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राष्ट्रीय अध्यक्ष बने अखिलेश यादव,मुलायम ने पलटा फैसला फिर निकाले गए रामगोपाल यादव…

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में कल शांत होती लग रही लड़ाई ने आज फिर नया मोड़ ले लिया ।एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अध्यक्ष बनाये जाने समेत सभी पारित प्रस्तावों को अवैध करार देते हुए सम्मेलन के कर्ताधर्ता एसपी महासचिव रामगोपाल यादव को फिर पार्टी से निकाल दिया ।अधिवेशन में एसपी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये गये शिवपाल सिंह यादव द्वारा ट्वीट किये गये मुलायम के हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुमति लिये बगैर बुलाये गये एसपी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में हुए फैसले अवैध हैं।इस कदम के बाद एसपी में एक बार फिर टूट के आसार नजर आ रहे हैं।पत्र के अनुसार पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में इन तमाम फैसलों और तथाकथित राष्ट्रीय अधिवेशन की तमाम कार्यवाही को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसकी निंदा की गयी और अधिवेशन के कर्ताधर्ता रामगोपाल यादव को छह साल के लिये पार्टी से निकाले जाने का निर्णय किया गया।बिना लेटर हेड वाले इस पत्र के अनुसार संसदीय बोर्ड की बैठक में एसपी प्रमुख द्वारा गत 28 दिसम्बर को जारी प्रत्याशियों की सूची को अनुमोदित करते हुए बची हुई सीटों पर उम्मीदवारों के चयन के लिये मुलायम को अधिकृत किया गया।खत के मुताबिक संसदीय बोर्ड ने आज के अधिवेशन के बाद फैले भ्रम को दूर करने के लिये आगामी पांच जनवरी को पार्टी का आकस्मिक राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने का निर्णय भी किया है।इसके पूर्व एसपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश की पार्टी के अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी कर दी गयी,वहीं झगड़े की जड़ माने जा रहे राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया,जबकि शिवपाल यादव को एसपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया,एसपी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने राजधानी स्थित जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित अधिवेशन में तीन प्रस्ताव पेश किये।पहले पारित प्रस्ताव में सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री अखिलेश को एसपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।मंच पर बैठे उन तमाम वरिष्ठ नेताओं ने हाथ उठाकर इस प्रस्ताव का समर्थन किया,जो कभी मुलायम के करीबी माने जाते थे। 

अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में अखिलेश को यह भी अधिकार दिया गया कि वह एसपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और देश के सभी राज्यों के संगठनों को आवश्यकतानुसार गठित करें।इस प्रस्ताव की सूचना यथाशीघ्र निर्वाचन आयोग को उपलब्ध करा दी जाए।दूसरे प्रस्ताव के तहत एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव को एसपी का सर्वोच्च संरक्षक बनाया गया और कहा गया कि शीर्ष नेतृत्व उनसे मार्गदर्शन लेता रहेगा।तीसरे प्रस्ताव के तहत शिवपाल सिंह यादव को एसपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से तत्काल हटाया गया और पार्टी महासचिव अमर सिंह को एसपी से तत्काल निष्कासित कर दिया गया।ये तीनों प्रस्ताव हाथ उठवाकर पारित किये गये।इसके पूर्व,एसपी मुखिया ने सुबह एक चिट्ठी जारी करके अधिवेशन को असंवैधानिक करार दिया था।मुलायम द्वारा असंवैधानिक घोषित इस राष्ट्रीय अधिवेशन में मंच पर मंत्री अहमद हसन,बलवन्त सिंह रामूवालिया,अरविन्द सिंह गोप, रामगोविन्द चौधरी और राजेन्द्र चौधरी समेत ज्यादातर वे नेता मौजद थे,जो कभी एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते थे।मंच पर एसपी से बर्खास्त किये गये और अखिलेश के करीबी युवा नेता भी मौजूद थे।राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के बाद अखिलेश ने कहा कि वह हमेशा एसपी मुखिया का सम्मान करते थे और अब पहले से ज्यादा सम्मान करते हैं।कुछ लोग नेताजी (मुलायम) और पार्टी के खिलाफ साजिश कर रहे थे और बेटा होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती थी कि हम ऐसे साजिशकर्ताओं के खिलाफ खड़ा हो जाएं।उन्होंने खुद को एसपी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने की टीस जाहिर करते हुए कहा कि अगर मुलायम उनसे प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने को कहते तो वह खुशी-खुशी पद छोड़ देते,लेकिन एक व्यक्ति ने नेताजी के घर पर टाइपराइटर मंगाकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने का पत्र टाइप कराया।अखिलेश ने कहा कि जब हम सरकार बनाने जा रहे थे और समाज का हर वर्ग एसपी की दोबारा सरकार बनाने का मन बना चुका था,तभी कुछ ताकतें साजिशें करने लग गयीं।अब प्रदेश में जब दोबारा एसपी की सरकार बनेगी तो सबसे ज्यादा खुशी नेताजी को होगी।

