ग्रामीणों का आरोप-घटिया सीमेंट व बालू का किया जा रहा प्रयोग
किशनगंज पोठिया प्रखंड अंतर्गत विभिन्न बाईस पंचायतों में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत गली-नली निर्माण कार्य में अनियमितता बरती जा रही है।कार्य स्थलों पर योजना से संबंधित शिलापट्ट भी नहीं लगाए गए है और न ही तकनीकी पदाधिकारी वहां नजर आते हैं।तकनीकी पदाधिकारी की अनुपस्थिति में ही धड़ल्ले काम चल रहा है।निर्माण में लोकल निर्मित घटिया सीमेंट की बोड़ियां,डोंक नदी की बालू धड़ल्ले से प्रयोग किए जा रहे है।इसके साथ ही अनट्रेंड राज मिस्त्रियों के द्वारा निर्माण कराया जा रहा है।इतना ही नहीं कई जगहों महज एक-दो परिवारों के लिए सड़क बना दी गई है।इसे लेकर भी ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है।कार्य स्थल पर गुणवत्तापूर्ण काम और ग्रामीणों में आक्रोश को लेकर वार्ड सदस्य भी जागरूक नहीं दिख रहे है।बहरहाल ग्रामीणों ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाने शुरू कर दिए है।बिहार सरकार की संकल्पित और महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल गली-नली योजना का उद्देश्य
हर वार्ड सदस्य को विकास कार्यों में सहयोगी बनाना था।स्थानीय लोगों का आरोप है कि वार्ड सदस्यों ने इस योजना को अपनी काली कमाई का हथियार बना लिया है।हालांकि योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए सात सदस्यीय वार्ड क्रियान्वयन समिति सह प्रबंध समिति का भी गठन किया गया,जो बेअसर साबित हो रहा है।प्रखंड के 306 वार्ड सदस्यों को पांच वर्ष में कुल बारह लाख रुपए मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत विकास कार्य के लिए दिए जाएंगे।इस दौरान प्रथम किस्त में पांच-पांच लाख रुपए वार्ड सदस्य और वार्ड सचिव के संयुक्त बैंक खाते में उपलब्ध करवा दिए गए हैं।जिससे वार्ड सदस्य अपने वार्ड क्षेत्र में मनमर्जी रवैया अपनाकर विकास कार्य के नाम पर राशि की बंदर बांट में जुटे हैं।बताया जाता है की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति और राशि देने का अधिकार संबंधित पंचायत के मुखिया को प्राप्त है।किंतु मुखिया कार्य स्थल पर झांकने तक नहीं जाते है।वही हाजरा खातून,पूर्व प्रमुख पोठिया का कहना है की पोठिया के दामलबाड़ी पंचायत में कुछ परिवारों के लिए बनी सड़क।मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना सरकार के विकास का रोल मॉडल है।लेकिन वार्ड सदस्यों ने इसे अपनी अवैध कमाई का जरिया बना डाला है।वार्ड क्रियान्वयन समिति सह प्रबंध समिति के गठन में हुई धांधली का परिणाम है कि वार्ड के धनी और रसूखदार लोग समिति में शामिल हैं।जिस कारण कोई भी आम नागरिक कार्यों में बरते जा रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध कुछ बोलना उचित नहीं समझ रहे है।दूसरी ओर अधिकारियों की उदासीनता का परिणाम है कि सरकारी राशि का सही उपयोग और सही तरीके से विकास नहीं हो रहा है।वही राज कुमार,कनीय अभियंता पोठिया का कहना है की अभी प्रखंड कर्मियों का सारा ध्यान शौचालय निर्माण पर है।योजनाओं की एमबी बुक नहीं की जा रही है।एमबी बुक करने के पूर्व योजनाओं की जांच की जाएगी।गुणवत्तापूर्ण कार्य की ही एमबी की जाएगी।पर सवाल यहाँ यह उठ रहा है की क्या सरकारी राशि बंदरबाट करने के लिए दिया जाता है या योजना को सही ढंग से पूरा करने के लिए…? क्या सरकार सरकारी कर्मी को तनख्वाह नहीं देती है जो भ्रष्टाचार की गंगोत्री में दुबकी लगाने को व्याकुल रहते है और मामला जब पकड़ा जाता है तो उसे जाँच के नाम पर टाल मटौल कर समय काटते है,ग्रामीणों का कहना था की कारवाई होगी तभी सही मायने में योजना उतारू होगा नहीं तो कागज पर कारवाई होते देखे साड़ी उम्र खत्म हो गई है अधिकारी सिर्फ और सिर्फ कागज पर ही कारवाई करते है।
रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह