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यहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं हथकड़ी,जेल जाने से बचाती हैं ये माता…

भगवान को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु उन्हें बड़ी श्रद्धा से फल-मिठाई अर्पण करते हैं।वहीं माता के मंदिरों में नारियल, सिन्दूर, मेहंदी, चूडिय़ां, बिंदी,वस्त्र आदि मां को भेंट किए जाते हैं लेकिन,क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां देवी को हथकड़ी और बेडिय़ां चढ़ाई जाती हैं।जी हां,प्रतापगढ़ जिले के जोलर ग्राम पंचायत में दिवाक माता का एक प्राचीन मंदिर है।यह मंदिर देवलिया के पास घने जंगल में स्थित है।ऊंची पहाड़ी पर बने मंदिर के चारों ओर घना जंगल है।छोटी-बड़ी पहाडिय़ों और ऊंची-नीची जगहों को पार कर पैदल ही यहां पहुंचा जा सकता है।इस मंदिर में हथकड़ी और बेडिय़ा चढायी जाती हैं।माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं और देवी को प्रसन्न करने के लिए हथकड़ी और बेडिय़ा चढ़ाते हैं।मंदिर में रखी कुछ बेडिय़ा तो 

200 साल से भी अधिक पुरानी है।ऐसी मान्यता है कि दिवाक माता के नाम से ही ये हथकड़ी और बेडिय़ा अपनेआप खुल जाती हैं।एक समय था, जब मालवा के इस अंचल में खूंखार डाकुओं का बोलबाला था।डाकू यहां मन्नत मांगते थे कि अगर वे डाका डालने में सफल रहे और पुलिस के चंगुल से बच गए,तो वे हथकड़ी और बेडिय़ां चढ़ाएंगे। सूत्रों के अनुसार, रियासत काल के एक नामी डाकू पृथ्वीराणा ने जेल में दिवाक माता की मन्नत मांगी थी कि अगर वह जेल तोड़कर भागने में सफल रहा, तो वह सीधा यहां दर्शन करने के लिए आएगा। गांव के बुजुर्गो का कहना है कि दिवाक माता के स्मरण मात्र से ही उसकी बेडिय़ां टूट गई और वह जेल से भाग जाने में सफल रहा।तब से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी अपने किसी रिश्तेदार या परिचित को जेल से मुक्त कराने के लिए लोगों द्वारा यहां हथकड़ी और बेडिय़ां चढ़ायी जाती हैं।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

 

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