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नालंदा पुलिस ने दिखायी धैर्य नहीं तो जाती कई जान, बिहार-शरीफ रेलवे स्टेशन में तोड़फोड़ हो रही…

सूचना मिली कि बिहार-शरीफ रेलवे स्टेशन में तोड़फोड़ हो रही है।पत्थर चल रहा है।मैं भी घर से स्टेशन की तरफ भागा।लेकिन यह क्या,मार रे,मार रे।जब तक कुछ समझ पाता।मेरी नज़र भागते हुए अधिकारियों व पत्रकार पर पड़ी।हर कोई भाग रहा था।मैंने जल्दी से पत्रकार को बैठाया व रेलवे स्टेशन के दूसरी तरफ जाने के लिए बैगनाबाद से भागा।पत्रकार बंधु ने बताया कि भैया हज़ारों की संख्या में उपद्रवियों ने रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया है।पुलिस कर्मी व पत्रकारों को भी बुरी तरह से पीटा है।बिहार थाना का गाड़ी भी जला दिया है।उधर से निकलकर हमलोग मृदाद के रास्ते रेलवे स्टेशन के पीछे पहुंचे।पूरे प्लेटफार्म पर असामाजिक तत्वों ने कब्जा जमा रखा था।आंदोलन  

का नक्सलिकरण पहली बार देखा।ऐसा कोई नक्सली संगठन ही करता है जो रेलवे स्टेशन को या तो उड़ा देता है या फूंक देता है।गुंडागर्दी इसके सामने कुछ नहीं थी।सब कुछ जंगल राज की तरह।स्टेशन का ढांचा तो दिखा लेकिन स्टेशन के अंदर कुछ नहीं दिखा।सब कुछ धूं-धूं कर जल चुका था।एसपी कुमार आशीष,डीएसपी निशित प्रिया,एसडीओ सुधीर कुमार दो घंटे तक मोर्चे पर डटे रहे।

  • आंदोलन का भेंट चढ़ा रेलवे स्टेशन,करोड़ों का नुकसान
  • छात्र राजनीति की गुंडागर्दी से दहशत में रहे आम लोग व यात्री
  • नालंदा पुलिस ने दिखायी धैर्य,नहीं तो जाती कई जान
  • पुलिस से लेकर पत्रकार भी चोटिल

हमलोग भी पुलिस पदाधिकारियों के साथ हो चले।पहुंचने पर पता चला कि इस पूरे आंदोलन का नेतृत्व छात्र राजद के पूर्व जिलाध्यक्ष चौधरी चरण सिंह कर रहे थे।एक पक्ष उपद्रव के मूड में था तो एक पक्ष किसी और मूड में।पत्थर चल रही थी व गोलियां भी।पुलिस ने सब कुछ बर्दास्त किया।निर्दोष जनता भी फंसी हुई थी।अगर दोनों तरफ से गोली चलती तो शहर का सीन कुछ और हो जाता।बहुत धैर्य दिखायी पुलिस ने।तभी पतुआना की तरफ से पांच लोग आए और कहा कि चलिए तो सर,देखे इन गुंडों को।फिर क्या

स्वाट एक्शन में आयी और पूरे भीड़ को फाड़ना शुरू कर दिया।दूसरी तरफ से डीएसपी इमरान परवेज़,ज्योति प्रकाश,थानाध्यक्ष उदय कुमार,सीआई अशोक कुमार,लहेरी थानाध्यक्ष मेराज हुसैन भीड़ पर हावी होते दिखे।डीएसपी निशित प्रिया व एसडीओ सुधीर कुमार ने खेत से खदेड़कर असामाजिक तत्वों को पकड़ा।सभी पदाधिकरी धूप में दौड़ दौड़ कर असामाजिक तत्वों को खदेड़ कर पकड़ते दिखे।हाथ में माइक लिए एसपी सभी से बिनती कर रहे थे कि आप लोग हट जाइये,अपने अपने घर चले जाएं।देखो आगे रेलगाड़ी खड़ी है क्या।हां सर,चलो तो जरा।पैदल ही ट्रैक से होते हुए पतुआना पहुंचे।ग्रामीणों से पूछा,ठीक तो है ना।जी सर,आया था सब कहने 

कि ट्रेन में आग लगा देते है।उ तो सर, हम लोग भी तैयार थे,इसलिए भाग गया।तुरंत एसपी ट्रेन की सुरक्षा के लिए रैफ के जवान को वही पर छोड़ देते है और बापस आकर प्लेटफार्म की ओर चल देते है।पूरा स्टेशन टूटे हुए शीशे से पटा पड़ा था।रेलवे ट्रैक पर पेड़ व फर्नीचर फेंका हुआ था।रेलवे स्टेशन में आग लगी थी।सारा सिस्टम तहस नहस हो चुका था।आकलन करना मुश्किल था कि कितने 

https://www.youtube.com/watch?v=qzAlp6QXZNI

करोड़ का नुकसान हुआ होगा।डीएम डॉ. त्यागराजन व नगर आयुक्त कौशल कुमार भी पहुंच चुके थे।यह आंदोलन पूरी तरह सुनियोजित थी।पत्रकार संजीव को बुरी तरह चोट लगी थी।राजकुमार मिश्रा व ऋषि के भी घायल होने की सूचना मिली।तब तक मैंने कुछ लोगों से बात की जिसके बाद मुझे पता चला है कि इस छात्र आंदोलन में कोई भी वास्तविक छात्र शामिल नहीं था।आंदोलन के नाम पर जो भी हिंसा हुई वो हिंसा सिर्फ और सिर्फ राजनैतिक दल एवं गुंडे कर रहे थे।इन सब छात्रों के भेस में घूम रहे राजनैतिक 

https://www.youtube.com/watch?v=n8swZScjCAA

दलों एवं गुंडों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये तथा इन लोगों के कारण जो सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ है,उस नुकसान को इन राजनैतिक दलों एवं तथाकथित छात्र नेताओं को प्राप्त फण्ड में से की जाये तथा इसके पीछे के षड़यंत्र की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाये।लोकतंत्र में विरोध करने का संवैधानिक अधिकार सबको दिया गया,परन्तु छात्र आंदोलन में जो हुआ, वो किसी भी प्रकार से संवैधानिक नहीं कहा जा सकता।पहले भी छात्रों ने आंदोलन किया है, लेकिन वो कुछ समय के लिए फोटो सोटो खिंचवाकर चले जाते थे परन्तु आज जो हुआ है,छात्र इस प्रकार कभी गुंडागर्दी नहीं करते।ये कार्य पूर्ण रूप से राजनैतिक था,जिसके कारण आगजनी, लूटपाट एवं गुंडागर्दी हुई है।कई स्थानों पर आम नागरिकों के साथ भी मारपीट की गई। इन सब बातों के बाद ये साबित होता है कि इसके पीछे एक बहुत बड़ा राजनीतिक सपोर्ट था।खैर कुल मिलाकर 17 लोग गिरफ्तार हो चुके है।आगे की करवाई चल रही है,पुलिस व प्रशासन अपना काम करेगी।सुबह से ही लोग भूखे प्यासे अपनी ड्यूटी में लगे रहे।अब चैधरी चरण सिंह की गिरफ्तारी से ही सब कुछ क्लियर हो पायेगा कि टीआरपी के चक्कर में शहर व सरकार का कितना नुकसान हुआ है।दम था तो दिल्ली में जाकर आंदोलन करते,पूछते पीएम से कि तीन साल में वैकेंसी क्यों नहीं निकला।

रिपोर्ट-(kewalsachlive.in whatsapp गुरुप…)

 

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