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जिस मंडप होनी थी शादी वहीं बनानी पड़ी दूल्हे की अर्थी…

शादी से पहले घर के आंगन में मंडप बनाया जाता है।इसी मंडप के नीचे बहनें दूल्हे को तैयार करने की रस्म अदा करती हैं। संयोग ही था कि इस मंडप के नीचे ही मुकेश की अर्थी को भी तैयार किया गया।गौरतलब है कि एक दिन पहले सड़क हादसे में दूल्हा सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी।आज नहीं तो कल खुशियां आएंगी, बस इसी उम्मीद से जगदीश पटेल वक्त गुजारता रहा।खुशियां तो नहीं आई, लेकिन वक्त इतना गहरा घाव दे गया कि उसे अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा है।एजुकेशन लोन लेकर बेटे मुकेश को पढ़ाया और जब नौकरी लगी तो बेटे का घर बसाने का मन हुआ,लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।बेटा चला गया।बुधवार को हादसे के दूसरे दिन गांव में मातम रहा और गमगीन परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधाने के लिए भी लोग हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।रूपदी गांव में बुधवार को भी मातम रहा।गांव के लोग हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि जगदीश पटेल के घर जाकर उसे ढांढस बंधा पाएं। अगर कोई हिम्मत करता भी है तो उसकी हिम्मत टूट जाती है।इक्का-दुक्का रिश्तेदार आए और जगदीश पटेल को ढांढस बंधाते हुए खुद रोते हुए घर से चले गए।घर में कोई महिला नहीं है, रिश्तेदार व गांव की महिलाएं जरूर अभी रुकी हुई हैं।गरीबी में जिंदगी बसर कर रहे जगदीश पटेल की पत्नी को कुछ साल पहले गंभीर बीमारी ने घेर 
लिया इलाज में पटेल कर्जदार हो गया।दो साल पहले पत्नी की मौत हो गई।जगदीश पटेल ने हिम्मत नहीं हारी और बेटे मुकेश की पढ़ाई के लिए स्टेट बैंक से 4 लाख रुपए एजुकेशन लोन लिया।बैंक आफ महाराष्ट्र से केसीसी बनवाई।खेती के साथ ही जगदीश पटेल ने सिलावटी का कार्य भी गांव में किया और मुकेश को पढ़ाया।जब मुकेश की नौकरी प्राइवेट टेलीकाम कंपनी में लगी और बेटे ने चंड़ीगढ़ जाकर ज्वाइन किया तो जगदीश को लगा कि अब खुशियां उसके दामन में आ गई हैं।ग्राम पटेल देवाजी के 5 पुत्र व 2 पुत्रियों में जगदीश चौथे नंबर के पुत्र हैं। किसी समय गांव के वसूली पटेल रहे देवाजी जाट काफी संपन्न थे, लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं है।जगदीश के पास 7 एकड़ कृषि भूमि है।इसमें से भी आधी तालाब में डूब गई। पिता की मौत के बाद किसी को नियुक्त तो नहीं किया लेकिन पटेली जगदीश ही निभाते हैं।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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