आरुषि हत्याकांड को लेकर चार साल से तलवार दंपती जेल में थे बंद अब होंगे जेल से रिहा…
आरुषि हेमराज केस में तलवार दंपती को बड़ी राहत मिली है।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपती को बरी कर दिया है।आरुषि हत्याकांड को लेकर चार साल से तलवार दंपती जेल में बंद थे।फैसले की खबर सुन डासना जेल में बंद तलवार दंपती भावुक हो उठे।फैसले के पहले राजेश और नुपुर काफी तनाव में दिख रहे थे।दोनों ने नाश्ता तक नहीं किया था।बताया जा रहा है कि कोर्ट में फैसला सुनाते हुए जज ने जांच में खामियां की बात की।सबूतों के आभाव में तलवार दंपती को बरी किया गया है। जस्टिस ए०के० मिश्रा ने फैसला पढ़कर सुनाया।हाई कोर्ट ने कहा कि आरुषि को मम्मी-पापा ने नहीं मारा कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी इतनी कठोर सजा नहीं देता है।बताया जा
रहा है कि हाईकोर्ट ने तलवार दंपती को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है।गौरतलब है कि सीबीआई की अदालत ने राजेश और नुपुर तलवार को डबल मर्डर का दोषी पाया था और दोनों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ तलवार दंपती इलाहाबाद हाईकोर्ट गये और अपील दायर की।न्यायमूर्ति बी०के नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने तलवार दंपती की अपील पर सात सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्तूबर तय
2008 में दर्ज हुआ था मामला…
- 16 मई 2008 14 साल की आरुषि तलवार नोएडा में अपने घर के बेडरूम में मरी मिली,उसका गला कटा था।नौकर हेमराज पर शक आया।
- 17 मई 2008 हेमराज की लाश तलवार के घर के टेरेस पर मिली।
- 23 मई 2008 आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार को यूपी पुलिस ने आरुषि और हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
- 29 मई 2008 तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।
- जून 13 डॉ राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया…तलवार के दोस्त दुर्रानी के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी बाद में गिरफ्तार किया।तीनों दोहरे हत्याकांड के आरोपी बने।
- जुलाई 12 राजेश तलवार गाजियाबाद की डासना जेल से जमानत पर रिहा।
- सितंबर 12 कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को लोअर कोर्ट से जमानत मिली।सीबीआई 90 दिन तक चार्जशीट फाइल नहीं कर सकी।
- 2009 सितंबर 10 आरुषि हत्याकांड की जांच के लिए सीबीआई की दूसरी टीम बनी।
- 2010 दिसंबर 29 सीबीआई ने आरुषि हत्याकांड में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी।
- 2011 जनवरी 25 राजेश तलवार ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ लोअर कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की।
- फरवरी 9 लोअर कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज की,आरुषि के मां-बाप, राजेश और नुपुर तलवार को हत्या और सुबूत मिटाने का दोषी माना।
- 2012 जनवरी 6 सुप्रीम कोर्ट ने तलवार की अर्ज़ी खारिज की और ट्राइल शुरू करने की इजाजत दी।
- 2013 फरवरी 21 डॉ राजेश और नुपुर तलवार ट्राइल कोर्ट के समन को रद्द करवाने हाइकोर्ट गए।
- नवंबर 25 तलवार दंपति को गाज़ियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दोषी पाया और उम्र कैद की सजा सुनाई।
- 2014 जनवरी तलवार दंपत्ति ने लोअर कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।
- 2017 जनवरी 11 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार की अपील पर फैसला सुरक्षित किया।
- अगस्ट 01 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तलवार की अपील दुबारा सुनेंगे क्योंकि सीबीआई के दावों में विरोधाभास हैं।
- सितंबर 08 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि हत्याकांड में फैसला सुरक्षित किया।
- अक्टूबर 12 लोअर कोर्ट से तलवार दंपति की सजा के चार साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट आरुषि हत्याकांड पर फैसला सुनाएगा।
की थी।16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार इलाके में 14 साल की आरुषि का शव बरामद हुआ।अगले ही दिन पड़ोसी की छत से नौकर हेमराज का भी शव मिला,2008 में आरुषि और हेमराज की हत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया।यह हत्याकांड इतना पेचीदा था कि पुलिस को पसीने छूट गये।केस की जांच के दौरान पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को गिरफ़्तार किया, लेकिन रहस्यमयी हत्याकांड का जांच उलझता जा रहा था। 29 मई 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की
जांच सीबीआई को सौंप दी।सीबीआई की जांच के दौरान तलवार दंपती पर हत्या के केस दर्ज हुआ।कोर्ट ने 26 नवंबर 2013 को नूपुर और राजेश तलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई।सीबीआई के फैसले के खिलाफ़ आरुषि की हत्या के दोषी माता-पिता हाई कोर्ट गए और अपील दायर की।राजेश और नुपुर फिलहाल गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं।हेमराज आरूषि की हत्या की गुत्थी उलझते गयी।जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी सुलझने की बजाय यह केस और जटिल होता गया।लेकिन पुलिस हत्या की गुत्थी क्यों
नहीं सुलझा पायी।आरुषि और हेमराज के मर्डर मिस्ट्री का राज खुलने में नौ साल क्यों लगे। हत्या के दिन सबसे बड़ा सवाल उभर कर सामने आया कि आरुषि के कमरे का ताला कैसे खुला।आरुषि के मां-बाप का कहना है कि वह जीवन की सबसे बड़ी भूल थी।आरुषि जिस कमरे में रहती थी वहां कई दरवाजे और खिड़कियां थी।उसमें लकड़ी के दरवाजे के साथ लोहे के ग्रिल वाला दरवाजा और फिर
एक बाहरी ग्रिल वाला दरवाजा लगा था।हेमराज का कमरा फ्लैट के अंदर ही मुख्य द्वार के ठीक बगल में था।छत भी तलवार परिवार की ही थी जिसकी सीढ़ी बाहर के कॉमन एरिया से जाती थी।आरुषि का कमरा दाईं ओर उसके मां-बाप के कमरे के बगल में था।उसके कमरे में हर रात बाहर से ताला लगा दिया जाता था,हेमराज के पास आरुषि के कमरे को छोड़कर सभी चाबियां रहती थीं।हेमराज के पास आरुषि के कमरे को छोड़कर सभी चाबियां रहती थीं।अगर आरुषि ने दरवाज़ा नहीं खोला तो क्या आरुषि के कमरे में मुख्य दरवाज़े के अलावा किसी और दरवाज़े से भी दाखिल हुआ जा सकता था ?
रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर