11 साल पहले समाहरणालय व स्वास्थ्य विभाग में अवैध रूप से बहाल 143 चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के मामले की निगरानी जांच शुरू…
किशनगंज करीब 11 साल पहले समाहरणालय व स्वास्थ्य विभाग में अवैध रूप से बहाल 143 चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के मामले की निगरानी जांच शुरू हो गई है।सोमवार को डीएसपी श्याम किशोर प्रसाद और एसआइ दीनानाथ पासवान समेत दो सदस्यीय निगरानी टीम किशनगंज पहुंची।जांच पूरी करने के लिए राज्य सरकार ने निगरानी को एक महीने की मोहल्लत दी है।16.10.2017 को पहले दिन निगरानी टीम ने संबंधित विभागों के अधिकारियों से नियुक्ति के बारे में प्रारंभिक जानकारी हासिल की।साथ ही नियुक्ति से जुड़े दस्तावेजों का भी अध्ययन किया।वर्ष 1998-99 में विज्ञापन के तहत अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा 23.05.99 को ली गई थी।15.10.2004 को तत्कालीन जिलाधिकारी,जिला स्थापना उप समाहर्ता एवं कार्यवाहक लिपिक के हस्ताक्षर से 551 अभ्यर्थियों की मेधा सूचीको स्वीकृति प्रदान
की गई।मेधा सूची के आधार पर 143 कर्मचारियों की समाहरणालय व स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ वर्गीय पद पर वर्ष 2006 में स्थाई नियुक्ति कर ली गई।नियुक्ति के बाद मेधा सूची में गड़बड़ी का मसला चर्चा में आ गया।इसे लेकर पूर्णिया प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त ने जिला प्रशासन को जांच के आदेश दिए।आयुक्त के निर्देश पर तत्कालीन डीएम संदीप कुमार पुडकलकट्टी ने तीन सदस्यीय जांचटीम गठित कर दी।जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली बरते जाने की पुष्टि की।डीएम ने रिपोर्ट प्रमंडलीय आयुक्त व निगरानी जांच विभाग के संयुक्त सचिव को भेज दी।साथ ही तत्कालीन डीएम ने अपने प्रतिवेदन में घोटाले के दोषी कर्मचारियों,पदाधिकारियों की पहचान के लिए साक्ष्यों की अनुपलब्धता को देखते हुए निगरानी जांच की
- अपर समाहर्ता किशनगंज-अध्यक्ष
- उप विकाश आयुक्त किशनगंज-सदस्य
- जिला स्थापना उपसमाहर्ता किशनगंज-सदस्य
- जिला नजारत उप समाहर्ता किशनगंज-सदस्य
- जिला नियोजन पदाधिकारी किशनगंज-सदस्य
- जिला आपूर्ति पदाधिकारी किशनगंज-सदस्य
अनुशंसा की। आप को मालुम हो की राजेंद्र राम सरकार के अपर सचिव द्वारा कार्यालय ज्ञापांक-10/विविध-01 किशनगंज-28/013, सा०प्र० 5127/पटना-15 दिनांक-05.05.17 से निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को एवं जिला दंडाधिकारी एवं समाहर्ता किशनगंज को आवशयक कारवाई हेतु प्रेषित की गई थी और उक्त आदेश पात्र में कहा गया था की किशनगंज जिला चतुर्थवर्गीय कर्मियों की नियुक्ति के लिए वर्ष 1999 में प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर की गई नियुक्तियों में
अनियमितता में माननीय उच्च न्यायालय पटना में कई वाद दायर किए गए है CWJC NO-912/007 दामोदर कर्मकार बनाम बिहार सरकार में दिनांक-22.01.2015 को पारित आदेश के अनुपालन में जिला दंडाधिकारी एवं समाहर्ता किशनगंज के आदेश ज्ञापांक-405 दिनांक-31.12.2016 द्वारा मामले की विस्तृत जांच निगरानी विभाग से कराने का निर्णय लेते हुए इस संबंध मामले की समीक्षा के उपरान्त प्रशासी विभाग द्वारा किशनगंज जिला अंतर्गत चतुर्थवर्गीय पदों पर वर्ष 2006 में हुई नियुक्तियों में
