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बिहार में जो तबाही हुआ उसका जिम्मेवार कौन…? जिला प्रसाशन का आस छोड़ दिये लोग, अब भगवान-भगवान कर रहे लोग…।

किशनगज की बात करे तो एसडीएम साहब को रात 1 बजकर 25 मिनट से लगातार फ़ोन पे फ़ोन किया गया परन्तु एसडीएम ने फ़ोन उठाना मुनासिब नहीं समझा और ना हि मिस काल का उत्तर दिया आदमी मर जाए उससे साहब को कोई मतलब नही है।तो फिर NDRF टीम के साथ कैसे मदद करेंगे एसडीएम…? किशनगंज शहर के वार्ड नंबर-23/24 में जो हाल हुआ है उसे देख लोगो का रूह काप जाए।whatsapp के माध्यम से निवेदन किया गया कि एक नाव भी सेंट चाइल्ड स्कूल के पास भेजवाने की कृपा करें ताकी ऊँचा जगह पर भेजा जा सके।बच्चों की स्थिति सही नही है सभी डरे हुए है।आप से मदद मांगा जा रहा रात 1:25 बजे से जो आप फ़ोन उठा ही नही रहे है।सुबह से मदद मांगा जा रहा पर अभी तक जिला प्रसाशन एक नाव का भी इंतजाम नही कर पाया।कोई भी दुर्घटना होने पर उसका सीधे जिम्मेवार जिला प्रसाशन होंगे।आपको बताते चले की प्रसाशन ने पहले से कोई तैयारी नहीं 

किया के कारण परिस्तिथि भयाभय हो गई है।यहाँ तक कि एसडीएम कॉल नहीं उठा रहे और डीएम साहब कहते है की एसडीएम से बात करे तीन नाव लेकर गए हुए है।ये कहावत हो गया भोज के वक्त कोहरा रोपने वाला…गौर करे की डीपीआरओ श्री मनीष कुमार को whatsapp पर कहा गया की सर ढेर घण्टा बोले थे अभी तक नाव नही पहुचा।जिसका जबाब उन्होंने नहीं दिया और फ़ोन कट 

गया दुबारा फ़ोन लगाने पर DPRO किशनगंज ने भी फ़ोन नहीं उठाया।ऊपर वाले ही मदद करे।आखिर पहले से जिला प्रसाशन ने क्यों नही तैयारी कर रखा था।जब कि किशनगज जिला सहित आस पास के जिला को हाई अलर्ट घोषित किया गया फिर भी किसी प्रकार का कोई तैयारी नही।क्या कुछ अनहोनी होने का इंतजार कर रहा है जिला प्रसाशन जैसा प्रतीत होता है।कुछ अनहोनी हो और जाकर फ़ोटो खिंचावा कर वाह वही लुटे।1 बजकर 25 मिनट के बाद अभी तक किशनगंज जिला प्रसाशन नींद में है वार्ड 24 में अभी तक सुविधा नदारत है।अब लोग भगवान भगवान कर रहे है।जिला प्रसाशन का आस छोड़ दिये लोग।अब भगवान भगवान कर रहे

लोग।फ़ोन करने के बाबजूद कॉल रिसिभ नही किये।जब कि सरकारी नंबर पर कॉल किया जा रहा था ना कि एसडीएम के प्रशनल नंबर पर।अगर रात को ही या सुबह तक नाव बोर्ड भेज देने पर इतना क्षति और जान माल का नुकसान नही होता।और जो चार लोग डूबे उसे बचाया जा सकता था।पर ऐसा नही हुआ।और तो और जो घर से बेघर हो गए उसको देखने राहत सामग्री तक देना मुनासिब नही समझे।जब कि NDRF की टीम के साथ सरकारी अधिकारी भी मौजूद थे।क्या उनसे ये क्यों नही पूछा गया कि कहा-कहा लोगो को सुरक्षित पहुंचाया गया।वही-वही सामग्री को पहुंचना था।जिससे कम से कम बच्चों लोगो को राहत मिलता।पर यहाँ तो फ़ोटो खिंचवाकर सरकार को और आम जनता को दिखला वेबकूफ बनाने लग गए अधिकारी जैसा प्रतीत होता है।फ़ोटो खिंचवाओ और सोशल मीडिया में पोस्ट कर दो जिससे सरकार को और वरीय अधिकारी देख लेंगे की हैं बचाव कार्य किया जा रहा। क्या एसडीएम 

