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सिपाही था अकेला और उसके दुश्मन थे 30…

गोरखा सैनिकों का अपने साहस और निर्भीकता के चलते पूरी दुनिया में एक ख़ास रूतबा हासिल है।अपने देश के प्रति ग़ज़ब की वफ़ादारी के चलते गोरखा रेजीमेंट वीरता के कई नए आयाम स्थापित कर चुकी है।गोरखा सैनिकों के बारे में भारत के सेनाध्यक्ष रहे सैम मानेकशॉ ने एक बार ये भी कहा था,यदि कोई शख़्स कहता है कि उसे मरने से डर नहीं लगता,तो वह या तो झूठा है या गोरखा।ऐसे ही एक ज़ांबाज़ सैनिक हैं दीप प्रसाद पन,जिन्होंने तालिबानी आतंकवादियों के बीच फंसने के बावजूद अपने अद्भुत साहस और सूझ-बूझ के चलते 30 आतंकियों को ढेर कर दिया था।सितंबर 2010 में दीपप्रसाद पन को अफ़गानिस्तान में सेवाओं के लिए भेजा गया था।सितंबर की एक गर्म रात में हेलमांद प्रांत के पास स्थित अपनी चौकी पर दीप ड्यूटी कर ही रहे थे,कि तभी

    

आस-पास नज़रें दौड़ाने पर उन्होंने पाया कि कई तालिबानी आतंकियों ने उन्हें चौकी के चारों तरफ से घेर लिया थ।जब दीप प्रसाद को लगा कि वो चारों तरफ से घिर चुके हैं,तो उन्होंने घबराने के बजाए अकेले ही मोर्चा संभाल लिया।दोनों तरह से गोलियों की ताबड़तोड़ बौछार होने लगी।तालिबानी आतंकियों ने उन पर 15 मिनट से ज़्यादा समय तक एके-47 से ताबड़तोड़ हमले किए थे।दीप ने भी आतंकियों पर कई राउंड फायरिंग की,कई ग्रेनेड भी फेंके और जब ग्रेनेड ख़त्म हुए,तो रायफल से आतंकियों पर गोलियों की बौछार करनी शुरु कर दी।सेना उनकी मदद के लिए पहुंचती,उससे पहले ही वे 30 तालिबानी आतंकियों को ढेर कर चुके थे।उस घटना 

का अनुभव बताते हुए दीप ने कहा कि“लड़ाई घमासान हो रही थी कि तभी मैंने देखा कि एक तालिबानी लड़ाके गार्ड हाउस से सटे टावर की ओर चढ़ने की कोशिश कर रहा था,मुझे मालूम था कि मुझे किसी भी तरह से उसे ज़मीन पर गिराना है।मैंने उस लड़ाके को वहां से हटाने में कामयाबी हासिल तो कर ली,लेकिन तभी मेरे हथियार ने गच्चा दे दिया। मेरी गोली नहीं चली।मैने मशीनगन का ट्राईपॉड उठाकर तालिबानी के चेहरे पर दे मारा,जिससे वो आतंकी बिल्डिंग की ज़मीन पर गिर गया।दीपप्रसाद को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उनकी इस बहादुरी के लिए‘बकिंघम पैलेस’ में एक समारोह के दौरान ‘Conspicuous Gallantry Award’ से सम्मानित किया था।दीप ने इस समारोह में कहा था कि“जिस तरह से तालिबानियो ने मुझे चारों ओर से घेर लिया था,मुझे समझ आ गया था कि मेरा मरना तय है। तब यही सोचा कि जितने ज्यादा लोगों को मार सकूंगा, मारकर ही दम 

 

लूंगा और जैसे ही मैंने फायरिंग करनी शुरु की,मेरा डर जाता रहा।दीप ने अपने इस हैरतअंगेज कारनामे से न केवल तालिबानियों को खदेड़ा,बल्कि अपने तीन साथियों की जान बचाने में भी कामयाबी हासिल की।उन्हें ये भी अंदाज़ा नहीं था कि कितने तालिबानी उन पर हमला कर रहे हैं।जिस समय ये घटना हुई,उस समय तक दीप अपना आधा ही समय अफ़गानिस्तान में पूरा कर पाए थे और तालिबानियों के साथ अपनी जंग के बाद उन्हें विश्वास हो चला था कि दुश्मन उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता।दीप प्रसाद ने इस मुठभेड़ के दौरान कुल मिलाकर 400 राउंड गोलियां,17 ग्रेनेड और एक माइन को बम से ध्वस्त किया था।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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