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750 बच्चों को पढ़ा रहे मात्र दो शिक्षक,वही आर्ट के शिक्षक पढ़ा रहे विज्ञान-गणित,कैसे पार लगे बच्चों की नैया…सड़क की हालात भी बद से बदत्तर !

  • 47 हजार स्कूल हैं प्रदेश में ।

  • 10 हजार आर्ट के शिक्षक पढ़ा रहे ।

  • 35 हजार 325 प्राइमरी स्कूल हैं प्रदेश में ।

  • 2 लाख से ज्यादा शिक्षक पढ़ाने के लिए तैनात बच्चों को ।

अररिया रानीगंज प्रखंड के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय,लालपुर मझुआ में 750 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र दो नियोजित शिक्षक हैं।यहां के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।शिक्षकों को नहीं मिलता पढ़ाने का समय विद्यालय में पहली से आठवीं कक्षा के 549 और नवीं-दसवीं कक्षा में 182 छात्र नामांकित हैं।दो नियोजित शिक्षकों का विभागीय कार्यो और एमडीएम आदि में ही अधिकांश समय बीत जाता है।नवीं एवं दसवीं के छात्र सोनू कुमार,प्रिया कुमारी,सुनीता का कहना है कि वे रोज विद्यालय आते हैं,लेकिन पढ़ाई नहीं होती।कभी-कभी तो वे बिना हाजिरी बनाए भी लौट जाते हैं।आसपास कोई दूसरा हाईस्कूल भी नहीं है।कई बच्चों ने बताया कि उन्हें कंप्यूटर के बारे में कोई जानकारी नहीं है।रामदेव यादव और पूर्व मुखिया डोमी ऋषिदेव का कहना है कि कई बार विभागीय अधिकारियों से शिक्षकों की मांग की गई।मगर शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रफुल्ल कुमार का कहना है कि विद्यालय में दो शिक्षक ही कार्यरत हैं।बच्चों की संख्या ज्यादा है।समस्या से विभाग को कई बार अवगत कराया गया है।विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है।अफसर अली,अररिया रानीगंज प्रखंड के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय,लालपुर मझुआ में 750 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र दो नियोजित शिक्षक हैं।यहां के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।

पोठिया प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत किशनगंज-ठाकुरगंज पीडब्ल्यूडी मुख्य पथ स्थित हाजी चौक कलियागंज से दर्जनों गांवों को जोड़ने हुए पश्चिम बंगाल के सोनापुर को जोड़नेवाली लगभग आठ किमी लंबी आरईओ सड़क का पिछले दस वर्षों से मरम्मत कार्य नहीं हो सका है।जिसके कारण यह सड़क अत्यंत ही जर्जर हो गयी है।इस जर्जर सड़क से आवागमन करना राहगिरों के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है।प्राप्त जानकारी के मुताबिक हाजी चौक कलियागंज से झीनाखोर,माटीगाडा,मखाना पोखर,विरपुर व दलवाहाट होते हुए पं.बंगाल के सोनापुर तक जोड़नेवाली यह सड़क काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।स्थानीय ग्रामीण नौशाद आलम,मंजर आलम,मो.नसीम आलम,पूर्व मुखिया रोबिन शर्मा,नसीरउद्दीन आदि लोगों ने बताया सड़क का मरम्मत नहीं होने से सड़क गड्ढे में तब्दील हो गई है।ग्रामीणों बताया कि सड़क कि स्थिति जर्जर होने से चार पंचायत के लगभग तीस हजार की आबादी प्रभावित है।यही नहीं सड़क की बदहाली का खामियाजा सबसे ज्यादा क्षेत्र के किसानों को भुगतना पड़ रहा है।सड़क जर्जर के कारण किसानों को दो गुणा किराया देकर कटी फसलों को बाजार तक ले जाना पड़ता है।