किशनगंज यह बताएंगे कि रुइधाशा वार्ड नंबर 23/24 से कितने लोगों को मदद दिया गया।मैं बताता हूँ मात्र पांच लोगों को सिर्फ 24 में मेरे नजर में वो भी दूसरे दिन रात को 20:20 में आये वो भी बड़ी मकसद के बाद सूरक्षित स्थानों पर ले जाकर छोड दिये।अगर दिन में बोर्ड लेकर या बोर्ड भेजवाय भी देते तो कोई उपाय निकाला जा सकता था।लेकिन कॉल तक नही उठाये।और ना ही कॉल बैक किये की कौन है कैसा है कही मदद तो नही मांग रहा।एक बात और गौर करनेवाला यह है कि डीएम किशनगंज से बात करने पर उन्हीने बताया कि एसडीएम मो0 सफीक तीन बोर्ड लेकर बचाव कार्य मे लगें है।जब कि सच्चाई यह है कि मात्र एक बोर्ड NDRF का वार्ड नंबर 23/24 में था।उस पर भी डीएम किशनगंज एक रिपोटर को ले मात्र दो परिवार के लोगो को सुरक्षित जगह पहुंचाए।जब कि छतों पर से लोग चिल्ला चिल्लाकर हल्ला भी कर रहे थे कि पहले हम लोगों को यहाँ से बाहर निकाले जिसमे से मैं खुद हूँ।आप गौर करे कि रात 1 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 12:55 बजे तक कॉल करता रहा एक कमर पानी में रूम में बच्चा सहित पर

एसडीएम किशनगंज ने फ़ोन नही उठाये।और आये भी रात को 20:20 में।तब तक लोग अपने अपने स्तर से सुरक्षित निकल गए थे कुछेक लोग फंसे हुए थे।एक जिम्मेदार अधिकारी का यह कार्य समझ से पड़े है।एसडीएम किशनगंज को जबाब देना होगा कि आप का ड्यूटी कहा था और तीन बौर्ड कहा थे…?आम लोग काफी नाराज है।आप गौर करे तो वार्ड-24 में मात्र पांच घर नहीं होते तो निकलती तक़रीबन 200 लाश।लोग किस तरह से बहार निकले है सब कैमरा में कैद है।जिला प्रशासन पर हत्या का मुकदमा दर्ज होने चाहिए।लोग चर्चा कर रहे थे की सरकार का बदनामी करने के फिराक में थे जो सफल भी हुए।आपको बता दे कि बिहार सरकार के मौसम विभाग ने चार दिन पूर्व हाई अलर्ट सिमांचल को घोषित कर दिया था जिसे जिला प्रसाशन ने छुपाया,तीस्ता पानी छोड़ा यह

भी छुपाया तो बताये की क्यों छुपाये इसमें क्या राज है आम जनता जाननी चाहती है क्यों की जिला प्रसाशन ने इसे सीरियस नही लिया जिस कारण यह हाल किशनगंज में देखने को मिला।आम जनो का गुस्सा जिला प्रसाशन पर देखने को मिला पुलिस प्रसाशन हाय-हाय के नारे भी लगे।लोग बिजली के लिए रोड पर उतर आये नारे लगाने लगे जामकर दिए प्रसाशन ने लाठी चार्ज किया यह सब हाल है अब किशनगंज में भगवान ही अब मालिक है जब फ़ोन उठते ही नही है तो सुनेगे क्या,तक़रीबन मेरे आस-पास 450 लोग थे कोई पोल पर तो कोई गाडी के छत पर तो कोई किसी घर के खिरकी के छत पर ऐसे पदाधिकारी को सेंटिंग पोस्ट पर डाल देना चाहिए और किसी अन्य पदाधिकारियों को यहाँ पदस्थापित करना चाहिए जो सिर्फ आम लोगो का ही सुने।नही तो आप स्वंय विचार करेकि 

तीस्ता पानी बिन बताये हुए छोड़ सकता है…? यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि बिहार पुलिस के एएसआई, एसआई, तक बचाव कार्य मे लगे रहे।पर इनसे ऊपर वाले बाबू नदारत दिखे।कुछ लोग गुस्से से कह रहे थे की इन लोगो का कुछ नहीं होगा।पर गौर करे तो क़ानून सबके के लिए बराबर है अब देखना यह दिलचस्प होगा की सरकार इनलोगो पर क्या कारवाई करती है,और करती भी है तो क्या कारवाई करती है।यह बात लोगो ने गुस्से से कहा जिसे whatsapp पर डाला भी गया जिसे साहब ने पढ़ा भी पर कोई कार्यवाही नहीं।आप गौर करे की तिस्ता बाँध से पानी छोड़े जाने की सूचना अगर लोगो को समय पर दे दिया जाता तो लोगों को संभलने का 

