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इस IAS से थर-थर कापते है नेता मंत्री…

केशवेंद्र कुमार बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले हैं।मिडिल क्लास फैमिली से नाता है।2008 में IAS बने।पहले ही प्रयास में सफलता मिली।सबसे बड़ी बात यह कि हिंदी माध्यम से इम्तिहान-ए-हिन्द (सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन) को क्रैक किया।रैंक भी भागते-भुगते नहीं मिला था। 45वां था,केशवेंद्र यकीन करते हैं कि वह दिन भी आएगा,जब टॉपर हिंदी माध्यम का कैंडिडेट होगा,वे ऐसे कैंडिडेट्स के लिए ब्लॉग लिखते हैं।दिल्ली के मुखर्जी नगर में रह कर IAS की तैयारी करनेवाले हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए आज भी केशवेंद्र की यादें मल्टी-विटामिन की टैबलेट्स हैं,2008 में IAS बनने के बाद केशवेंद्र को केरल कैडर मिला।आबो-हवा दूसरी थी, लैंग्वेज की परेशानी थी।पर,कहते हैं न कि बिहारी जहां जाते हैं,छा जाते हैं,वैसा ही केशवेंद्र के साथ हुआ।केशवेंद्र आज केरल में आम लोगों के बीच ‘भरोसे का प्रतीक’ हैं,जबकि धंधेबाजों के लिए शामत. नेक्सस जैसा भी,गलत है,तो अब सबों को पता है कि केशवेंद्र के सामने दाल नहीं गलने वाली।दाल में पानी की मात्रा अधिक मिलाई गई है,तो कसूरवार को भुगतना ही पड़ेगा।केशवेंद्र की हनक कलेक्टर के रुप में तब और गूँज गई,जब वायनाड जिले में इन्होंने सीधा मिनिस्टर-माफिया के नेक्सस पर ही सीधा अटैक कर दिया।कोई डर नहीं,बस पब्लिक के कॉन्फिडेंस का ख्याल रखा।फिर तो यह मिनिस्टर-माफिया चोर दरवाजे से दुम दबा भागने लगा. रास्ता तलाश पाना भी मुश्किल हो रहा था।दरअसल केरल का वायनाड जिला सुंदर पहाड़ियों का जिला है।खूबसूरती मत पूछिए जनाब फारेस्ट एरिया हरे-भरे पेड़ों से भरा है।सो,लग गई नजर माफिया की।बिल्डर जुटे मिनिस्टर की सरपरस्ती में।बड़ी इमारतों के लिए ख़त्म की जाने लगी हरियाली,कंक्रीट जगह लेने लगे,सिलसिला केशवेंद्र के वायनाड में कलेक्टर के पद पर पोस्ट किए जाने के पहले से चल रहा था।जब केशवेंद्र की नजरें गईं और वायनाड की खूबसूरती को तेजी से मिटते देखा,तो तय कर लिया कि अब नहीं..बिलकुल नहीं..चाहे कुछ भी हो जाए।केशवेंद्र ने सभी गलत निर्माण बंद कराने के लिए बने नियमों को खोज निकाला।केदारनाथ की त्रासदी को समझा।नियम कहता था-15 मीटर से बड़ी इमारतें नहीं बन सकती।अब सभी इमारतों को केशवेंद्र ने नापना शुरु किया,बंद करा दी गयी इलीगल कंस्ट्रक्शन अधिक बने को तोड़ने का आदेश दे दिया गया।केशवेंद्र के इस फैसले से केरल का माफिया सिंडिकेट हिल गया,बहुत बड़ा नुकसान जो हो रहा था,लेकिन वायनाड की पब्लिक अपने कलेक्टर के साथ हो गई थी।फिर भी माफिया के सरदार मिनिस्टर बाज नहीं आये।कैबिनेट से केशवेंद्र के ऑपरेशन को स्टे करा दिया।माफिया को लगा कि वे जीत गए,कलेक्टर केशवेंद्र हार गए।पर केशवेंद्र हारते कैसे,रास्ता जो सही था।कोई हाई कोर्ट चला गया।स्टेट कैबिनेट के निर्णय को चुनौती दी गई।जज ने सुना,लंबी बहस हुई।माफिया गिरोह ने बड़े-बड़े वकील रखे।लेकिन,अंत में जीत न्याय की हुई।कोर्ट ने स्टेट कैबिनेट का फैसला कैंसिल कर कलेक्टर केशवेंद्र के फैसले को बहाल कर दिया।आज भी पूरे केरल में केशवेंद्र के फैसले का डंका बजता है।सभी ओर से मांग आती है कि वायनाड फार्मूला पूरे केरल में लागू करो।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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