देशब्रेकिंग न्यूज़राज्य

हर इलाके में छोटे-छोटे नेता कर रहे आंदोलन का नेतृत्व सभी किसान संगठन ले रहे श्रेय, हिंसक घटनाओं में शामिल होने से इंकार…

आठ दिनों से मध्‍य प्रदेश में चल रहा किसान आंदोलन बिना किसी नेतृत्व के धधकता रहा।कई किसान संगठन इसका नेतृत्व करने का दावा तो कर रहे हैं,लेकिन हिंसक गतिविधियों में शामिल होने से इंकार कर रहे हैं।हिंसा कौन कर रहा है,इससे संगठन अनभिज्ञता जता रहे हैं।साफ है कि मैदान में आंदोलनकारियों का कोई भी नेता मौजूद नहीं था, इस वजह से भीड़ अनियंत्रित होती गई और हिंसक घटनाएं बढ़ती गई।इस आग में घी का काम सोशल मीडिया पर चल रहे संदेशों ने किया।कई आंदोलनकारी वॉट्सएप और फेसबुक के जरिए लोगों को भड़काने में लगे रहे।भारतीय किसान संघ (भाकिसं) द्वारा आंदोलन वापस लेने के बावजूद राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ 

और भारतीय किसान यूनियन अभी भी क्षेत्र में सक्रिय हैं।नीमच, मंदसौर, उज्जैन, रतलाम सहित अन्य इलाकों में छोटे-छोटे नेता आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, जो प्रदेश के कई अन्य क्षेत्रों तक पहुंच गया है।इस नेतृत्व के बारे में सरकार के पास भी कोई जानकारी नहीं है।राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी से सरकार बात नहीं करना चाहती थी और इसके अलावा कोई अन्य नेतृत्व सरकार के सामने नहीं आया।इस वजह से सरकार किसी से बातचीत नहीं कर पाई।राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी का कहना है कि आंदोलन उनके नेतृत्व में चल रहा है,लेकिन हिंसा में उनके लोग शामिल नहीं हैं।सरकार असामाजिक तत्वों के कब्जे में है।माना जा रहा है कि मंदसौर और नीमच में अफीम की खेती करने वाले कुछ 

माफिया भी इसमें शामिल हो सकते हैं।शर्मा ने कहा कि 500 लोगों में 25 किसान यदि कांग्रेस समर्थक होंगे तो इससे यह बात सिद्ध नहीं होती कि आंदोलन कांग्रेस कर रही थी।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुशांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने कहा कि किसान आंदोलन में कांग्रेस के कार्यकर्ता सक्रिय नहीं थे।संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिवकांत दीक्षित ने साफ किया कि संघ 1 से 4 जून तक आंदोलन में सक्रिय था।मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद आंदोलन वापस ले लिया गया।गौरतलब है कि भाजपा और सरकार पहले दिन से आंदोलन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है।कांग्रेस विधायक शकुंतला खटिक आंदोलनकारियों को उकसा कर थाने को फूंकने के लिए कह रही हैं।जिसे वीडियो में साफ-साफ देखा और सुना जा सकता है।हालांकि कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस ने आंदोलनकारियों को उकसाने का काम नहीं किया है।क्षेत्रीय संगठन मंत्री दीक्षित के मुताबिक भारतीय किसान संघ ने दो महीने पहले ही खंडवा, धार, राजगढ़ और इंदौर में आंदोलन का कार्यक्रम घोषित किया था।2 जून को हम अन्य संगठनों द्वारा घोषित ग्राम बंद में शामिल हुए, लेकिन सब्जियां फेंकने और हिंसक गतिविधि से दूर रहे।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने खुद मुझे फोन कर उज्जैन बातचीत के लिए बुलाया था।सीएम द्वारा घोषणा के बाद हमने आंदोलन स्थगित कर दिया।अब हम हिंसा खत्म करने के लिए

आंदोलनकारियों से अपील कर रहे हैं।वही भारतीय राष्ट्रीय मजदुर कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश सुन्द्रियाल ने बताया की मध्य प्रदेश् में पुलिस फायरिंग से हुई किसानों की मौत के खिलाफ एवं जख्मी किसानों की खबर लेने गए श्री राहुल गांधी की गिरफ्तारी के खिलाफ सभी प्रदेशो के इंटक के मेंबर व् प्रधान/डेलीगेट मेंबर बीजेपी सरकार के पुतले फुके और हमारी मांग है कि जो किसान मारे गए है उनको कम से कम 50 लाख का मुवाअजा और परिवार के एक मेंबर को सरकारी नौकरी मिले और अपनी करवाई की रिपोर्ट हमें भेजे ।

रिपोर्ट-दिनेश सुन्द्रियाल भारतीय राष्ट्रीय मजदुर कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने whatsapp पर धर्मेन्द्र सिंह को दी…!

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button