्ना सिंह, ने जैन आचार्य श्री प्रमुख सागर जी के स्वागत उद्बोधन में कहा कि बल में सभी धर्मों के लोग एक साथ मिल जुलकर अपनी मातृभूमि तथा जनता की सुरक्षा को अपने हर आवश्यक त्याग के साथ, अर्थात् अपने घर परिवार से दूर रहकर, विषम परिस्थितियों में और हर मौसम में सुनिश्चित करते हैं। 

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