अटल बिहारी वाजपेयी और मिसेज कौल का खूबसूरत प्रेम कहानी है…
25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है।अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक ऐसे राजनेता हैं,जिनका विरोध उनके विरोधी भी नहीं कर पाते हैं।वे एक प्रखर वक्ता,दृढ़ राजनेता और कवि हृदय व्यक्ति थे।लेकिन उनके जीवन का एक और पक्ष भी है,जिसपर ज्यादा बात नहीं की जाती है।जी हां वे एक आदर्श प्रेमी थी,जिन्होंने आजीवन अपने प्रेम का दामन नहीं छोड़ा भले ही उनका प्रेम शादी तक नहीं पहुंच पाया।अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल का प्रेम कुछ इसी तरह का था।भारतीय राजनीति में इन दोनों के संबंधों पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई है,लेकिन इस बात से सभी वाकिफ हैं कि राजकुमारी कौल का अटल बिहारी के जीवन में क्या स्थान था।वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी कौल के संबंधों को-देश के राजनीतिक हलके में घटी सबसे सुंदर प्रेम कहानी बताया है।अटल और राजकुमारी कौल का संबंध कभी चर्चा का कारण नहीं बना,लेकिन 2014 में जब राजकुमारी कौल की मौत हुई तो इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबार ने इस खबर को प्राथमिकता से छापा और लिखा-वह अटल जी के जीवन की डोर थीं।उनके घर की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य और उनकी सबसे घनिष्ठ मित्र भी थीं।कुलदीप नैय्यर ने टेलीग्राफ में लिखा था-संकोची मिेज कौल अटल की सबकुछ थी।उन्होंने जिस तरह अटल की सेवा की,वह कोई और नहीं कर सकता था।वह हमेशा उनके साथ रहीं।दक्षिण भारत के एक पत्रकार गिरीश निकम ने बताया था कि अटल जी जब प्रधानमंत्री नहीं थे,तब भी मैं उनके घर पर फोन करता था,तो वही फोन उठाती थीं और कहती थीं-मैं मिसेज कॉल बोल रही हूं।गिरीश निकम ने बताया था कि राजुकमारी कौल ने उन्हें अपनी और अटल बिहारी वाजपेयी की दोस्ती के बारे में बताया था।उन्होंने यह भी बताया था
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 25 दिसंबर को जन्मदिन है। अपने जीवन के 92 साल पूरे करने वाले इस दिग्गज नेता को’अटलजी’तीन बार प्रधानमंत्री रहे। राजनीति से अलावा उनकी निजी जिंदगी की बात करें तो अटलजी खाने-पीने के बेहद शौकीन थे।सामान्य और खास जिंदगी में भी उनका इन स्वादिष्ट आइटम्स से मोह बना रहा।ग्वालियर शहर के शिंदे की छावनी में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी की सबसे पसंदीदा मिठाई ‘बहादुरा के लड्डू’ और चिवड़ा नमकीन था। शुद्ध देशी घी की मिठाइयों की फेमस दुकान ‘बहादुरा स्वीट्स’ कर्ताधर्ता बताते हैं कि अटलजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब भी कोई परिचित दिल्ली में उनसे मिलने जाता तो वो लड्डू लेकर जरूर जाता है। इसी वजह से एक अंग्रेजी अखबार ने तो इन लड्डुओं को ‘पासपोर्ट टू पीएम’ तक की संज्ञा तक दे दी थी। बहादुरा मिष्ठान भंडार के मालिक बताते हैं कि जब वे बहुत छोटे थे तब अटलजी उनके यहां पैदल चलकर लड्डू खाने आते थे। उस वक्त उनके लड्डू 4-6 रुपए प्रति किलो बिकते थे। हालांकि, इन दिनों दाम 400 रुपए किलो तक पहुंच चुका है।
कि वह और उनके पति ब्रिज नारायण कौल अटल जी के साथ वर्षों से रहते हैं।राजकुमारी कौल ने 80 के दशक में एक महिला पत्रिका को इंटरव्यू दिया था,जिसमें उन्होंने यह कहा था कि अटल के साथ अपने रिश्ते को लेकर मुझे कभी अपने पति को स्पष्टीकरण नहीं देना पड़ा,हमारा रिश्ता समझबूझ के स्तर पर काफी मजबूत था।अटल जी और राजकुमारी कौल की मुलाकात 40 के दशक में हुई जब दोनों ग्वालियर के एक ही कॉलेज में पढ़ते थे।अटल जी पर लिखी गयी किताब”अटल बिहारी वाजपेयी ए मैन ऑफ आल सीजंस”के लेखक और पत्रकार किंशुक नाग ने लिखा है-दोनों एक ही समय ग्वालियर के एक ही कॉलेज में पढ़े थे।ये 40 के दशक के बीच की बात थी।वो ऐसे दिन थे जब लड़के और लड़कियों की दोस्ती को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता था।इसलिए आमतौर पर प्यार होने पर भी लोग भावनाओं का इजहार नहीं कर पाते थे।इसके बाद भी युवा अटल ने लाइब्रेरी में एक किताब के अंदर राजकुमारी के लिए एक लेटर रखा।लेकिन उन्हें उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला।वास्तव में राजकुमारी ने जवाब दिया था।जवाब किताब के अंदर ही रखकर अटल के लिए दिया गया था लेकिन वह उन तक नहीं पहुंच सका।इस बीच राजकुमारी के सरकारी अधिकारी पिता उनकी शादी एक युवा कॉलेज टीचर ब्रिज नारायण कौल से कर देते हैं।किताब में राजकुमारी कौल के एक परिवारिक करीबी के हवाले से कहा गया कि वास्तव में वह अटल से शादी करना चाहती थीं,लेकिन घर में इसका जबरदस्त विरोध हुआ।हालांकि अटल ब्राह्मण थे लेकिन कौल अपने को कहीं बेहतर कुल का मानते थे।मिसेज कौल की सगाई के लिए जब परिवार ग्वालियर से दिल्ली आया,उन दिनों यहां 1947 में बंटवारे के दौरान दंगा मचा हुआ था।इसके बाद शादी ग्वालियर में हुई।पति बहुत बढ़िया शख्स थे।राजकुमारी कौल की शादी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी शादी नहीं की।उन्होंने राजनीति को अपनाया और आगे बढ़ते चले गए।लेकिन एक-डेढ़ दशक बाद दोनों फिर मिले जब अटल सांसद हो गए।राजकुमारी दिल्ली आ गयीं।उनके पति दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में फिलॉस्फी के प्रोफेसर थे।बाद में वह इसी कॉलेज के हास्टल के वार्डन बन गए।बाद में अटल उनके साथ रहने आ गए थे।मोरारजी देसाई की सरकार में जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री हुए तो कौल परिवार लुटियंस जोन में उनके साथ रहता था।इस बात की पुष्टि एक आईएएस अधिकारी ने की है।मिसेज कौल हमेशा उनके साथ रहीं, लेकिन यह बिलकुल दोनों का निजी रिश्ता था,जिसपर ना उन्होंने कभी कोई बात की और ना लोगों की बातों को हवा दिया।मिसेज कौल बहुत ही साधारण तरीके से रहतीं थीं और कभी भी अटल जी के साथ विदेश दौरों पर नहीं जाती थीं।उन्होंने कभी विदेश दौरा भी उनके साथ नहीं किया।अटल जी की गैरपरंपरागत जीवनशैली और मिसेज कौल के साथ उनके संबंधों के कारण जनसंघ में उनका विरोध हुआ था और बलराज मधोक जैसे लोगों ने उनके और राजकुमारी कौल के संबंधों को गलत ढंग से प्रस्तुत भी किया था।जिस वक्त मिसेज कौल का निधन हुआ,अटल बिहारी वाजपेयी अल्जाइमर रोग से ग्रस्त हो चुके थे।बावजूद इसके मिसेज कौल के अंतिम संस्कार में लालकृष्ण आडवाणी,राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज मौजूद रहे।सोनिया भी अटल के निवास पर पहुंचीं,यहां तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे।यह कुछ उदाहरण हैं जो साबित करते हैं कि अटल और मिसेज कौल का संबंध कितना अटूट और मैच्योर था।
रिपोर्ट-दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार की रिपोर्ट