भावुक हुए अखिलेश ने कहा कि नेताजी का जो स्थान है वह सबसे ऊपर है।उन्हें डर था कि चुनाव से ऐन पहले ना जाने कौन मिलकर उनसे (मुलायम) क्या करा देता।मेरे पास परसों एक संदेश आया,जब पत्र खोला तो मुझे नोटिस मिला था और 10-15 मिनट बाद पता लगा कि मुझे और रामगोपाल जी को पार्टी से निकाल दिया गया।मैं अपने विधायकों,समर्थकों को धन्यवाद देता हूं।मुझे पार्टी के लिये कोई भी त्याग करना होगा तो मैं करूंगा।उन्होंने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए आहवान किया कि आने वाले दो-ढाई महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं।प्रदेश में एक ऐसी धर्मनिरपेक्ष सरकार बनानी है,जो प्रदेश को खुशहाली के रास्ते पर ले जा सके।रामगोपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह पार्टी का आपातकालीन अधिवेशन है।आप सब जानते हैं कि पार्टी और सरकार का काम बहुत ठीक तरीके से चल रहा था और उसी दौरान पार्टी के दो व्यक्तियों ने साजिश करके अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवा दिया और पार्टी में एक संकट पैदा हो गया।उन्होंने कहा कि पार्टी में टिकटों का बंटवारा मनमाने ढंग से होने लगा था।

बहुत से लोगों को पार्टी से निष्कासित किया गया।प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेश को नहीं माना और किसी का भी निष्कासन वापस नहीं लिया।प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से मनमाने असंवैधानिक फैसले लेते रहे।जो लोग पार्टी के सदस्य भी नहीं है,उन्हें टिकट दिये गये।साफ था कि ये लोग किसी भी कीमत पर नहीं चाहते थे कि एसपी चुनाव जीते और अखिलेश फिर मुख्यमंत्री बनें।रामगोपाल ने कहा कि पानी जब सिर से ऊपर निकल गया तब पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग लिखकर दी थी।हमने दो महीने तक सुधार का इंतजार किया।तब यह निर्णय लिया गया कि पार्टी का विशेष आपातकालीन अधिवेशन बुलाया जाए।मालूम हो कि एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने गत शुक्रवार को रामगोपाल द्वारा एक जनवरी को एसपी का राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाये जाने के बाद रामगोपाल के साथ-साथ अखिलेश को भी पार्टी से छह साल के लिये निष्कासित कर दिया था।कल अखिलेश द्वारा अपने आवास पर बुलायी गयी विधान मण्डल दल की बैठक में 200 से ज्यादा विधायकों के जुटने और मुलायम द्वारा पार्टी राज्य मुख्यालय पर आहूत प्रत्याशियों की बैठक में बहुत कम उम्मीदवार पहुंचने से मिले संदेश और एसपी के वरिष्ठ नेता की मध्यस्थता के बाद मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन रद्द कर दिया था।हालांकि दोनों की बर्खास्तगी की मुख्य वजह बने राष्ट्रीय अधिवेशन को बुलाने का फैसला बरकरार रखा गया था।

रिपोर्ट:-न्यूज़ रिपोटर 

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