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नक्सलियों ने घर में जाकर गोली मार की हत्या,दो दिन बाद होनी थी लड़के की शादी…

बिहार के रोहतास के दरिगांव थानाक्षेत्र में कैमूर पहाड़ी गांव गोरेया में प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीपीसी के हथियार बंद दस्ते ने एक युवक जितेंद्र खरवार को घर से निकाल कर गोली मार हत्या कर दी है।घटना बुधवार रात दस बजे की है।जब टीपीसी के एरिया कमांडर अनिल कुशवाहा के साथ बारह की संख्या में उमाशंकर खरवार के दरवाजे पर पहुंचे हथियार बंद नक्सलियों ने थोड़ी देर की गरमागरम बहस के बाद घर गए जितेंद्र के पीछे से गए और निकाल कर बाहर लाया।दरवाजे पर खड़ा किया और बायी सीने में गोली मारकर मौत की नींद सुला दी।घटना के बाद गांव में कोहराम मच गया।फिर नक्सली हवा में फायरिंग किए और चलते बने।दरिगांव थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस गोरेया गांव पहुंची।जहां से शव को पोस्टमार्टम के लिए सासाराम लाया गया है।थानाध्यक्ष ने बताया कि घटना के बाद सीआरपीएफ सहित स्थानीय पुलिस की छापेमारी तेज की गई है।अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।बीए पार्ट टू का छात्र जितेंद्र की शादी भी इसी महीने पांच मार्च को होने वाली थी,जिसकी तैयारी घर में धूमधाम से चल रही थी।हत्या की रात भी महिलाओं ने थोड़ी देर पहले पारंपरिक गीत बंद किए थे।खाना खाकर सभी लोग सोने जा ही रहे थे कि अचानक नक्सली दस्ता आ धमका। उसके बाद हत्या की यह वारदात हुई।फिर शादी की तैयारियां मातम में बदल गई।महिलाएं जहां के तहां पछाड़ खाकर रोने लगी।5 मार्च को आने वाले रिश्तेदार घटना की जानकारी मिलते ही गुरुवार की सुबह गोरेया गांव मातम पुरसीच गए।मृतक के पिता उमाशंकर खरवार ने बताया कि इस घटना से उनका परिवार टूट गया है।गोरेया के युवक जितेंद्र खरवार को नक्सली दस्ते ने इसलिए गोली मार दी।क्योंकि उसने दरवाजे पर आए टीपीसी कमांडर और उनके साथियों को खाना खिलाने से इंकार कर दिया था।जितेंद्र के पिता उमाशंकर खरवार की माने तो पूर्व में भी दो तीन बार नक्सलियों ने उनके बेटे पर खाना खिलाने का दबाव बनाया था।जिससे वह इंकार करते रहा।बुधवार की रात जब नक्सली आए और खाना खिलाने की बात कहे तो जितेंद्र ने कहा-सुनी के दौरान थोड़ी ऊंची आवाज में बात की और घर के अंदर चला गया। पीछे गए छह की संख्या में नक्सलियों ने उसे घर से बाहर निकाल कर लाया और दरवाजे से कुछ दूरी पर सीने में सटाकर गोली मार दी। लगता है अब गांव छोड़ कर भागना पड़ेगा।पांच वर्षों तक लगातार शांत दरिगांव व बड्डी का कैमूर पहाड़ी वाला इलाका एक बार फिर नक्सलियों की बढ़ी गतिविधियों से दहशत में है।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर  

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