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आज के युवाओं के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं आई०ए०एस०,आई०पी०एस०…

  • 1984 को भारत सरकार ने हर साल युवा दिवस मनाने की घोषणा की थी ।

  • प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को मनाया जाता है यूवा दिवस ।

  • स्वामी विवेकानंद की जयंति पर मनाया जाता है युवा दिवस ।

एसपी अनिल कुमार सिंह,खगरिया

सही रास्ते से मिलती है सफलता एसपी अनिल कुमार सिंह कहते हैं कि युवा ही समाज के रीढ़ हैं।आज के युवाओं के लिए एसपी अनिल कुमार सिंह प्रेरणा के स्त्रोत हैं।जितने वो अपराधियों व असामाजिक तत्वों के लिए कड़े तेवर रखते हैं,उतने ही नरम दिल इंसान भी हैं।इनके गीत व गजल की संग्रह‘आधी रोटी,पूरा चांद’प्रकाशित हो चुकी है।गांव में शुरू हुई थी प्राथमिक शिक्षा एसपी अनिल कुमार सिंह की बचपन की शिक्षा-दीक्षा सुपौल जिले के गढ़ बरुआरी स्थित मध्य विद्यालय से शुरू हई। मिडिल पास कर वे पीटीपीएस हजारीबाग से मैट्रिक पास किए।इसके बाद साइंस कालेज पटना से इंटर की परीक्षा पास कर भागलपुर यूनिवर्सिटी से बीए व एमए की पढ़ाई किए।जब शुरू हुआ कामयाबी का दौर वर्ष 1987 में बीपीएससी की परीक्षा पासकर डीएसपी बने।बेहतर कार्य की बदौलत इन्हें बाद में वर्ष 2003 में आइपीएस कैडर में शामिलकर लिया गया।कविता,गीत व गजल के शौकीन एसपी अनिल कुमार सिंह कठोर के साथ ही भावुक भी हैं।ये कहते हैं,खगड़िया में पदस्थापना बाद जिले में अपराध पर अंकुश लगाना उनकी पहली प्राथमिकता थी।

अशोक कुमार,पुलिस अधीक्षक,लखीसराय

अशोक कुमार,पुलिस अधीक्षक,लखीसराय कहते है की युवाओं को देश व समाज के प्रति जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है।देश की बागडोर युवाओं के कंधे पर है।देश की उन्नति व प्रगति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। समाज की मुख्य धारा में शामिल होकर युवाओं को देश निर्माण में योगदान करने की आवश्यकता है।उनके परिश्रम एवं मेहनत से ही देश विश्व गुरु की उपाधि पा सकती है।युवाओं की ताकत से देश की प्रगति के मार्ग पर प्रशस्त होगा।अपने व्यक्तिगत कारणों से मुंह मोड़ने की नहीं बल्कि देश की उन्नति में योगदान करने कीआवश्यकता है।स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेकर युवा खुद को शक्ति के रूप में आगे आएं और देश के निर्माण में योगदान दें।युवा ठोस निर्णय लेकर देश हित में कार्य करें। 

सुनील कुमार,जिलाधिकारी,लखीसराय

सुनील कुमार,जिलाधिकारी,लखीसराय कहते है की सफलता को ले लक्ष्य तय करके युवा आगे बढ़ाएं कदम देश के युवाओं को विवेकानंद की तरह रमता योगी बनने की आवश्यकता है।तभी देश का कल्याण होगा।वर्तमान समय में युवा भोगवाद की प्रवृत्ति की ओर अधिक मुखातिब हैं।जिसके कारण धन के अलावा कुछ भी नहीं दिखाई देता है।यह प्रवृत्ति देश की उन्नति में बाधक है।युवाओं को देश व समाज के प्रति उनके अधिकारों को पहचानना होगा।स्वामी विवेकानंद के मंत्र उतिष्ठा जाग्रत के मंत्र को युवाओं के कानों में फूंकना होगा।उठो जागो एवं लक्ष्य को प्राप्त करो के मंत्र से ही युवाओं में जागृति आएगी। 

सुकृति माधवप्रशिक्षु एसपी जमुई 

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सुकृति माधव ने मलयपुर से हाई स्कुल पास करने के बाद केकेएम कॉलेज से इंटर की पढ़ाई की।बाद में एमबीए की पढ़ाई दुर्गापुर से पूरी की।इसी दौरान कोल इण्डिया में नौकरी हो गई।यूपीएससी के पहले प्रयास में पहले आइआरएस मिला।फिर आईपीएस।प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अभी मेरठ में बतौर प्रशिक्षु एसपी के रूप में कार्यरत हैं।सुकृति माधव नेयुवाओं को सफलता हासिल करने के लिए मेहनती बनने की बात कही।श्री माधव ने कहा कि सफल होने के लिए सही मार्गदर्शन की आवश्यक्ता होती है।इस लिए युवाओं को मेहन,लगन तथा सही दिशा में पढाई करना चाहिए।सफल होने के लिए बडे शहरों में रहना आवश्यक नहीं है। सफलता के लिए सबसे पहले लक्ष्य का निर्धारण करना होता है।तब लक्ष्य की दिशा में बढना होगा।उन्होंने ने युवाओं को देश का भविष्य बताते हुए कहा कि युवा ही देश की दशा और दिशा बदल सकते हैं।

अररिया डीएम हिमांशु शर्मा

अररिया डीएम हिमांशु शर्मा कहते है की जिंदगी में बड़ा मुकाम हासिल करने के लिए बड़े लक्ष्य का निर्धारण और उसके लिए रणनीति बना कर तैयारी आवश्यक है।अन्यथा भटकाव एक बड़ी बाधा बनकर सामने आता है।यह कहना है अररिया के डीएम अधिकारी हिमांशु शर्मा का,जिन्होंने अपनी लगन,परिश्रम और सोच की दृढ़ता से यह साबित कर दिखाया है कि गांव-किसानी से जुडे परिवार से निकल कर भी कोई लड़का आइएएस की कुर्सी हासिल कर सकता है। वे कहते हैं कि अररिया के युवाओं में असीम ऊर्जा व संभावनाएं हैं।वे अगर ठान लें तो जिंदगी की हर ऊंचाई उनके सामने बौनी पड़ जाएगी।हिमांशु शर्मा ने अपनी पढ़ाई उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिलांतर्गत अपने पैतृक गांव नाला के एक छोटे से स्कूल से शुरू की।माता-पिता से उन्हें कड़ी मेहनत व चारित्रिक दृढ़ता का संस्कार मिला और यही आज भी उनकी जीवन शक्ति है।उन्होंने जागरण को बताया कि गांव से पढ़ाई करने के बाद वे हरियाणा के कुरुक्षेत्र युनिवर्सिटी में पहुंचे,जहां से स्नातक व बीएड की पढ़ाई पूरी की।उन्होंने बताया कि पढ़ाई व लक्ष्य प्राप्ति की जद्दोजहद ने उन्हें कई बार आर्थिक परेशानियों से रूबरू कराया तो उन्होंने बैंक से एक लाख रुपये का शिक्षा ऋण लेकर अपनी पढ़ाई जारी रखी।इसके बाद बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी से एमएससी बायो-टेक में गोल्ड मेडलिस्ट बने।इस उपलब्धि ने उनके अंदर अभूतपूर्व विश्वास जागृत किया।उन्हीं के शब्दों में मुङो ऐसा लगा कि मैं कोई भी लक्ष्य प्राप्त करने योग्य बन गया हूं।भाभा परमाणु शोध संस्थान में मिली साइंटिस्ट की नौकरी हिमांशु शर्मा ने इसके बाद से ढेर सारी परीक्षाएं दी और सबमें सफलता हासिल करते गए।एमफिल करने जेएनयू गए तो वहां इंट्रेंस टेस्ट में टाप किया।इसी बीच उन्हें भाभा एटॉमिक इंस्टीच्यूट में साइंटिस्ट की नौकरी मिली,लेकिन उसे छोड़कर आइएएस के लिए अपनी तैयारी जारी रखी।हरियाणा पुलिस में डिप्टी एसपी व यूपी में कमर्शियल टैक्सेज अधिकारी के पद पर भी कुछ महीनों की नौकरी की।इस दौरान जॉब सिक्योरिटी की खासियत ने उन्हें बड़े लक्ष्य के प्रति प्रेरित किया।अपने तीसरी कोशिश में उन्होंने आइएएस की परीक्षा पास की और ऑल इंडिया में 49वां रैंक हासिल किया।लेकिन बड़ी बात यह कि तमाम उपलब्धियों के बावजूद उन्होंने स्वयं को धरातल से अलग नहीं किया है।

मधेपुरा एसपी विकास कुमार

मधेपुरा एसपी विकास कुमार बताते हैं कि युवाओं को असफलताओं से घबराने की जरूरत नहीं है।जिस क्षेत्र में लगाव हो उसी में अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करें।ऐसा करने से सफलता निश्चित रूप से मिलेगी। किसी सफल इंसान के सफलता के पीछे त्याग और कड़ी मेहनत छुपी होती है। आसानी से सफलता किसी के हाथ नहीं आती।ये बातें पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने कही।उन्होंने कहा कि युवाओं को शिक्षा के साथ साथ अपने चरित्र निर्माण पर ध्यान देना चाहिए।सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा व चरित्र दोनों का होना आवश्यक है।किसी क्षेत्र में सफल होने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है।लेकिन इन चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने वाले युवा ही सफलता की सीढ़ी चढ़ पाते हैं।उन्होंने बताया कि 1995 में उनका का चयन बीपीसी के लिए हुआ था। पहली पोस्टिंग गया जिले के नक्सल प्रभावित इलाके के टेकारी अनुमंडल में हुआ था। नक्सल प्रभावित इलाके में पहली पोस्टिंग होने के बाद भी वे घबराये नहीं।करीब साढ़े तीन वर्ष यहां एसडीपीओ के पोस्ट पर कार्यरत रहें।कड़ी मेहनत से हासिल की मंजिल पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बातचीत के दौरान अपने अनुभव को साझा किया। वे बताते हैं कि शुरू से उनका लक्ष्य प्रशासनिक सेवा में जाने का था।इसके लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ी।उन्होंने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा सीवान के डीएवी स्कूल से हुई।इंटर से स्नातक तक की पढ़ाई मुजफ्फरपुर के एलएस कॉलेज से हुई।एमए उन्होंने बिहार विश्व विद्यालय से किया।इकनॉमिक्स उनका पसंदीदा विषय है।इसी विषय से इन्हों ने अपनी पढ़ाई की और सफलता भी प्राप्त किया।एसपी विकास कुमार बताते हैं कि कोई विषय खराब नहीं होता है।जिस विषय में लगाव हो उसी विषय में पढ़ाई कर सफलता प्राप्त की जा सकती है।

अनुमण्डल पदाधिकारी मो० शफीक ने गरीब’ मजदूर असाहय बुजुर्ग के बीच किये कम्बल वितरण…

किशनगंज एसडीएम मो शफीक साहब रात के अंधेरे मे कप कपाते ठंडी मे शहर के विभिन्न चौक चौराहे पर रिक्शावाले को कंबल बांटते नजर आये ।

         

बढती ठंड को देखते हुए शहरी क्षेत्र के स्थानीय मजार चौक मौहिद्दिनपुर के गरीब मजदूर असाहय बुजुर्ग विधवाओं के बीच अनुमण्डल पदाधिकारी मो० शफीक आलम के साथ युवा कांग्रेस अध्यक्ष मो सरफराज खान ने कम्बल वितरित किया।कम्बल वितरण के दौरान जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष श्री इमाम अली चिंटू,जहांगीर आलम,इमरान खान मो०शमीम आदि मौजूद थे !

 

मध्यम वर्गीय परिवार व ग्रामीण परिवेश में जन्म लेने के बावजूद जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा बचपन से ही जागृत होने लगी थी।कड़ी मेहनत और संघर्ष करने के बाद वर्ष 2006 में 46वीं बिहार प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास करने में सफल रहा।विशेष बात यह रही कि इस परीक्षा में मेरा रैंक पूरे बिहार में प्रथम रहा।यह बातें मंगलवार को एसडीएम मो.शफीक ने मिडिया को युवा दिवस से पूर्व विशेष वार्ता के दौरान कही।उन्होंने कहा कि प्रारंभिक और हाई स्कूल की शिक्षा मोतीहारी स्थित छतौनी ग्राम से की।इसके बाद विज्ञान संकाय से इंटर की पढ़ाई मोतीहारी स्थित कॉलेज से पूरा किया।इसके बाद आइआईटी रूड़की से बीटेक की डिग्री लेने के साथ एमबीए भी किया।इसके बाद गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस इंडट्री में नौकरी करने लगा।बाद में दिल्ली स्थित चाणक्य आइएएस एकदमी में गणित और भौतिक विषय विद्यार्थियों को पढ़ाने लगा।साथ ही दिल्ली के कैरियर प्लस कोचिंग में भी अध्यापन का कार्य किया।मो.शफीक ने बताया कि आइआईटी रूड़की से बीटेक की डिग्री और एमबीए करने बाद अध्यापन कार्य में मन नही लगा।इसका मुख्य कारण यह है कि बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने की तमन्ना थी।लेकिन यह तमन्ना वर्ष 2006 में पूरी हो गई।मेरे सफल कैरियर को संवारने में माता संबुल खातुन और पिता स्व.खलीलुर रहमान का सराहनीय योगदान रहा।युवा वर्ग को चाहिए कि चाहिए कि अपने विद्यार्थी जीवन में ईमानदारी से पढ़ाई करें।सही मार्ग दर्शन में किया गया अध्ययन कभी भी बेकार नही जाता।कठिन परिश्रम का लाभ भले ही देर से मिले। लेकिन वह विद्यार्थियों के जीवन में अपार खुशियां लाता है।

रिपोर्ट-धर्मेन्द्र सिंह 

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