बिहार सरकार के द्वारा एक तरफ जहां शिक्षा को लेकर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।वहीं दूसरी तरफ नगर परिषद क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पासवान टोला में एक ही छत के नीचे कक्षा प्रथम से कक्षा पांचवीं तक के बच्चे पढ़ने को मजबूर है।शिक्षक जब कक्षा पांच को पढ़ाते है,तो अन्य कक्षाओं के बालक चुपचाप बैठे रहते हैं।आपको मालुम हो की करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद सर्वशिक्षा अभियान की कड़वी सच्चई यह है कि ऐसे विद्यालय में पढ़नेवाले विद्यार्थी हिन्दी भी ढंग से नहीं पढ़ सकते,अंग्रेजी की बात तो छोड़ ही दीजिए।हालांकि उपलब्ध संसाधनों के बावजूद शिक्षा विभाग सर्वशिक्षा अभियान को अपने तरीके से संचालित कर रहा है।स्कूल की विडंबना यह भी है कि आज तक इस विद्यालय को अपना भवन नसीब नही हुआ है।स्कूल जिस स्थान में चल रहा है,वह स्थान बाजार समिति का है। स्कूल में 186 छात्र-छात्रएं पढ़ाई करती हैं।यहां तक कि इस विद्यालय में एमडीएम का भोजन तक नहीं बनता है।बीते नौ वर्षो से यह विद्यालय भवनहीन है।यहां बच्चे बेंच-डेस्क के अभाव में जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
स्कूल में 186 विद्यार्थी पढ़ते हैं।इन 186 विद्यार्थियों पर सिर्फ तीन शिक्षक हैं।उनमें भी ज्यादातर शिक्षक अवकाश या ट्रेनिंग में रहते है।ऐसे में उन बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबता नजर आ रहा है।इस विद्यालय का हाल यह है कि प्रधान शिक्षक अपनी बाइक को ही कार्यालय बनाकर प्रत्येक दिन रजिस्टर व कागजात ढ़ोते है।किस-किस के बच्चे पढ़ते है इस विद्यालय में खगड़ा रेड लाईट एरिया व पासवान टोला के गरीब व नि:सहाय लोगों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। परिजन इस उम्मीद में अपने बच्चों को पढ़ाते है कि पढ़-लिखकर बच्चे शिक्षित होकर समाज में अपना अच्छी छवि बना सके।और समाज में अपना योगदान दे सकें।पर यहाँ तो बच्चे के भविष्य के साथ खिलवार करना गुरु जी अपना कर्तव्य समझते है यही कारण सूबे के स्कूलो का हाल है विभाग को इस पर यथाशीघ्र विचार करे ताकि बच्चे का भविष्य के साथ खिलवार ना हो…..