शिव और सावन का गहरा नाता, भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है शिवलिंग का अभिषेक…….
सावन का महीना और चारों और हरियाली।भारतीय वातावरण में इससे अच्छा कोई और मौसम नहीं बताया गया है।जुलाई आखिर या अगस्त में आने वाले इस मौसम में, ना बहुत अधिक गर्मी होती है और ना ही बहुत ज्यादा सर्दी।वातावरण को अगर एक बार को भूला भी दिया जाए,किन्तु अपने आध्यात्मिक पहलू के कारण सावन के महीने का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व बताया गया है।सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित रहता है।इस माह में विधि पूर्वक शिवजी की आराधना करने से,मनुष्य को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं।इस माह में भगवान शिव के’रुद्राभिषेक’ का विशेष महत्त्व है।इसलिए इस माह में, खासतौर पर सोमवार के दिन ‘रुद्राभिषेक’ करने से शिव भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है।अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र,शमीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं और अंत में भांग,धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रूप में समर्पित किया जाता है।सावन माह के बारे में एक पौराणिक कथा है कि-जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान भोलेनाथ ने बताया कि “जब देवी सती ने
अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था,उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया।पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया,जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।वैसे सावन की महत्ता को दर्शाने के लिए और भी अन्य कई कहानी बताई गयी हैं जैसे कि मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी।कुछ कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन महीने में समुद्र मंथन किया गया था।मंथन के बाद जो विष निकला,उसे भगवान शंकर ने पीकर सृष्टि की रक्षा की थी।किन्तु कहानी चाहे जो भी हो,बस सावन महीना पूरी तरह से भगवान शिव जी की आराधना का महीना माना जाता है।यदि एक
व्यक्ति पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है,तो यह सभी प्रकार के दुखों और चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करता है।सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा करनी चाहिए।इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव के ध्यान से विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है।यह व्रत भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए किये जाते हैं।व्रत में भगवान शिव का पूजन करके एक समय ही भोजन किया जाता है।साथ ही साथ गले में गौरी-शंकर रूद्राक्ष धारण करना भी शुभ रहता है।सावन के महीने में भक्त,गंगा नदी से पवित्र जल या अन्य नदियों के जल को मीलों की दूरी तय करके लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।कलयुग में यह भी एक
- सावन प्रारंभ-10 जुलाई 2017
- सावन अंत-7 अगस्त 2017
- छात्रों को दूध में मिसरी मिलाकर सावन में शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।
- सावन के पांच सोमवार में तीन सोमवार को सर्वार्थ सिद्ध नामक शुभ योग बना है।
- इस वर्ष सावन का महीना 10 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह 7 अगस्त को समाप्त हो रहा है।
- आय में बाधा आने पर और कर्ज से परेशान व्यक्तियों के जल में शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।
- स्वास्थय संबंधी परेशानी रहती है उन लोगों को गंगाजल में कुशा (विशेष प्रकार की घास) डालकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।
- अगर आपकी शादी में बाधा आ रही है तो गन्ने के जूस से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।आर्थिक मामलों में भी यह लाभप्रद होता है।
- 24 जुलाई को भी सुबह 7.45 तक यह योग बना है।तीसरी और सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस साल 50 वर्ष के बाद ऐसा संयोग बना है जब सोमवार से दिन भगवान शिव का महीना सावन शुरू हुआ है और सोमवार के दिन ही इसका समापन हो रहा है।
- संतान सुख में बाधा आ रही हो तो कच्चे दूध में बांस के पत्तों को पीसकर मिलाएं और इससे शिवलिंग का अभिषेक करें तो संतान प्राप्ति के संदर्भ में शुभ स्थिति बन सकती है।
प्रकार की तपस्या और बलिदान ही है,जिसके द्वारा देवो के देव महादेव को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है।भगवान शिव का महीना सावन शुरू हो चुका है।कहते हैं इस महीने में भगवान शिव तो सो जाते हैं लेकिन उनका रूद्र रूप पृथ्वी पर आकर भक्तों के कर्मों का हिसाब करते हैं।रूद्र प्रसन्न हो जाएं तो भीखारी को भी राजा बना दें और नाराज हो जाएं तो राजा को भी पल में भीखारी बना दे।भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है शिवलिंग का अभिषेक।अगर आपकी कुछ मनोकामना है तो सिर्फ जल से अभिषेक नहीं करें बल्कि मनोकामना के अनुसार अलग अलग चीजों से अभिषेक करना चाहिए।अगर आपकी शादी में बाधा आ रही है तो गन्ने के जूस से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। इससे विवाह से संयोग प्रबल होते है।आर्थिक मामलों में भी यह लाभप्रद होता है।छात्रों को दूध में मिसरी मिलाकर सावन में शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। यह बौद्धिक क्षमता और ज्ञान वृद्धि के लिए लाभकारी माना जाता है।जिन्हें स्वास्थय संबंधी परेशानी रहती है उन लोगों को गंगाजल में कुशा (विशेष प्रकार की घास) डालकर शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।आय में बाधा आने पर और कर्ज से परेशान व्यक्तियों के जल में शहद मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।दांपत्य जीवन के सुख में वृद्धि के लिए भी यह लाभप्रद माना गया है।संतान सुख में बाधा आ रही हो तो कच्चे दूध में बांस के पत्तों को पीसकर मिलाएं और इससे शिवलिंग का अभिषेक करें तो संतान प्राप्ति के संदर्भ में शुभ स्थिति
बन सकती है।शिव और सावन का गहरा नाता है।कहते हैं अन्य दिनों के अपेक्षा सावन के महीन में शिव की पूजा और अभिषेक करने से कई गुणा अधिक लाभ मिलता है।यही वजह है कि शिव भक्तों में सावन के महीने को लेकर गजब का उत्साह रहता है।इस वर्ष सावन का महीना 10 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह 7 अगस्त को समाप्त हो रहा है।इस वर्ष सावन के महीने की खास बात यह है कि पूरे सावन के दौरान 5 सोमवार होंगे।सावन में 5 सोमवार का होने से इस साल रोटक व्रत लग रहा है।ऐसी मान्यता है कि रोटक व्रत पूरा करने यानी पांचों सोमवार व्रत करने और भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।सावन के पांच सोमवार में तीन सोमवार को सर्वार्थ सिद्ध नामक शुभ योग बना है।इसमें भी अच्छी बात यह है कि पहला सर्वार्थ सिद्ध योग पहले सोमवार के दिन ही लगा है और अंत भी इसी योग से साथ हो रहा है।इनके अलावा 24 जुलाई को भी सुबह 7.45 तक यह योग बना है।तीसरी और सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस साल 50 वर्ष के बाद ऐसा संयोग बना है जब सोमवार से दिन भगवान शिव का महीना सावन शुरू हुआ है और सोमवार के दिन ही इसका समापन हो रहा है। इसे बड़ा ही दुर्लभ संयोग माना गया है।सावन के अंतिम सोमवार के दिन आयुष्मान योग का होना शिवभक्तों के लिए बड़ा ही कल्याणकारी है। इस दिन शहद मिश्रित दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने से सुख और सौभाग्य प्राप्त होगा।
रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह