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जिंदा युवक को मृत घोषित करने की अफवाह पर बुधवार को हुआ था बवाल,20 नामजद व 200 पर प्राथमिकी…..

बहादूरगंज पीएचसी में करेंट की चपेट में आए युवक की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों व स्थानीय लोगों द्वारा अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ व आगजनी मामले में 20 नामजद व 200 अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज की गई।डा.निसार अहमद के लिखित शिकायत पर बहादुरगंज थाना में कांड संख्या 261/16 दर्जकर पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है।वहीं शुक्रवार को बहादुरगंज पीएचसी के सभी चिकित्सक व कर्मी स्थानीय सदर अस्पताल में धरने पर बैठ गए।धरने में जिले के सभी सरकारी चिकित्सकों ने भी साथ देते हुए हाथ में काली पट्टी बांध धरने पर बैठे।धरना के दौरान बहादुरगंज पीएचसी के चिकित्सा प्रभारी सोहेल अहमद ने कहा कि उपद्रवियों की मंशा उनकी हत्या करने की थी।बहादूरगंज की जनता की सेवा में वर्षों से लगे रहने के कारण उनकी लोकप्रियता से कई लोग घबराने लगे थे।सोहेल अहमद ने यह भी कहा कि उपद्रवियों ने ना केवल उनकी बाइक को घर से निकाल कर आग के हवाले कर दिया था बल्कि घर में भी आग लगा दी थी।किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल हो गए थे।उपद्रवियों की सारी करतूत सीसीटीवी में कैद है।उन्होंने कहा कि जबतक मामले के सभी आरोपियों को उनके किए की सजा नहीं मिल जाती है तबतक उनका आंदोलन जारी रहेगा।धरना पर बैठे चिकित्सक व कर्मी।क्या था मामला बताते चले की प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बहादुरगंज में इलाज के दौरान युवक की मौत पर आक्रोशित लोगों ने जमकर बवाल काटा व तोड़-फोड़ की।परिजनों व आक्रोशित लोगों ने आगजनी भी की।बवाल काट रहे उग्र लोगों का सीधा आरोप था कि समुचित इलाज किए बगैर बिजली का करंट लगे युवक को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। हालांकि सिविल सर्जन डॉ परशुराम प्रसाद ने पीएचसी में डाक्टरों के द्वारा लापरवाही बरतने से इंकार करते हुए कहा कि युवक को नाजुक स्थिति में भर्ती कराया गया था।इलाज के दौरान मरीज ने दम तोड़ दिया।जीवित को मृत घोषित करने की बात सरासर गलत है।जानकारी के अनुसार घटना नप क्षेत्र के वार्ड संख्या 11 से जुड़ा हुआ है।बुधवार को वार्ड संख्या सात निवासी वरुण कुमार दास का 22 वर्षीय पुत्र गोबिंद कुमार एक शिक्षक के घर ग्रिल की रंगाई कर रहा था इसी दौरान वो अचनाक बिजली के चपेट में आ गया।घर वालों द्वारा हो-हल्ला करने पर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे व घायल युवक को आनन फानन में तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया।परिजनों का आरोप था कि डॉक्टरों ने घायल गोबिंद को मृत घोषित कर दिया। निराश हतोत्साहित परिजनों ने रोते-रोते पीड़ित युवक को लेकर जब अस्पताल से बाहर निकल रहा था।इतने में पीड़ित लड़के में हरकत आने लगी।इतना में आक्रोशित लोगों ने डॉक्टरो की लाहपरवाही के विरोध नारेबाजी करते हुए अस्पताल में तोड़ फोड़ करना शुरू कर दिया एवं मौके पर ही प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.सोहेल अहमद खान की प्लसर मोटर साइकिल आग के हवाले कर दिया।वहीं मौकेपर अस्पताल की कुर्सी,टेबुल, खिड़की,किवाड़,कंप्यूटर सहित का तोड़ फोड़ करते हुए आक्रोशित लोगों ने बहादुरगंज दिघलबैंक सड़क को घंटों जामकर दिया एवं अस्पताल व्यवस्था के विरोध में जमकर नारेबाजी की।उधर सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस प्रशासन घटना स्थल पर पहुंचकर जामकर रहे आक्रोशित लोगों को किसी तरह समझा-बुझा जाम को तोड़वाया।युवक के शरीर में हरकत को देख हुए परिजनों ने बेहतर इलाज के लिए किशनगंज ले जाने लगे,लेकिन पीएचसी से बाहर निकलते ही महज कुछ ही क्षण बाद युवक की सांसें थम गई।केवल सच ने जब इसका गहराई में जाकर पता किया तो पता चला की डाक्टर ने बिन देखे ही मृत घोषित कर दिया ।किन्तु यूवक उस समय जीवित था ।कुछ ही देर बाद यूवक उठ बैठा और तीन ग्लास दूध भी पिया,कुछ देर बाद यूवक की मृतु हो गया ।आम लोगो का कहना था की अगर उस वक्त डाक्टर मरीज को ठीक से देख लेते तो आज ये मरीज जीवित होता ।इसमें डाक्टर की लापरवाही से यूवक का जान गया है ।एक और गौर करने वाली बात यही है की प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बहादुरगंज में एक दो डाक्टर है वो अपना निजी क्लिनिक चलाते है और उसी में व्यस्थ रहते है हॉस्पिटल से कोई लेना देना नहीं है अगर कोई जांच या जिले के वरीय अधिकारी का दौरा होता है तो ये लोग मुस्तैद रहते है ।ऐसे इनका दर्शन पाना,नाक से लोहे का चना चवाने के बराबर है ।यहाँ तक की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.सोहेल अहमद खान ने भी बीन देखे यूवक को मृत घोषित कर दिया था किन्तु उस वक्त यूवक जीवित था…..।।

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