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अर्जित शाश्वत पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का है आरोप, शनिवार देर रात किया था सरेंडर।केंद्रीय मंत्री के बेटे को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया जेल…

नाकाम करें साजिश आपको मालुम हो की पिछले दो सप्ताह में राज्य के कुछ शहरों में जिस तरह अशांति फैलाने की कोशिश की गई,उससे स्पष्ट है कि कुछ लोग योजना बनाकर ऐसा कर रहे हैं।अररिया उपचुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद वहां शुरू हुआ उन्माद पैदा करने का अभियान भागलपुर और औरंगाबाद होते हुए नवादा पहुंचा यद्यपि राज्य शासन ने इस कोशिश को जिस कुशलता से लगभग विफल कर दिया, उसकी सराहना की जानी चाहिए।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रामनवमी से कई दिन पहले यह आशंका जता दी थी कि कुछ लोग अशांति फैलाने की कोशिश करेंगे। इसके बाद प्रशासन ने मोर्चा संभाल लिया और उपद्रवियों के मंसूबे नाकाम हो गए। औरंगाबाद में

आगजनी की घटनाओं में कुछ दुकानों और अन्य संपत्तियों का नुकसान जरूर हुआ लेकिन प्रशासन ने बेकाबू होने से पहले ही हालात नियंत्रित कर लिए।इसके बावजूद शासन,प्रशासन और सामाजिक वर्गो को लगातार सचेत रहने की जरूरत है।शरारती तत्व प्रशासन का ध्यान हटते ही फिर सक्रिय हो सकते हैं।कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बीच उम्मीद की किरण यह दिखती है कि शरारती तत्वों के मंसूबों को आम लोगों का कतई समर्थन नहीं मिला।लोगों ने संयम का परिचय दिया और सामाजिक सद्भाव कायम रखा।यह सचेष्टता आगे भी जारी रहनी चाहिए।प्रशासन फिलहाल हालात से निपटने में लगा है।प्रत्यक्ष घटनाओं में लिप्त व्यक्तियों की धरपकड़ भी हो रही है यद्यपि अशांति के असली योजनाकार अभी पर्दे के पीछे हैं।यह आवश्यक है कि माहौल शांत होते ही इन तत्वों को बेनकाब करके सलाखों के पीछे भेजा जाए।यह समीक्षा कर ली जानी चाहिए कि विभिन्न स्तरों पर प्रशासन और नागरिकों की शांति समितियां गठित एवं सक्रिय हैं कि नहीं।सामाजिक सद्भाव की हिफाजत में इन समितियों की अहम भूमिका रहती है।इसके अलावा जिन लोगों की संपत्तियों का नुकसान हुआ है,उन्हें अविलंब इसका मुआवजा मिल जाना चाहिए।जिन नागरिकों या संगठनों ने माहौल सद्भावपूर्ण बनाने में योगदान दिया,उन्हें सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए ताकि समाज के अन्य वर्ग भी ऐसे आचरण के लिए प्रेरित हों।प्रशासन और नागरिक एक-दूसरे के पूरक एवं सहयोगी बनकर इसी तरह सचेत रहें तो अशांति फैलाने के मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे।समस्त गलतियों की तह में अभिमान ही होता है।

कब-क्या हुआ…?

  • 17 मार्च 2018 भारतीय नववर्ष समिति के बैनर तले नववर्ष जागरण शोभायात्रा का नेतृत्व करने के आरोप में नाथनगर थाने के एएसआई हरिकिशोर सिंह ने आठ अन्य के साथ आरोपियों बनाते हुए केस दर्ज किया।
  • 21 मार्च 2018 अर्जित के खिलाफ अरेस्ट वारंट के लिए कोर्ट पहुंची नाथनगर थानेदार को वारंट प्रपत्र अधूरा बताते हुए अदालत ने लौटा दिया था।उस समय पुलिस ने सिर्फ अर्जित पर ही वारंट की अर्जी लगाई थी।जिस पर कोर्ट ने एतराज जताते हुए कहा कि मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ अर्जी क्यों नहीं डाली?
  • 22 मार्च 2018 अदालत के आदेश के बाद नाथनगर थानेदार ने सभी आरोपियों के खिलाफ वारंट की अर्जी लगाई लेकिन केस डायरी साथ में नहीं लगाया।जिस पर कोर्ट ने अर्जी वापस कर दी।
  • 23 मार्च 2018 जुलूस में आपत्तिजनक गाना बजाने वाले डीजे संचालक बबलू मंडल व सुखराज हाईस्कूल में बमबाजी मामले में अफवाह फैलाने वाले जानिसार अख्तर उर्फ टिंकू को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
  • 24 मार्च 2018 एसीजेएम कोर्ट ने अर्जित समेत सभी नौ आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
  • 26 मार्च 2018 अरेस्ट वारंट जारी होने के बाद अर्जित शाश्वत ने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल किया।
  • 27 मार्च 2018 अग्रिम जमानत अर्जी पर बहस के बाद कोर्ट ने पुलिस से केस डायरी की मांग की।
  • 28 मार्च 2018 अर्जित के साथ बवाल मामले के अन्य 8 आरोपियों ने भी अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की।
  • 31 मार्च 2018 भागलपुर कोर्ट ने अर्जित शाश्वत की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
  • 31 मार्च 2018 शनिवार देर रात करीब 12 बजे अर्जित ने पटना में सरेंडर कर दिया।
  • 1 अप्रैल 2018 सीजेएम कोर्ट ने अर्जित को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा।

बिहार के भागलपुर जिले में हुई हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को कोर्ट ने रविवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।इस पर अर्जित के वकील का कहना है कि हम इस दौरान बेल के लिए अर्जी देंगे।हमें पूरी उम्मीद है उसे बेल मिल जाएगा।अर्जित शाश्वत ने दिनांक-31.03.2018 देर रात पटना के महावीर मंदिर के पास पुलिस के सामने सरेंडर किया था।17 मार्च को हिंदू नववर्ष की शोभा यात्रा के दौरान भागलपुर के चंपानगर में दो पक्षों के बीच रोड़ेबाजी,आगजनी, फायरिंग की घटना हुई थी।इस घटना में पुलिस जवान समेत कई लोग घायल हो गए थे।मामले में एएसआई हरिकिशोर सिंह ने अर्जित समेत 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।अरेस्ट वारंट के लिए कोर्ट पहुंची पुलिस को अदालत ने अधूरा बताते हुए लौटा दिया था।उस समय पुलिस ने सिर्फ अर्जित पर ही वारंट की अर्जी लगाई थी।जिस पर कोर्ट ने एतराज जताते हुए कहा कि मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ अर्जी क्यों नहीं डाली गई ? 24 मार्च को एसीजेएम कोर्ट ने अर्जित समेत सभी नौ आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।अरेस्ट वारंट जारी होने के बाद अर्जित शाश्वत और 8 अन्य आरोपियों ने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की।इस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।अर्जित शाश्वत बेल के लिए सीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकेंगे।यहां से राहत नहीं मिलने पर वे जिला अदालत में अर्जी डालेंगे।अगर यहां भी राहत नहीं मिलती है तो वे हाईकोर्ट जा सकते हैं।इन प्रक्रियाओं को वो एक हफ्ते में पूरी कर सकते हैं, ताकि केस जल्दी हाईकोर्ट में पहुंचे और जल्द जमानत मिल जाए।केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री) के बेटे अर्जित रातोंरात हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभरे।जमानत याचिका खारिज होने के बाद सरेंडर के लिए हनुमान मंदिर के पास की जगह को चुनना भी उनके हिंदुत्व कार्ड की गणित बताता है।सरेंडर के वक्त भी उस जगह पर ‘जय श्रीराम, जय भवानी’ नारे लगाए गए।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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