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स्ट्रेचर मांगने पर डॉक्टर ने कहा-जल्दी भागो नहीं तो करेंगे पिटाई, स्ट्रेचर की बजाए टांग कर ले गए डेडबॉडी…

सहरसा कहते धरती के भगवान् डॉक्टर को पर यह बात हैरान करने वाली है की जब डॉक्टर से मृतक के परिजन द्वारा स्ट्रेचर माँगा गया डेडबॉडी का पोस्टमार्टम कराने के लिए तो डॉक्टर एन०के० सादा कहते है की भागो जल्दी नहीं तो करेंगे पिटाई…? ऐसा क्यों ? क्या डॉक्टर को ये अधिकार प्राप्त है की किसी भी मरीज के परिजन को इस तरह से दुर्व्यवहार करने का…क्या डॉक्टर साहब अपने पैसे से से मरीज के परिजन को स्ट्रेचर देते या सरकार के ? ऐसे डॉक्टर जो सरकारी चोला पहन मरीज के साथ शोषण करे ऐसे डॉक्टर पर दंडात्मक कारवाई करे विभाग यह कहना मरीज के परिजनों का है…आपको बताते चले की बिहार के सहरसा में एक मामला प्रकाश में आया है की यहां एक लड़के की सड़क हादसे में मौत हो गई।हॉस्पिटल में जब बॉडी के पोस्टमार्टम के  
लिए उसकी फैमिली ने हॉस्पिटल मैनेजमेंट से स्ट्रेचर मांगा तो डॉक्टर ने स्ट्रेचर देने की बजाए उन्हें डांटकर भगा दिया।कहा कि भागो यहां से नहीं तो पिटाई कर देंगे।दरअसल, बिहरा थाना क्षेत्र के पटौरी चौक के पास नवहट्‌टा थाना एरिया के रामनगर के रहने वाले राजकुमार बाइक की टक्कर से घायल हो गया था।उसे सदर अस्पताल में ले जाया गया जहां डॉक्टर एन०के० सादा ने उसे मृत घोषित कर दिया।डाॅक्टर ने डेडबॉडी को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने को कहा।परिजनों ने जब डॉक्टर से कहा कि डेडबॉडी को ले जाने 
के लिए हॉस्पिटल से स्ट्रेचर की व्यवस्था करा दीजिए।ये सुनते ही डॉक्टर अपना आपा खो बैठे और धमकी दी कि तुरंत शव को लेकर यहां से हटो नहीं तो अभी सबको पीटना शुरू कर देंगे।इसके बाद पहले से ही गमगीन परिजन सकते में आ गए अौर शव को टांग कर पोस्टमार्टम के लिए ले गए।जिस समय यह घटना हुई उस समय अस्पताल के इमरजेंसी में कई और लोग थे।भी डॉक्टर के व्यवहार से हैरान थे।आपको बताते चले की इस घटना की चारो ओर छी-छी हो रही है….बजार से लेकर गली-मुहल्ले तक यहाँ तक की सोशल
मीडिया पे तो लोग अपनी अपनी मंतव्य भी दे रहे है कोई-कोई तो अपने टाइमलाइन पर फोटो सहित अपना मंतव्य जाहिर कर रहा की “मुर्दों के शहर में रहने वाले आम नागरिकों का सहरसा सदर अस्पताल अभिन्दन करता है।बाबा से आशीर्वाद लेते सिविल सर्जन अशोक कुमार सिंह…तेजस्वी ठाकुर।एक जन लिख रहे है की आइये सदर अस्पताल के बन्द मुख्य गेट पर मातम मनायें।सोनू कुमार कश्यप लिख रहे की सदर अस्पताल का हालत सबसे बेकार है।किसी मरीज को अगर टॉलेट जाना होता हैं तो वो बेचारा परेशान हो जाता पर टॉलेट नही जा पाता है।टॉलेट है मगर वो हमेशा लोक रहता है हमेशा टॉलेट मै ताला लगा रहता है।कोई कुछ नही करता है एक टॉलेट जो खुला भी रहता है तो वो हद से ज्यादा गन्दा रहता है।अगर कोई अच्छा आदमी उस टॉलेट मै जाए तो वह मरीज बन जाए।शहलम उत्फ लाल खान कह रहे है की सिरजन घोटाला से बचने में लगी है सरकार बिहार का हालात ठीक नही स्वास्थ्य की हालत गंभीर शिक्षा की हालत गंभीर लो एंडऑडर की हालत गंभीर कहा है नीतीश कुमार की सरकार कहा गुम हो गए है दोनों के दोनों
मासूम रहमानी कह रहे है अपने फेसबुक टाइमलाइन पर की सीएस महोदय व जिला पदाधिकारी महोदय,क्या अस्पताल की यही व्यवस्था होनी चाहिये या सुधार की गुंजाइश है सरकारी फंड का कोई मतलब नहीं पैसा और निकल भी मगर सुधार नहीं।आखिर कब तक।वही राहुल भारती लिखते है की “अभी कोई सहरसा का कुर्तावाला जनप्रतिनिधि (पक्ष-विपक्ष) नहीं आएगा…लेकिन जब शहर में लड़ाई,चुनाव,भोज,खेल हो तो सब सफेद पॉश पहुँच कृच चमकाएंगे और मीठा अवाज के मुस्कान के साथ बड़ा-बड़ा बात बोलेगें…अभी सब की घर में चोरी हुई है…घर जोग रहे है…चले नेता कहलाने…सरकार बनी तो पटाखा दूसरे राज्यों में कोई बना तो पटाखा…
 
और खुद का घर का व्यवस्था चौपट है तो नजर नहीं आता….कुछ वर्षों पहले सांसद महोदय डॉक्टर के खिलाफ अवाज उठाए थे तो…लगे थे सब चापलूसी करने और भुकने…और अभी कान पे जू नहीं रेंगता….? मोo सकीम आलम लिखते है की  होस्पिटल में इलाज नहीं होता है बस फोरमलिटी निभाते हैं डॉ0 सब..! गौर करे की लोगो का आक्रोश सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि कोई घटना ना घटे सदर अस्तपताल सहरसा में…धर्मेन्द्र सिंह 
रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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