अनियमितता की जांच निगरानी विभाग बिहार पटना से कराने का निर्णय लिया गया है।गौर करे की जिलाधिकारी एवं समाहर्ता किशनगंज ने अपने कार्यालय ज्ञापांक-52/जिला नजारत दिनांक-27.03.2017 से श्री राज किशोर प्रसादर के उप सचिव समान्य प्रशासन विभाग बिहार को कहा है की CWJC सं०-912/2007 दामोदर कर्मकार बनाम बिहार राज्य एवं अन्य में दिनांक-22.01.2015 को माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायदेश के कर्म में अधोहस्ताक्षरी के द्वारा आदेश ज्ञापांक 405/जि०नजा० दिनांक-11.12.16 पारित कर दिया गया है उक्त पारित आदेश में किशनगंज जिलान्तर्गत चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के पद पर वर्ष 2006 में हुई नियुक्तियों में अनियमितता की जांच निगरानी से कराये जाने का निर्णय भी शामिल है।
जिला दंडाधिकारी किशनगंज ने चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के पद पर वर्ष 2006 में हुई नियुक्ति में अनियमितता की जांच अतिशीघ्र कराने को कहा गया है।आपको मालुम ही की इस संबंध में सुचना “सुचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जिला पदाधिकारी किशनगंज से मांग किया गया था जिसका विधिवत प्रथम अपील एवं दृतीय अपील भी किया जा चूका है यहाँ तह की सुचना उपलब्ध कराने के लिए अनेको बार संबधित अधिकारी से भी अनुरोध किया गया पर सुचना आज तक नहीं उपलब्ध करवाया गया है…जो की सुचना का अधिकार अधिनियम का खुल्लम खुल्ला उल्घंन है…
143 कर्मियों पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार…
किशनगंज समाहरणालय व स्वास्थ्य विभाग में अवैध रूप से बहाल 143 चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है।दरअसल, अपनी जांच में निगरानी टीम ने बहाली में अनियमितता पाई है।खासकर उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में निगरानी टीम को कई बड़ी खामियां मिली है।डीएसपी श्याम किशोर प्रसाद और एसआइ दीनानाथ पासवान समेत दो सदस्यीय निगरानी टीम दो दिन तक लगातार जांच के बाद जरूरी दस्तावेज लेकर पटना लौट गई है।इन दो दिनों में टीम ने संबंधित विभागों के अधिकारियों से पड़ताल की और उत्तर पुस्तिकाओं को भी गहराई से खंगाला।निगरानी जांच के दौरान सहयोग के लिए प्रशासन की ओर से डीपीआरओ मनीष कुमार तत्पर थे।वर्ष 1998-99 में विज्ञापन के तहत अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा 23.05.99 को ली गई थी।15.10.2004 को 551 अभ्यर्थियों की मेधा सूची को स्वीकृति प्रदान की गई।मेधा सूची के आधार पर 143 कर्मचारियों की समाहरणालय व स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ वर्गीय पद पर वर्ष 2006 में स्थायी नियुक्ति कर ली गई।नियुक्ति के बाद मेधा सूची में गड़बड़ी का मसला सामने आने के बाद तत्कालीन डीएम संदीप कुमार पुडकलकट्टी ने गहराई से मामले की जांच कराई।जांच में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी का अंदेशा होने पर उन्होंने निगरानी जांच के लिए राज्य सरकार को अनुशंसा कर दी।निगरानी टीम ने डीएम के प्रतिवेदन का भी न सिर्फ गहराई से अध्ययन किया बल्कि उसे भी अपने साथ ले गई।डीएम की जांच रिपोर्ट एवं अन्य दस्तावेजों के साथ-साथ उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल भी निगरानी टीम ले गई।
रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह