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सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाइवे के आस-पास मौजूद शराब की दुकानों को बैन करने के अपने फैसले को फिर से रखा बरकरार…

सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाइवे के आस-पास मौजूद शराब की दुकानों को बैन करने के अपने फैसले को फिर से बरकरार रखा है। हालांकि इस बार सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आबादी और क्षेत्र के हिसाब से कुछ राहत जरुर दी है। इन सबके बावजूद कोर्ट हाइवे के आस-पास शराब की दुकानें बैन करने के अपने पुराने फैसले पर कायम रही।देश की सर्वोच्च अदालत ने शराब की दुकानों के मालिकों को हाइवे पर शराब की दुकानों के लेकर खास बड़ी राहत नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इलाके जहां आबादी 20 हजार से कम है वहां हाइवे से 220 मीटर की दूरी पर शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं। हालांकि 20 हजार से ज्यादा आबादी वाले इलाकों में शराब की दुकानें हाईवे से 500 मीटर की दूरी पर ही खोलना होगा। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने साफ कर दिया 15 दिसंबर 2016 में हाइवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों को बैन करने का फैसला दिया गया था। इस मुद्दे पर चर्चा के बाद कोर्ट ने आबादी और क्षेत्र के हिसाब से फैसले में थोड़ा बदलाव किया है। कोर्ट की ओर से कहा गया कि वो इलाके जहां आबादी 20 हजार से कम है वहां हाइवे से 220 मीटर की दूरी पर शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं। तीन जजों की पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एलएन राव की ओर से कहा गया कि हाइवे पर शराब की दुकानों के लेकर अहम फैसला वहां होने सड़क हादसों और शराब पीकर गाड़ी के मामलों को देखते हुए लिया गया है। कोर्ट की ओर से साफ कर दिया गया कि एक अप्रैल से राष्ट्रीय राजमार्गों और प्रदेश हाइवे के 500 मीटर के दायरे में स्थित सभी शराब की दुकानें हटा दी जाएं। एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी। 15 दिसंबर 2016 के फैसले के मद्देनजर एक अप्रैल से हाइवे में सभी शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लागू हो जाएगा। दूरी को लेकर दी गई रियायत जिन प्रदेशों को मिली हैं उनमें सिक्किम और मेघालय हैं, हालांकि हिमाचल प्रदेश को 220 मीटर की दूरी का फैसला मानना होगा।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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