रायपुर पंचायत में है समस्याओं का अंबार

 वही रायपुर में मापदंड तो यह है कि कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ बीएससी पास शिक्षक ही छठवीं से आठवीं तक के बच्चों को विज्ञान,गणित विषय पढ़ाएं,लेकिन आलम यह है कि दस हजार आर्ट के शिक्षक विभिन्न स्कूलों में बच्चों को साइंस पढ़ा रहे हैं।छात्र-छात्राओं की पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए राज्य सरकार डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान चला रही है।लेकिन अगर आर्ट की शिक्षक विज्ञान-गणित पढ़ाएंगे तो बच्चों की नैया कैसे पार होगी ?बेसिक साइंस पढ़ाने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने एक कोर्स डिजाइन किया था,लेकिन सेवा नियमों में इस तरह के कोई प्रावधान न होने से मामला अटक गया है।लिहाजा हजारों बच्चों को विज्ञान के कम ज्ञान वाले शिक्षक पढ़ा रहे हैं।शिक्षा का स्तर न सुधरने के लिए यह भी एक अहम कारण है।शिक्षा विभाग ने कला संकाय के उन शिक्षकों को जो विज्ञान पढ़ा रहे हैं,विज्ञान में स्नातक की मान्यता देने की तैयारी की थी।ये शिक्षक अपनी इच्छा से विज्ञान पढ़ा रहे हैं।एससीईआरटी इन शिक्षकों के लिए अपर प्राइमरी सर्टिफिकेट प्रोग्राम चलाने की योजना बनाई थी।सिलेबस भी तैयार कर लिया गया है,लेकिन कोर्स अभी तक नहीं शुरू हो पाया।पिछले सालों में सरकार ने कला के शिक्षकों की नियुक्ति ज्यादा कर ली है।लिहाजा इन शिक्षकों को खपाने के लिए पदों का सेटअप भी नहीं है।पिछले साल इस बात का खुलासा तब हुआ था,जब विषयवार शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण करके एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए तबादला किया जा रहा था।कई शिक्षकों ने अपनी जगह में टिके रहने के लिए दूसरे विषय पढ़ाने के लिए हामी भरी थी।स्कूल शिक्षा विभाग के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि कई सरकारी स्कूलों में विज्ञान पढ़ाने वाले 60 फीसदी से अधिक शिक्षक ऐसे हैं,जो विज्ञान विषय में स्नातक ही नहीं हैं।इसके बाद उनकी योग्यता परखने के लिए सर्टिफिकेट प्रोग्राम बनाया गया था।आरटीई के मापदंडों के अनुसार 6वीं से 8वीं तक कक्षाओं में विज्ञान पढ़ानेवाले शिक्षकों को कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बीएससी उत्तीर्ण होना जरूरी है।प्रदेश में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के बाद अभी करीब 10 हजार कला के शिक्षक विभिन्ना स्कूलों में गणित और अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं।रायपुर में करीब एक हजार शिक्षक ऐसे हैं जो दूसरे विषय पढ़ा रहे हैं।कला संकाय से स्नातक करने वाले उन शिक्षकों को जो स्कूलों में विज्ञान पढ़ा रहे हैं, साइंस का सर्टिफिकेट देने के लिए कोर्स डिजाइन किया गया है लेकिन कुछ सेवा नियमों के कारण यह प्रस्ताव अटका हुआ है।जिन शिक्षकों ने बारहवीं तक विज्ञान से पढ़ाई की है,वे तो कुछ हद तक ठीक हैं,लेकिन जिन्होंने दसवीं से विज्ञान की पढ़ाई छोड़कर आगे कला में पढ़ाई की है तो ऐसे शिक्षक यदि पढ़ा रहे हैं तो पढ़ाई प्रभावित होगी।शिक्षा की गुणवत्ता परखने के लिए बच्चों से परखा जा सकता है कि क्या उनके शिक्षक जो पढ़ा रहे हैं वह बेहतर है या नहीं।

प्रखंड क्षेत्र स्थित रायपुर पंचायत में सड़क,स्वास्थ्य,पेयजल आदि की घोर समस्याएं देखी जा रही हैं।इस आशय की जानकारी देते हुए रायपुर पंचातय के मुखिया प्रतिनिधि मो.सब्बीर आलम ने बताया कि पीडब्ल्यूडी आमगाछ कब्रिस्तान से बालूबाड़ी गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं था।पिछले वर्ष बालूबाड़ी के ग्रामीणों द्वारा स्वयं खेतों के बीचोबीच निजी पूंजी से सड़क में मिट्टी भराई कर जाने आने के योग्य बनाया गया है।जिसमें एक बड़ा पुल का आवश्यकता है।चूंकि महानंदा का बाढ़ का पानी इसी ओकर निकासी होती है।सड़क में पुल के स्थान पर चचरी पुल से लोगों को गुजरना पड़ता है।यूंकि इनता बड़ा पुल पंचायत विकास मद से निर्माण किया जाना असंभव है।इसी लिए स्थानीय लोगों द्वारा विधायक व सांसद को लिखित आवेदन देकर पुल निर्माण कराए जाने के बावजूद भी अब तक विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।जिससे एक बड़ी आबादी सड़क व पुल के अभाव में प्रभावित हो रहा है।बरसात के दिनों में विधायक व आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण/पर्वेक्षण पदाधिकारी द्वारा नहीं किया जा रहा है।इसी प्रकार स्वास्थ्य उप केंद्र भी चिकित्सक के अभाव में बंद पड़ा है।कभी भी एएनएम आकर क्षेत्र में महजा टीकाकरण कर चले जाती है। जिसका खामियाजा प्रसव के लिए महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। वहीं पंचायत वासियों को आयरन युक्त पानी पीने को विवश है।पानी में इतना की मात्र में आयरन है कि सफेद कपडा भी पीला हो जाता है।विभागीय अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कर निर्माण कार्य किए जाने की मांग की है।

प्रखंड के अलताबाड़ी पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या छह के महादलित टोला में निर्माणाधीन सामुदायिक भवन कार्य एजेंसी द्वारा गुणवत्तापूर्ण नहीं बनाए जाने से लोगों में आक्रोश है।वहीं आक्रोशित लोगों ने कार्य एजेंसी के मनमानी व तानाशाही रवैया अपनाए जाने पर जिला प्रशासन से लिखित आवेदन देकर जांच करने की गुहार लगाया है।ताकि सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का सार्थक सिद्ध हो सके।वार्ड के राम लाल,नरेश कुमार,शेखर राम,सुनील कुमार राम,श्रवण कुमार राम,निर्मल कुमार राम,तारणी प्रसाद राम सहित कई लोगों का आरोप है कि संवेदक के द्वारा बीते 2014 से ही महादलित टोला में सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य जारी है,जो कार्य एजेंसी की मनमानी व तानाशाही के बीच अब तक अधूरा पड़ा है।

 रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

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