मौका मिल सकता था।जिला प्रशासन और नगर परिषद को तीस्ता डैम से पानी छोड़े जाने की सूचना थी।लेकिन जिला प्रशासन ने माइकिंग नही कराया।जिले में जो भी बर्बादी हुई है इसके लिए जिला प्रशासन और सीधे तौर डीएम जिम्मेवार है।यहाँ तक कि डीएम के सम्बंध में चर्चा यह है कि डीएम साहब बिहारियो से नफरत करते है इसलिए हमे मरवा दिया ऐसा लोगो का कहना है।आम जनता और छोटे अधिकारी जब गलती करते हैं तो जिला पदाधिकारी उनके विरुद्ध कार्यवाही करने में कोई कोताही नहीं छोड़ते हैं तो इनके ऊपर भी जान माल की छती का मामला दर्ज होना चाहिए और कार्रवाई होनी चाहिए।आपको बताते चले की आक्रोशित लोगों द्वारा 

हाइवे जाम करने और उन पर पुलिस द्वारा लाठी चलाये जाने के सवाल पर डीएम ने प्रेस वार्ता में कहा की पीड़ितों का आक्रोशित होना जायज है,लेकिन सड़क जाम करने से राहत कार्य में व्यवधान होता है़ हाइवे पूर्णत:चालू रखने के लिए हाइवे पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गयी है़ कोई दुकानदार किसी भी सामान की कीमत निर्धारित मूल्य से अधिक लेता है तो उस पर कार्रवाई की जायेगी़ इसकी सूचना तुरंत जिला प्रशासन को दे़।पानी छोड़े जाने की नहीं थी सूचना:डीएम तिस्ता डैम से पानी छोड़े जाने से पूर्व लोगों को एलर्ट नहीं करने के मुद्दे पर डीएम पंकज दीक्षित ने गुरूवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि पानी छोड़े जाने को लेकर तिस्ता डैम ने किशनगंज जिला प्रशासन को कोई अग्रिम सूचना नहीं दी़ हालांकि आधिकारिक सूत्रों की माने तो जिला प्रशासन को इसकी भनक थी

प्रशासनिक अधिकारियों में कुछ अधिकारी अपने शुभचिंतकों तक ही यह बात सीमित रखी़ यदि जिला पदाधिकारी के दावे को ही सही मान लिया जाये तब भी यह प्रशासनिक विफलता ही है कि पड़ोसी राज्य के उस डैम से पानी छोड़ा जाता है जिसका सबसे अधिक खामियाजा किशनगंज को भुगतना पड़ता है़ फिर भी किशनगंज जिला प्रशासन को इसकी खबर नहीं दी जाती है।आप विचार करे की शहरी क्षेत्र से जब प्रशासन लोगो को नही निकाल पाई और एक सप्ताह बाद भी शहर के लोग त्राहिमाम कर रहे है तो जरा सोचिए की ग्रामीण क्षेत्रो मे कितनी भयावह स्थिति होगी ? दुध के लिए बिलखते उस नौनिहाल पर क्या गुजर रही होगी जिसका जन्म 24 घंटे पहले हुआ होगा ? उस मॉ पर क्या बीत रही होगी जो अपने 4 साल के बच्चे को गा़य के उपर बैठा कर भगवान और अल्लाह के 

भरोसे नदी के बहाव मे छोड़ने पर मजबुर थी इन सब के बाद भी डीएम साहब आप छपास रोग से पीड़ित होकर कैसे सेल्फी ले रहे थे ? अगर इसी को नौकरशाह कहते है तो मै भगवान का शुक्रिया अदा करता हुँ कि कभी मेरे मन मे ऐसा विचार नही आया।हमारी तबाही पर मौन क्यों प्रशासन, जवाब तो देना होगा।हमेशा अख़बारों की सुर्खियों में बने रहनेवाले किशनगंज के एस.डी.एम जनाब शफीक आलम साहब आज मौन धारन किए हुए है।ज़ाहिर है,बाढ़ से तबाह हुए लोगों के सामने मूंह बंद करने के अलावा और चारा ही किया है,क्योंकि सवाल बहुत हैं,और जवाब एक भी नहीं।पूरे शहर में आज प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की गई।पुतले फूंके गए।एस.डी.एम,ए.डी.एम समेत कई अधिकारियों की घेराबंदी की गई।मौके पर मैं भी मौजूद था।एक पत्रकार होने के नाते मैंने उनसे कई सवाल पूछे,लेकिन वह यह कह कर मौन धारन कर लिए कि,जो पूछना है डी.एम साहब से पूछिए।जनाब हम तो पूछेंगे,और क्यों न 

पूछें ? डी.एम को कम ही लोग पहचानते हैं।लोगों के आइकॉन तो आप हैं।डी.एम के प्रतिनिधि भी कहीं न कहींआप ही हैं।आप जवाब नहीं दे सकते हैं तो गलती मानिए।यह कुबूल कीजिए कि बाढ़ की तबाही को रोकने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।विनाशकारी बाढ़ में जिस तरह निजी संस्थाएँ और सामाजिक संस्थाएँ आगे आए किशनगंज के लिए एक बड़ी उपलब्धि है,जिनमे दफ्तरी ग्रुप,नेमचंद अग्रवाल ग्रुप,महामाया स्वीट्स,मारवाड़ी युवा मंच,सिख समुदाय के अलावा कई अन्य समाजसेवी संस्थाएं अब भी भरसक प्रयत्न कर ज्यादा से ज्यादा बाढ़ पीड़ितों तक राहत पहुंचाने की मुहिम में लगी हुई है,सभी को अगर ये संस्थाए आगे नहीं 

आती तो विचार कीजिये की जिला प्रसाशन कहा तक लोगो को राहत सामग्री देती,जो कॉल करने पर फ़ोन नहीं उठाते उनसे क्या उमीदे की जा सकती है ?केवलसच आप सभी का शुक्रिया अदा करता है।आपको बताते चलेकि सुखानी-तेलता रेल लाइन का मरम्मत कार्य तेजी से किया जा रहा है।बाढ़ के कारण रेल ब्रिज टुट चुका है जिससे किशनगंज आने और जाने वाली सभी ट्रेनें रद्द है।एक मात्र स्पेशल ट्रेन जो गुवाहाटी और दलकोला के बीच चलाई जा रही है।आक्रोशित बाढ़ पीड़ितों ने लगातार दो दिन सांसद मौलाना असरारुल हक को बनाया बंधक।इतना ही नही दूसरे दिन बाढ़ पीड़ितों ने एसडीएम मो0 शफीक,एसडीपीओ कामिनीबाला और बंगाल 

क्षेत्र के आईजी को भी बंधक बनाया।आपको मालुम हो की लगातार दस घंटे राष्ट्रीय राज्यमार्ग 31 पर आवाजाही बाधित रही।कसबा पुर्णिया प्रखंड में बाढ़ का कहर तो थम चूका है,लेकिन बाढ़ के पानी में डूबने से मौत की घटना लगातार बढ़ती ही जा रही है।शनिवार को दो अलग-अलग घटनाओं पिछले कुछ दिनों से लापता 2 लोगों का शब पुलिस ने कोसी नदी के धार से बरामद किया है।पहली घटना के संबंध में जानकारी देते हुए कसबा थानाध्यक्ष ने बताया कि गुरूवार की शाम सूचना मिली की टीकापुर स्तिथ कोसी नदी धार के किनारें में एक अज्ञात व्यक्ति का शब पड़ा हुआ है।सूचना मिलने के बाद शब को नदी से निकाला कर गुरूवार कि रात्रि ही

पोस्टमॉडम के लिए भेज दिया गया।शब की पहचान कसबा नगर पंचायत के वार्ड संख्या 14 के रवि कुमार साह के रूप में की गई।मृतक रवि कुमार साह के परिजनों ने पुलिस को बताया कि रवि कुमार साह मंगलवार से ही लापता थे।गुरूवार को जब अज्ञात शब मिलने की सूचना मिली तो शब की पहचान रवि कुमार साह के रूप में की गई।वही दूसरी घटना कसबा थाना क्षेत्र के मोहनी के गेरुआ गांव की है।घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार गेरुआ गांव के मो0 कैलू 14 अगस्त को ही के नगर के बेलबाड़ी कोसी नदी धार में डूब गए थे।स्थानीय लोगों द्वारा शब की काफी खोजबीन की गई किंतु नदी से शब बरामद नही हो सका।शुक्रवार की सुबह सदर थानाक्षेत्र के पूरनदेवी मंदिर के पास सौरा नदी से मो0 कैलू का शब बरामद किया गया। शब को पोस्टमॉडम हेतु सदर अस्पताल पुर्णिया भेज दिया गया।

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

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