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लाली पहाड़ी की खुदाई में मिला भगवान बुद्ध की एक छोटी प्रतिमा…

बिहार सरकार के कला,सांस्कृति एवं युवा विभाग के उपक्रम बिहार विरासत विकास समिति एवं विश्व भारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल सिंह के प्रयास के तहत हुए सर्वे के बाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ जिला मुख्यालय अंतर्गत लाली पहाड़ी में बौद्ध कालीन एवं रामायण कालीन इतिहास छुपे होने की जानकारी होने की संभावना के बाद 25 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हेलीकॉप्टर से लाली पहाड़ी पहुंच स्वयं फावड़ा चलाकर खुदायी कार्य का शुभारंभ किया था़।जिसके बाद बिहार विरासत विकास समिति के कार्यपालक निदेशक विजय कुमार चौधरी ने बताया था कि एक सप्ताह के बाद कला,सांस्कृति एवं युवा विभाग के उपक्रम बिहार विरासत विकास समिति एवं विश्व भारती शांति निकेतन सदस्यों के द्वारा खुदायी कार्य प्रारंभ किया जायेगा।

लखीसराय अपने गर्भ में इतिहास के अनेकों राज समेटे जिला मुख्यालय स्थित लाली पहाड़ी की खुदाई में शनिवार को भगवान बुद्ध की एक छोटी प्रतिमा मिलने से अब इसके बौद्ध विहार के रूप में होने की बातों पर मुहर लग गयी है।शनिवार को भगवान बुद्ध की मिली प्रतिमा हालांकि खंडित हो चुकी थी,फिर भी शोधकर्ता छात्रों ने प्रतिमा के सभी हिस्सों को जोड़कर उसे वास्तविक रूप में रखा है।इसके अलावा शनिवार को खुदाई के दौरान बौद्धकालीन एक दीपक भी मिला।खुदाई से मिले सभी वस्तुओं को शोधकर्ता छात्र-छात्राएं संजो कर रख रहे हैं।शनिवार को भगवान बुद्ध की प्रतिमा मिलने के बाद हर्षित शोधकर्ता छात्र-छात्राओं ने अपनी खुशी का इजहार करते हुए बताया कि उनलोगों को गर्व महसूस हो रहा है कि वे लोग इतिहास के इस रहस्य की खोज का हिस्सा बने हुए हैं।विश्वभारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल की छात्रा श्वेता सिंह ने बताया कि अभी तक की खुदाई में बौद्ध भिक्षुओं के नौ सेल मिले हैं।जबकि अभी खुदाई कार्य के कुछ ही दिन हुए हैं।श्वेता सिंह ने बताया कि वे लोग अपने आप को काफी गौरवान्वित महसूस कर रहीं हैं कि वे लोग एक इतिहास की खोज की गवाह बन रही हैं।उन्होंने बताया कि उनके साथ उनके ही विश्वविद्यालय के शोधकर्ता छात्र सिद्धार्थ साहा, तन्यम मंडल,अर्जुन महाकोर,निशांत जोड़ापे,स्वमित्र मजुमदार,उपासना क्षेत्री आदि खुदाई कार्य पर बारिकी नजर रखे हुए हैं,जिससे पुरातत्व संबंधित मिलने वाली चीजों को विशेष नुकसान नहीं पहुंचे।इधर,खुदाई का कार्य की मॉनिटरिंग कर रहे विश्व भारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो़ अनिल कुमार ने बताया कि पहले सर्वे में सिर्फ लखीसराय में बौद्ध विहार होने की संभावना जतायी जा रही थी।आज खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की प्रतिमा मिलने से इसका पुख्ता प्रमाण मिल गया है।उन्होंने बताया कि खुदाई के दौरान बौद्धकालीन और भी कई चीजें प्राप्त हुई हैं,सभी को संभाल कर रखा जा रहा है।अभी तक सिर्फ बाहरी दिशा में ही खुदाई कार्य चल रहा है।इसके मध्य में पहुंचने पर बौद्ध मंदिर होने की संभावना हैं जहां से काफी मात्रा में बौद्ध धर्म से जुड़े बहुमूल्य वस्तुओं के मिलने की संभावना है।यहां बतादें कि बिहार सरकार के कला,सांस्कृति एवं युवा विभाग के उपक्रम बिहार विरासत विकास समिति एवं विश्व भारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल सिंह के प्रयास के तहत हुए सर्वे के बाद जिले के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ जिला मुख्यालय अंतर्गत लाली पहाड़ी में बौद्ध कालीन एवं रामायण कालीन इतिहास छुपे होने की जानकारी होने की संभावना के बाद 25 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हेलीकॉप्टर से लाली पहाड़ी पहुंच स्वयं फावड़ा चलाकर खुदायी कार्य का शुभारंभ किया था़।जिसके बाद बिहार विरासत विकास समिति के कार्यपालक निदेशक विजय कुमार चौधरी ने बताया था कि एक सप्ताह के बाद कला,सांस्कृति एवं युवा विभाग के उपक्रम बिहार विरासत विकास समिति एवं विश्व भारती शांति निकेतन सदस्यों के द्वारा खुदायी कार्य प्रारंभ किया जायेगा।सीएम के खुदायी कार्य शुभारंभ के लगभग 18 दिनों बाद कार्य शुरू किया गया था और अब खुदाई कार्य से बौद्ध महाविहार से संबंधित वस्तुएं भी मिलनी शुरू हो गयी हैं।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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