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सिमरी बख्तियारपुर एसडीओ के काले कारनामे,अखबार में प्रकाशित होने पर दुर्भावना से ग्रसित होकर बिहार सरकर की गैरमजरूआ खास व हाट सैरात की जमीन को कुख्यात अपराधियों के हाथ रजिस्ट्री कराकर एक परिवार का घर को उजाड़ बेदखल कर कब्जा कराने की साजिश का पर्दाफांस,विरोध करने पर परिवार के सदस्यों का हत्या कर देने की धमकी,पीरित ने लगाया सीएम से गुहार………..

सिमरी बख्तियारपुर एसडीओ के काले कारनामे अखबार में प्रकाशित होने पर दुर्भावना से ग्रसित होकर बिहार सरकर की गैरमजरूआ खास व हाट सैरात की जमीन को कुख्यात अपराधियों के हाथ रजिस्ट्री कराकर मेरे घर को उजाड़ बेदखल कर कब्जा कराने की साजिश करने एवं विरोध करने पर मेरा या मेरे परिवार के सदस्यों की हत्या हो जाने की आशंका जताते हुए सूबे के मिखिया से न्याय की गुहार लगाया है की मौज़ा बख्तियारपुर, थाना न.64, खाता पुराना-391, खेसरा पुराना-1975 व 4272, बिहार सरकार की गैरमजरूआ खास व हाट सैरात की जमीन है, मैं भूमिहीन हूं। दोनों खेसरा की मिलजुमला रकवा करीब 1 कट्ठा 6 धूर पर मैं विगत 35-40वर्षों से ईंट, खपरैल व फूस का घर बनाकर लगातार सपरिवार निवास करते आ रहा हूं।एसडीओ ने दुर्भावना से भूमाफिया, सफेदपोश, पूंजीपतियों, बिचौलिये, दबंगों व मेरे विपक्षियों से सांठ-गांठ कर उक्त सरकारी जमीन को कुख्यात अपराधियों के हाथों रजिस्ट्री कराकर मुझे बेदखल करने की साजिश की जा रही है। विरोध करने पर मेरी हत्या भी हो सकती है। आप को बताते चले की बिहार सरकार की उपरोक्त एवं अन्य खेसरा की जमीन पर अनुमंडल न्यायालय सिमरी बख्तियारपुर में अतिक्रमण वाद संख्या-03/1992-93 में सरकार के पक्ष में आदेश पारित हुआ था। उक्त आदेश के विरुद्ध अपर समाहर्ता सहरसा के न्यायालय में अपील दायर की गई थी।लेकिन सभी की अपील खारिज हो चुकी है। मेरे विपक्षी पशुपतिनाथ गुप्ता व अन्य ने खाता पुराना 391,खेसरा पुराना 1975,रकवा 02 कट्ठा 02 धूर पर अपना रैयती जमीन का दावा कर माननीय मुंसिफ़ के न्यायालय में अधिकार वाद संख्या-92/1995 दायर की थी।वर्ष 2010 में उनके दावा भी खारिज हो चुकी है, बावजूद एसडीओ ने मेरी पत्रकारिता से आहत होकर बिहार सरकार की मेरे कब्जे वाली जमीन को श्री गुप्ता द्वारा अपराधियों के हाथों रजिस्ट्री कराकर मुझे बेदखल करने की भयंकर साजिस की जा रही है।गौर करे बिहार सरकार की जमीन की बावत अंचल कार्यालय में अतिक्रमण वाद संख्या-01/1990-91,03/1994-95, 01/1998-99 के अलावे गैरमजरूआ खास व सैरातपंजी से अवलोकन किया जा सकता है। विपक्षी श्री गुप्ता द्वारा गलत ढंग से सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कराकर अंचलकर्मियों को मेल में लेकर फर्जी दाखिल खारिज पर जमाबंदी संख्या-1369 कायम करा ली गई। मामला उजागर होने पर राजस्व कर्मचारी ने रजिस्टर टू के पन्ने को फाड़ बदल दिया, वर्तमान पन्ने पर पूर्व के अंचल निरीक्षक द्वारा T.S/1992-95 के आदेश का जिक्र कर देने के बावजूद एसडीओ व सीओ ने पंद्रह वर्षों से रूका हुआ मालगुजारी रसीद विपक्षी को कटवा दिया ताकि जमीन बिक्री कराया जा सके। इससे स्पष्ट होता है की उपरोक्त दोनों पदाधिकारी सरकार का नौकर रहने के बावजूद निजी स्वार्थ में सरकारी जमीन की बिक्री कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। इसके पूर्व भी एसडीओ व सीओ पर करोडों रूपये मूल्य की सरकारी जमीन बिक्री कराने का आरोप लग चूका है।मालुम हो की सरकारी जमीन पर से अजय कुमार को  बेदखल करने की साजिश का खुलासा 20 जनवरी 17 से अब तक एसडीओ के मोबाइल नंबर-9473191343, 9431066009 तथा सीओ के मोबाइल नंबर 8544412839 की कॉल डिटेल की जांच से उजागर हो सकता है कि इस अवधि में किस लोगों से कब-कब तथा कितने बार तथा कितने समय तक बातें हुई तथा इसका उद्देश्य क्या था पिरित पत्रकार ने सूबे के मुखिया से न्याय करने के लिए अनुरोध पत्र भी दिया है, अब देखना यह है की सत्य की जीत होती है या झूठ की ! पर यहाँ एक सवाल उठ रहा यह है की क्या सूबे के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार तत्काल सरकारी जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने के साथ अंचल तथा संलग्न कागजातों की उच्चस्तरीय जांच करा कर दोषियों के विरुद्ध कारवाई कर पिरित पत्रकार अजय कुमार की जानमाल की सुरक्षा का जिम्मेवारी लेंगे जो की भू माफियाओ का कहर से डरे सहमे हुआ है ? क्या एसडीओ सीओ एवं संलिप्त भू माफिया पर जिला प्रसाशन कारवाई करेगी ? अगर हाँ तो कब तक ! 

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

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