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मजिस्ट्रेट सत्यप्रिय आनँद और पेशकार कमल कुo वर्मा के मिली भगत से नहीं हो पता न्याय….

सत्यप्रिय आनँद जी है सिविल कोर्ट के हाकिम कहलाते है।इनका बोर्ड पर नाम तो गायब है ही।बल्कि बिकाऊ भी है।15000 हजार मे वह चेक बाउंस का केस को खा गये आँखो देखा उनका पेशकार।मिली भगत करके क्या वे जजमेंट करेगे…? जजमेंट तो वो किये जो सारा हिंदुस्तान सलाम करता है जस्टिस माननीय जगदीप सिंह जी।ये कहना एक पीड़ित का है की वर्षो से केश चला चेक बाउंस होने का जिसे दो मिनट में हि मिली भगत करके जजमेंट कर दिए…जो को ऐसे  विवेकहीन को कौन जजमेंट का कुर्सी दे देता है।पीडिता का कहना है की अब मुझे कानून  से घिर्णा हो गया घूसखोर सत्यप्रिय आनँद के न्यायलय में न्याय नहीँ न्याय बिकता है।माननीय लव गुरु मटुकनाथ जी के कथनानुसार 7 सालो से चेक बाउंस का केस चल रहा था,पहले मजिस्टेट गायत्री कुमार फ़िर सत्यप्रिय आनँद जी के कोर्ट मे पेशकार 

का नाम कमल कुमार वर्मा है जो की पीडिता से घुस करीब 8/10 दिनो से माँग रहे थे की चेक का मामला रफा- द्फा करवा देगे।अब सवाल यहाँ यह उठ रहा है की जब न्यायालय हि इस तरह का खेल करेगा तो पीड़ित जाए तो जाए कहा ? जब सब जगह से हार मान जाने पर लोग न्यायालय का दरवाजा खटकता है और वहा भी घुस नहीं देने पर न्याय नहीं मिलता वहा अब लोग जाए तो जाए कैसे ?

पीडिता ने बताया की कमल कुमार वर्मा बोले की दिलीप कु पिता मिथिलेश प्रसाद 15000 दिया है मै आपको केस हरवा दूगा मै समझ नहीँ पायी, न्यालय का धौंस जमाकर म्जिस्टेट सत्यप्रिय आनँद पेशकार कमल कुo वर्मा की मिली भगत कर मेरे खिलाफ पीरभोर थाना मे केस कर दिया गया मुझे गीरी जी द्वारा फोन पर सूचना मिली फिर मै पिरभोर थाना गई थानेदार से मिली एक apilication लिखी की गलत फँसाने के सम्बन्ध मे बहूत ही अधिकार निस्ट नहीँ कर्तव्य निस्ट थानेदार केशर आलम पीरभोर थाना पटना के जजमेंट थानेदार है न्यालय का दबाव भी आया फोन पर लेकिन उन्होने विवेकहीन नहीँ बल्कि बेबेक सिल की जजमेंट की।माननीय ssp मन्नू महराज जी को मै फोन लगाई whatsapp पर पूरी सूचना भेजी, आपको मालुम  हो की पूरी तैयारी से  मजिस्टेट ने तैयारी कर रखा था की घुस नहीं देने पर FIR कर जेल भेजवा देते शुक्र है पिरभोर थानाध्यक्ष कैसर आलम जी का जिन्होंने हमें न्याय दिया और मजिस्ट थाना पर दबाव बनाना झूठा मुकदमा करने का जो सफल नहीं हुए….

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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