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एक बार फिर हुआ केवल सच लाइव डाट इन का असर,खबर प्रकाशित करते ही प्रसाशन आया हरकत में,पीरित पत्रकार को न्याय मिलने की उमीद जगी….

बिहार विधानसभा में आंतरिक संसाधन एवं केन्द्रीय सहायता समिति के सभापति यदुवंश कुमार यादव ने एक पत्र राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री मदन मोहन झा को एक पत्र लिखकर कहा है कि उक्त पत्रकार को मैं निजी तौर पर जानता हूं वे एक निर्भीक होकर गलत मामलें को अखबार के माध्यम से उजागर करने का काम करते हैं जिसकी वजह से वे अक्सर किसी ना किसी रूप में कोपभाजन का शिकार होते रहते हैं।वर्तमान में एसडीओं सिमरी बख्तियारपुर के कोपभाजन बने हुये हैं।यहां बताते चले कि अजय कुमार ने एक पत्र मुख्यमंत्री बिहार को लिखकर कहा था कि सिमरी बख्तियारपुर एसडीओ के काले कारनामे अखबार में प्रकाशित होने पर दुर्भावना से ग्रसित होकर बिहार सरकर की गैरमजरूआ खास व हाट सैरात की जमीन को कुख्यात अपराधियों के हाथ रजिस्ट्री कराकर मेरे घर को उजाड़ बेदखल कर कब्जा कराने की साजिश करने एवं विरोध करने पर मेरा या मेरे परिवार के सदस्यों की हत्या हो जाने की आशंका है, मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पत्रकार अजय कुमार ने कहा कि मौज़ा बख्तियारपुर,थाना न.64,खाता पुराना-391,खेसरा पुराना-1975 व 4272,बिहार सरकार की गैरमजरूआ खास व हाट सैरात की जमीन है।मैं भूमिहीन हूं। दोनों खेसरा की

मिलजुमला रकवा करीब 1 कट्ठा 6 धूर पर मैं विगत 35-40 वर्षों से ईंट,खपरैल व फूस का घर बनाकर लगातार सपरिवार निवास करते आ रहा हूं।एसडीओ ने दुर्भावना से भूमाफिया,सफेदपोश, पूंजीपतियों, बिचौलिये, दबंगो व मेरे विपक्षियों से सांठ-गांठ कर उक्त सरकारी जमीन को कुख्यात अपराधियों के हाथों रजिस्ट्री कराकर मुझे बेदखल करने की साजिश की जा रही है।इस बात का विरोध करने पर मेरी हत्या भी हो सकती है।इसी उपरोक्त मामले को गंभीरता से लेते हुये मंत्री ने सभापति के पत्र के आलोक में जांच के आदेश दिये है।आप को बताते चले की बिहार सरकार की उपरोक्त एवं अन्य खेसरा की जमीन पर अनुमंडल न्यायालय सिमरी बख्तियारपुर में अतिक्रमण वाद संख्या-03/1992-93 में सरकार के पक्ष में आदेश पारित हुआ था। उक्त आदेश के विरुद्ध अपर समाहर्ता सहरसा के न्यायालय में अपील दायर की गई थी।लेकिन सभी की अपील खारिज हो चुकी है।मेरे विपक्षी पशुपतिनाथ गुप्ता व अन्य ने खाता पुराना 391,खेसरा पुराना 1975,रकवा 02 कट्ठा 02 धूर पर अपना रैयती जमीन का दावा कर माननीय मुंसिफ़ के न्यायालय में अधिकार वाद संख्या-92/1995 दायर की थी।वर्ष 2010 में उनके दावा भी खारिज हो चुकी है,बावजूद एसडीओ ने मेरी पत्रकारिता से आहत होकर बिहार सरकार की मेरे कब्जे वाली जमीन को श्री गुप्ता द्वारा अपराधियों के हाथों रजिस्ट्री कराकर मुझे बेदखल करने की भयंकर साजिस की जा रही है।गौर करे बिहार सरकार की जमीन की बावत अंचल कार्यालय में अतिक्रमण वाद संख्या-01/1990-91,03/1994-95,01/ 1998-99 के अलावे गैरमजरूआ खास व सैरातपंजी से अवलोकन किया जा सकता है।विपक्षी श्री गुप्ता द्वारा गलत ढंग 

से सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कराकर अंचलकर्मियों को मेल में लेकर फर्जी दाखिल खारिज पर जमाबंदी संख्या-1369 कायम करा ली गई।मामला उजागर होने पर राजस्व कर्मचारी ने रजिस्टर टू के पन्ने को फाड़ बदल दिया,वर्तमान पन्ने पर पूर्व के अंचल निरीक्षक द्वारा T.S/1992-95 के आदेश का जिक्र कर देने के बावजूद एसडीओ व सीओ ने पंद्रह वर्षों से रूका हुआ मालगुजारी रसीद विपक्षी को कटवा दिया ताकि जमीन बिक्री कराया जा सके।इससे स्पष्ट होता है की उपरोक्त दोनों पदाधिकारी सरकार का नौकर रहने के बावजूद निजी स्वार्थ में सरकारी जमीन की बिक्री कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।इसके पूर्व भी एसडीओ व सीओ पर करोडों रूपये मूल्य की सरकारी जमीन बिक्री कराने का आरोप लग चूका है।आप को बताते चले की kewalsachlive.in में खबर को प्रकाशित किया गया तब जाकर यह मामला तुल पकड़ा मालुम हो की पीरित पत्रकार एवं उनके परिजन भय के माहौल में जी रहे है उनको डर सता रहा है,कही कोई अनहोनी न हो किन्तु अब मामला उच्च स्तरीय अधिकारी को जानकारी में होने के कारण पीरित पत्रकार अजय कुमार को न्याय मिलने की उमीद जगी है। 

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

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