3000 करोड़ की लागत से बनी रेल, सड़क,पुल में दरार…
पिछले तीन-चार दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के पानी से लगभग तीन हजार करोड़ की लागत से बनी दीघा-सोनपुर जेपी सेतु का एप्रोच रोड ध्वस्त होना शुरू हो गया है। बेस धंसने से एप्रोच रोड में दरार और पक्की रोड में बिछाई गई कोलतार मिश्रित कंक्रीट भी बिखरना शुरू हो गई है। ठीक एक माह पहले 11 जून को सीएम नीतीश कुमार ने जेपी सेतु समेत अन्य पुलों का लोकार्पण किया था। बारिश के पानी से भरपुरा, गंगाजल, बजरंग चौक, सुल्तानपुर के निकट सड़क में कई जगहों पर दरार आई है। इन जगहों पर रोड पर बिछी कंक्रीट भी बिखरने लगी है। गुमटी नंबर 3 जहां से एनएच 19 से जेपी सेतु के लिए रूट डायवर्ट होता है, वहां से पुल की दूरी लगभग 4 किमी है। इस दूरी में ही पुल की जगह मिट्टी के धंसने से एप्रोच रोड का किनारा करीब 200 फीट में ध्वस्त हो
गया है।कॉर्नर टूटने से रोड में करीब दो इंच चौड़ी दरार पड़ गई है।एप्रोच रोड पर काम चल ही रहा था उसी दौरान जेपी सेतु के लोकार्पण की घोषणा हो गई थी।युद्धस्तर पर मेटल व मेटेरियल बिछा एप्रोच रोड पक्कीकरण कर चालू कर दिया गया।एप्रोच रोड बनाने के लिए हुआ अर्थ वर्क भी ठीक ढंग से नहीं हो पाया था।प्रेशर रोलिंग के बाद भी एप्रोच बेस की मिट्टी ढीली रह गई।यही कारण है कि तीन दिनों की बारिश में ही एप्रोच का बेस धंसना शुरू हो गया है।बेस धंसने के कारण पक्की रोड का उपरी सतह फटना, दरकना शुरू हो गया है।एप्रोच से लेकर पुल की कुल लंबाई 4.556 मीटर है।इसमें एप्रोच रोड की लंबाई 2.56 मीटर है।कुल लंबाई को नॉन स्लीपरी यानि खुरदरा बनाने के लिए मास्टिक का काम करना था। बॉयलर में अलकतरा और 10 एमएम स्टोन चिप्स और लाइम को मिक्स कर इसका एक गाढ़ा परत सड़क पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद इसपर 20 एमएम का स्टोन चिप्स बिछा दिया जाता है।
इससे दोहरा फायदा होता है।एक तो तेज रफ्तार गाड़ियां जब ब्रेक लगाती हैं तो न तो कंक्रीट टूटता है और न गाड़ी आगे सरकती है।दुर्घटना की आशंका न्यून होने के साथ अतिरिक्त परत बिछ जाने से रोड भी वेल प्रोटेक्टेड हो जाता है।रोड पर जमा होने वाली पानी को निकालने के लिए रोड के दोनों किनारों में लंबी नाली बनाई जानी थी।इसके अलावा पानी से एप्रोच रोड की बेस यानि मिट्टी का कटाव रोकने के लिए घास लगाया जाना था।आनन-फानन में पुल का उद्घाटन हो जाने से यह दोनों काम भी नहीं हो सका।पुल और एप्रोच रोड का बहुत सारा काम अब भी बाकी है।बिहार राज्य रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के इंजीनियर व मजदूर उद्घाटन बाद से अपने काम में लगे हुए हैं।रोड में दरार आने व कॉर्नर गिर जाने के बाद सबसे पहले एजेंसी के मजदूर बालू भरी बोरियां डालकर एप्रोच के किनारे को ठीक करने में लगे हैं।टूट गई पक्की सड़क को अगले चौबीस घंटे में दुरुस्त कर देने की बात कही गई है।बीएसआरडीसी के जूनियर इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि समस्या गंभीर नहीं है।गंगा के उपर पुल और एप्रोच बनी है। बलुआही मिट्टी का बेस होने की वजह से बारिश से कटाव हुआ है।कटाव रोकने के लिए इटैलियन तकनीक का सहारा लिया गया है।कॉर्नर पर खाद वाली मिट्टी डालकर घास का बीज बो दिया गया है।घास उग जाने पर उसकी जड़े मिट्टी को बांध लेंगी।पानी निकल जाए इसके लिए जाली भी लगाई गई है।नाली अभी बन ही रही है।जहां रोड क्षतिग्रस्त हुआ है उसे कंक्रीट से भर दिया गया है।
रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर