दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बीबीसी से कहा है कि ‘एक मानसिक सुधार गृह केंद्र के देर रात किए गए दौरे पर वो उन्हें ज़िंदा नर्क की तरह लगा।मामला दिल्ली के रोहिणी इलाके में दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जानेवाले मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाओं वाले एक सुधार गृह ‘आशा किरण’ का है और स्वाति मालीवाल का दावा है कि उन्होंने कर्मचारियों को बिना बताए रात को इसका निरीक्षण किया।उनका दावा है कि इस सुधार केंद्र में पिछले दो महीनों में 11 मौतें भी हुई हैं…दिल्ली महिला आयोग ने मामले पर दिल्ली सरकार के सामाजिक कल्याण सचिव से 72 घंटों के भीतर जवाब माँगा है।
बीबीसी हिंदी को दिए इस विशेष इंटरव्यू के अंश:-
सवाल:-आपको मामले का पता कैसे चला ?
स्वाति मालीवाल:-मैंदेखना चाहती थी कि क्या स्थिति है,इसलिए देर रात एक सरप्राइज़ इन्सपेक्शन किया।
जो देखा उससे दिल दहल गया क्योंकि वो जगह एक ज़िंदा नर्क है जहाँ एक बिस्तर के ऊपर चार-चार महिलाएं सो रहीं हैं जो अपना ख़्याल रखने में समर्थ नहीं हैं।दो महीनों में ग्यारह मौतें हुई हैं और जो ज़िंदा हैं वो बाथरूम तक नहीं जा पातीं तो मल-मूत्र त्याग बिस्तर या फ़र्श पर ही करना पड़ता है।शर्म की बात है कि नहलाने के लिए ले जाने के लिए महिलाओं को नग्न अवस्था में कॉरिडोर में खड़ा कर दिया जाता है।इस पूरी प्रक्रिया को सीसीटीवी कैमरे कैद करते हैं।हमने वीडियो देखे और शर्म की बात ये कि इन्हें बनाने और मॉनिटर करने वाले चार पुरुष हैं।स्टॉफ के नाम पर रात को सिर्फ़ एक महिला स्टॉफ मिली जिसे डेढ़ सौ महिलाओं की देख-रेख करनी होती है।इतनी त्रुटियां मिलने के बाद हमने समाज कल्याण सचिव से जवाब माँगा है,क्योंकि मानसिक तौर पर बीमार महिलाओं की देख-रेख करना प्रदेश सरकार की ज़िम्मेदारी है।
सवाल:-क्या दिल्ली प्रदेश का सामाजिक कल्याण विभाग जांच और आपके सवालों के जवाब पर सहयोग कर रहा है ?
स्वाति मालीवाल:-इस तरह के सुधार गृहों को चलाने की ज़िम्मेदारी इसी विभाग की है।
दिल्ली महिला आयोग ने जाँच शुरू कर दी है कि कौन इसका ज़िम्मेदार है और चीज़ों को बेहतर कैसे बनाया जा सकता है।हम अपनी जांच रिपोर्ट भी दिल्ली सरकार को सौंपेंगे,सवालों के जवाब आने पर ज़रूरत पड़ी तो मौतों के मामले में हम पुलिस को भी इसमें शामिल करेंगे।
सवाल:-खबरें हैं कि पिछले कई वर्षों में इस आशा किरण गृह में और भी मौतें हुई हैं ?
स्वाति मालीवाल:-मुझे यहाँ के स्टॉफ़ ने कन्फ़र्म किया है कि पिछले दो महीनों में यहाँ 11 मौतें हुई हैं।मेरे पास ऐसी खबरें आई हैं कि वर्ष 2010 में भी यहाँ कई मौतें हुई थीं और सीएजी ने मामले की जांच भी की थी।मामले में दिल्ली हाइ कोर्ट ने भी दखल दी थी।फ़िलहाल जवाब आने पर दिल्ली महिला आयोग सभी विकल्पों पर ग़ौर करेगा।